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Uttar Pradesh News: भाजपा विधायक को 25 साल कैद की सजा, नाबालिग से रेप के मामले में साबित हुआ दोष

BJP MLA Ramdular Gond Convicted: रामदुलार गोंड सोनभद्र की दुद्धी विधानसभा सीट से विधायक हैं. उन्हें रेप केस में सजा मिलने से विपक्षी दलों को उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार को घेरने का मौका मिल गया है.

Uttar Pradesh News: भाजपा विधायक को 25 साल कैद की सजा, नाबालिग से रेप के मामले में साबित हुआ दोष

BJP MLA Ramdular Gond को सजा मिलने के बाद हथकड़ी लगाकर ले जाते पुलिसकर्मी.

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डीएनए हिंदी: Sonbhadra News- उत्तर प्रदेश में भाजपा को एक बड़ा झटका लगा है. सोनभद्र जिले की एमपी-एमएलए कोर्ट ने भाजपा विधायक रामदुलार गोंड को नाबालिग लड़की के साथ रेप के मामले में 25 साल कैद की कठोर सजा सुनाई है. विधायक पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. दुद्धी विधानसभा सीट से विधायक रामदुलार गोंड को कोर्ट ने इस मामले में 12 दिसंबर को दोषी घोषित किया था. उन्हें उसी दिन जेल भेज दिया गया था, लेकिन सजा की घोषणा नहीं की गई थी. इस मामले में कोर्ट ने शुक्रवार को सजा सुनाई है. इससे एकतरफ रामदुलार की विधानसभा सदस्यता रद्द होना तय है, वहीं विपक्षी दलों को योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार पर करारा हमला करने का मौका मिल गया है. 

दुष्कर्म के बाद गर्भवती हो गई थी पीड़िता

मीडिया रिपोर्ट्स में पीड़िता के वकील विकास शाक्य के हवाले से कहा गया है कि अपने साथ हुए दुष्कर्म के बाद पीड़ित नाबालिग गर्भवती हो गई थी. इसके जरिए विधायक पक्ष ने सजा से बचने की कोशिश की. भ्रूण के डीएनए जांच की मांग की गई, लेकिन ये सारे दांव फेल हो गए. आखिर में फैसला पीड़िता के पक्ष में आया है.

शादी के बाद पीड़िता के ससुराल वालों को धमकाने का भी आरोप

पीड़िता के वकील ने कहा कि भाजपा विधायक ने इस मामले को दबाने के लिए पीड़िता को लगातार धमकाते रहे. पीड़िता की शादी के बाद उसके ससुराल जाकर उन्हें भी धमकाया गया. समझौता करने के लिए दबाव बनाया गया. पैसे का लालच भी दिया गया. इसके बावजूद पीड़िता के पीछे नहीं हटने पर उसे जान से मारने की धमकी भी दी गई. विधायक के दोषी करार दिए जाने के बाद भी ससुराल जाकर धमकी दी गई.

सजा कम कराने को पीड़िता को बताया बालिग

वकील ने यह भी बताया कि पीड़िता के पीछे नहीं हटने पर केस को कमजोर करने की भी कोशिश की गई. परिवार रजिस्टर में फर्जीवाड़ा करके पीड़िता की उम्र बढ़वाई गई. कोर्ट में पेशी के दौरान उसे बालिग बताते हुए केस को झूठा साबित करने की कोशिश की गई. कोर्ट ने प्राथमिक विद्यालय के सर्टिफिकेट को सही सबूत माना, जिसमें पीड़िता की उम्र नाबालिग दिखा रही थी. इससे विधायक पक्ष का यह दांव भी फेल हो गया और आखिर में उसे सजा सुनाई गई है. 

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