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Civil Services Day: इंटरव्यू बोर्ड भी नहीं था तैयार, हर कदम पर समाज से लड़ी जंग, ऐसी थी पहली महिला IAS अफसर की कहानी

अन्ना ने परीक्षा पास कर ली लेकिन तब उन्हें नहीं पता था कि ऐसा करने वाली वो देश की पहली महिला हैं.

Civil Services Day: इंटरव्यू बोर्ड भी नहीं था तैयार, हर कदम पर समाज से लड़ी जंग, ऐसी थी पहली महिला IAS अफसर की कहानी
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डीएनए हिंदी: 21 अप्रैल को सिविल सर्विसेज डे मनाया जाता है. इस खास मौके पर हम आपको देश की पहली महिला IAS से मिलवाने वाले हैं. यह गौरव हासिल करने वाली महिला अन्ना राजम मल्होत्रा हैं. अन्ना ने साल 1950 में भारतीय सिविल सेवा की परीक्षा दी थी और पास होकर वह पहली महिला अफसर बनी थीं.

अन्ना का जन्म केरल के एर्नाकुलम जिले में 17 जुलाई 1924 को हुआ था. उन्होंने शुरुआती शिक्षा कोझीकोड से की. इशके बाद चेन्नई स्थित मद्रास यूनिवर्सिटी से अपनी आगे की शिक्षा पूरी की. कॉलेज पूरा होने के बाद अन्ना राजम ने प्रशासनिक सेवा में जाने का फैसला लिया और सिविल सर्विस के लिए तैयारी शुरू की.

Anna Rajam Malhotra

यह अन्ना की मेहनत और लगन थी जिसकी वजह से वह पहली ही कोशिश में इस परीक्षा में पास हुईं और पहली अफसर बनकर इतिहास रच दिया. अन्ना ने मद्रास कैडर से ट्रेनिंग ली. आईएएस बनने के बाद अन्ना ने अपनी सर्विस के दौरान दो प्रधानमंत्रियों (इंदिरा गांधी और राजीव गांधी) और सात मुख्यमंत्रीयों के साथ काम किया. 

इंटरव्यू बोर्ड ने दी थी IAS न बनने की सलाह

1950 में अन्ना राजम ने सिविल सर्विसेज की परीक्षा (Civil Services Examination) देने का फैसला लिया. अन्ना ने परीक्षा पास कर ली लेकिन तब उन्हें नहीं पता था कि ऐसा करने वाली वो देश की पहली महिला हैं. अन्ना को इंटरव्यू पैनल ने फॉरन सर्विस (Foreign Service) या सेन्ट्रल सर्विस (Central Service) जॉइन करने की हिदायत दी. इस इंटरव्यू पैनल में कई नामची ICS अफसर थे और बोर्ड कमिटी को UPSC के प्रमुख आर.एन.बैनर्जी लीड कर रहे थे. अन्ना को महिलाओं के लिए उचित सर्विसेज में जाने की हिदायत दी गई लेकिन वो टस से मस नहीं हुईं.

अफसर बनने के लिए बनना पड़ा 'वकील'

अन्ना को IAS अफ़सर बनने के लिए इंटरव्यू बोर्ड, पितृसत्ता की सोच से भरपूर लोगों से भिड़ना पड़ा. उन्होंने अपनी बात खुद रखी, दलीलें दी लेकिन हार नहीं मानी. ये कहना गलत नहीं होगा कि उन्हें IAS अफसर की कुर्सी के लिए वकील का कोट पहनना पड़ गया. अन्ना ने मद्रास कैडर चुना.

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रिटायरमेंट के बाद अन्ना ने मशहूर होटल लीला वेंचर लिमिटेड के डायरेक्टर पर पर काम किया. साल 1989 में भारत सरकार ने अन्ना को पद्म भूषण से सम्मानित किया. अपनी जिंदगी में एक से बढ़कर एक मुकाम हासिल करने वाली अन्ना ने 17 सितंबर साल 2018 में अंतम सांस ली.

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