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Assembly Elections में बुरी हार के बाद क्या फिर पुरानी गलतियों में उलझ रही है Congress?

कांग्रेस ने जी-23 की सारी मांगों को नजरंदाज कर दिया है और चुनावी हार का ठीकरा प्रदेश अध्यक्षों पर फोड़ते हुए उनसे पद छीन लिए हैं.

Assembly Elections में बुरी हार के बाद क्या फिर पुरानी गलतियों में उलझ रही है Congress?
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डीएनए हिंदी: पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में जहां 4 पर बीजेपी (BJP) की धमाकेदार जीत हुई है तो वहीं कांग्रेस (Congress) को कुछ भी हाथ नहीं लगा है. पार्टी ने पंजाब की सत्ता भी गंवा दी है. ऐसे में आंतरिक तौर पर पार्टी में सवालिया निशान खड़े होने लगे हैं लेकिन कुछ भी ठोस कदम उठने की आहट नहीं सुनाई दे रही है. वहीं पार्टी एक बार फिर ऐसे मु्द्दों को उठा रही है जिसमें उसकी प्रतिद्वंदी बीजेपी चैंपिंयन मानी जाती है जिसके बाद यह सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या पार्टी एक बार फिर पुरानी गलतियां दोहरा रही है? 

नेतृत्व में बदलाव की उम्मीदें कम 

पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में पार्टी की हार के चलते जी-23 के नेताओं ने पार्टी के नेतृत्व पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं. इन नेताओं ने एक बार फिर गांधी परिवार के बाहर का अध्यक्ष रखने की मांग की और मुकुल वासनिक का नाम भी अध्यक्ष पद के लिए बढ़ाया लेकिन उसे कांग्रेस की वर्किंग कमेटी द्वारा रिजेक्ट कर दिया गया. 5 घंटे की बैठक के बाद नतीजा शून्य ही रहा और गांधी परिवार का कांग्रेस पर अधिपत्य स्पष्ट दिखने लगा.

प्रदेश अध्यक्षों के इस्तीफे 

कांग्रेस अध्यक्षा के तौर पर सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने हार की जिम्मेदारी तय करते हुए उत्तर प्रदेश, मणिपुर, पंजाब गोवा और उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्षों के इस्तीफ़े मांग लिए. हालांकि इस हार के लिए सबसे बड़ी जिम्मेदारी कांग्रेस आलाकमान की ही बनती है क्योंकि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) पंजाब की राजनीति में दखल दे रहे थे जिसका नतीजा यह हुआ कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के हटने के बाद पंजाब में पार्टी बिखर गई. ठीक इसी तरह उत्तर प्रदेश में भी प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू की बजाए सारा काम-काज प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi Vadra) देख रही थी लेकिन इन नेताओं की कोई जवाबदेही नहीं तय की गई.

नेताओं ने बना ली है दूरी

कांग्रेस पार्टी ने हार के बाद प्रदेश अध्यक्षों पर कार्रवाई कर दी और जी-23 गुट को शांत कर दिया जैसा पहले किया था. पार्टी के जितने भी वरिष्ठ नेता हैं वो सभी दिल्ली में जमे हैं. ये नेता पार्टी के कार्यकर्ताओं से पूरी तरह कट चुके हैं जिसका नतीजा यह है कि पार्टी को संगठनात्मक तौर पर सबसे बड़ा नुकसान हुआ है. वहीं नाराज नेताओं में ही दिग्गज चेहरे हैं लेकिन नाराजगी ओर नजरंदाजगी के कारण कोई सक्रिय नहीं है.

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इसके बावजूद पार्टी में कुछ भी बदलाव के संकेत नहीं मिल रहे हैं जो इस बात संकेत देता कि क्या पार्टी एक बार फिर वही पुरानी गलतियां दोहरा रही है जिसके कारण वो इस वक्त सबसे बुरी स्थिति में है.

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