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SP सांसद ST Hasan- नीलगाय का नाम बदलकर जंगली घोड़ा रखे केंद्र सरकार

नीलगाय बड़े स्तर पर फसलों को नुकसान पहुंचाती है. इनकी मौजूदगी प्रभावित इलाकों में किसानों के लिए आज भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है. समय-समय पर लोग स्थानीय प्रशासन से नीलगायों को हटाने की मांग भी करते हैं.

SP सांसद ST Hasan- नीलगाय का नाम बदलकर जंगली घोड़ा रखे केंद्र सरकार

नीलगाय की मौजूदगी से बेहाल हैं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान.

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डीएनए हिंदी: समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के सांसद एसटी हसन (ST Hasan) ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश (West UP) के कुछ इलाकों में नीलगायों की मौजूदगी पर चिंता जताई है. जानवरों की वजह से तबाह हो रही फसलों का जिक्र करते हुए मंगलवार को उन्होंने लोकसभा में केंद्र सरकार से अपील की है कि कुछ जानवरों को मारने या पकड़ने की छूट दी जाए. 

एसटी हसन ने कहा है कि नीलगाय का नाम बदलकर जंगली घोड़ा कर दिया जाए. एसटी हसन ने 'वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021' पर चर्चा में भाग लेते हुए यह मांग की. 

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से लोकसभा सदस्य हसन ने कहा, 'मेरे क्षेत्र में जानवर फसलों को बहुत नुकसान पहुंचा रहे हैं. मेरे क्षेत्र में बंदर बहुत हैं. बंदर फसलों को नष्ट कर रहे हैं. इसके चलते हमारे यहां के छोटे किसान गन्ना नहीं बो रहे हैं.'

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'नीलगाय का नाम बदलकर जंगली घोड़ा करे सरकार'

एसीट हसन ने कहा, 'जंगली सूअर बहुत ज्यादा हैं, नीलगाय भी हैं. मेरा आग्रह है कि इनको मारने या पकड़ने की आजादी होनी चाहिए. सरकार से यह आग्रह भी है कि नीलगाय का नाम बदलकर जंगली घोड़ा कर दें तो बहुत आसानी होगी.'

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फसलों के लिए अभिशाप हैं नीलगाय

मैदानी इलाकों में नीलगायों की मौजूदगी किसानों के लिए मुसीबत की तरह है. आमतौर पर नीलगायों का झुंड बड़ा होता है. छोटे झुंड में 10 से 12 नीलगायों की मौजूदगी होती है. ऐसे में जिस भी खेत में इनकी आमद होती है, फसलें तबाह हो जाती हैं. सर्दी, गर्मी और बरसात हर मौसम में किसान नीलगायों से परेशान रहते हैं. प्रशासनिक स्तर पर भी इनके निपटारे के लिए कोई ठोस कदम नहीं लिए जाते हैं.

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