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युवाओं से ज्यादा हो जाएंगे बुजुर्ग, 2036 में देश के सामने होंगी ये चुनौतियां

Demographic Changes: भारत में हो रहे डेमोग्राफिक बदलाव एक नई चुनौती की तरफ इशारा कर रहे हैं. पढ़ें क्या कहती हैं रिपोर्ट-

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युवाओं से ज्यादा हो जाएंगे बुजुर्ग, 2036 में देश के सामने होंगी ये चुनौतियां

Demographic Changes in India

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डीएनए हिंदी: भारत में दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी बसती है. ये कहना गलत नहीं होगा कि धरती पर हर 6 में से 1 युवा व्यक्ति भारतीय है. वहीं आबादी के मामले में यूनाइटेड नेशंस की वर्ल्ड पॉपुलेशन प्रॉस्पेक्ट्स (WPP) रिपोर्ट के मुताबिक भारत 2023 में दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में चीन से आगे निकल सकता है. दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी एक तरफ तो देश के लिए वरदान है लेकिन दूसरी तरफ आने वाले समय में चिंता का सबब भी है. इतनी बड़ी युवा आबादी के साथ 15 साल बाद आश्रितों की संख्या में इजाफा होने का अनुमान है. यह कई चुनौतियां खड़ी कर सकता है. जानते हैं क्या होता है आश्रित वर्ग और क्या हैं आने वाले समय की चुनौतियां-

क्या होता है आश्रित वर्ग
आश्रित वर्ग 14 या उससे कम उम्र के बच्चे और 65 साल से अधिक उम्र के बुज़ुर्ग को माना जाता है. आंकड़े बताते हैं कि 2018 के बाद से भारत की आबादी का वर्किंग क्लास आश्रित आबादी से अधिक हो चुका है. कामकाजी उम्र की आबादी में यह उछाल 2055 या इसके शुरू होने के 37 साल बाद तक बना रहेगा.

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कामकाजी आबादी से दोगुनी होगी बुजुर्ग आबादी
रिपोर्ट के मुताबिक यह बदलाव सबसे पहले दक्षिणी राज्यों में दर्ज किया जाएगा. इसमें तमिलनाडु और केरल की लगभग 20% आबादी 2036 तक 60 वर्ष की आयु को पार कर जाएगी. इस जनसांख्यिकीय बदलाव में भारत अकेला नहीं है. रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के बाद 20वीं सदी के मुकाबले जनसंख्या वृद्धि कम हो रही है.

आज के समय में एशिया में जापान एकमात्र ऐसा देश है जहां वृद्धावस्था निर्भरता अनुपात 40 से अधिक है. दूसरी तरफ अनुमान है कि 2050 तक दुनिया भर में 55 से अधिक देश उस अनुपात को पार कर जाएंगे. यानी दुनिया की लगभग 40% आबादी वृद्धावस्था में कदम रख चुकी होगी. अनुमान ये भी है कि दुनिया भर में बुजुर्ग आबादी (65 वर्ष और अधिक) का कामकाजी आबादी (15-64) से अनुपात दोगुना हो जाएगा.

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भारत में सबसे कम हैं पेंशन प्राप्त करने वाले बुजुर्ग
डेमोग्राफिक आंकड़ों पर नज़र डालें तो आने वाले 20 साल में देश में समय के साथ युवा आयु वर्ग की जनसंख्या तेज़ी से घटेगी जबकि भारत में वृद्ध आबादी का हिस्सा बढ़ना तय है. इतनी बड़ी आबादी के तेज़ी से बूढ़े हो जाने पर देश की जनसंख्या का बड़ा हिस्सा पेंशन पर निर्भर हो जाएगा. हालांकि भारत में पेंशन प्राप्त करने वाले बुजुर्गों की हिस्सेदारी सबसे कम है. आसान शब्दों में कहें तो देश में ज़्यादातर कमाने वाले लोग अपनी पेंशन को लेकर सजग नहीं है. वही NPS के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी के बावजूद देश में पेंशन सेविंग केवल 14% लोग करते हैं. 

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