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जातिगत जनगणना और आरक्षण के मुद्दे पर क्या 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ेगी कांग्रेस, क्यों छिड़ी है चर्चा?

कांग्रेस की मांग है कि देश में जनगणना जाति आधारित होनी चाहिए. आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा खत्म करने की जरूरत है.

जातिगत जनगणना और आरक्षण के मुद्दे पर क्या 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ेगी कांग्रेस, क्यों छिड़ी है चर्चा?

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी. (फाइल फोटो-PTI)

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डीएनए हिंदी: कांग्रेस (Congress) देश में जाति आधारित जनगणना की मांग कर रही है. कांग्रेस की मांग है कि आरक्षण पर लगी 50 प्रतिशत सीमा खत्म कर दी जाए. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिकी चिट्ठी में अपील की है कि देश में आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा को खत्म करने की जरूरत है. कांग्रेस के अलावा दूसरे राजनीतिक दल भी जातिगत जनगणना की मांग अरसे से करते रहे हैं. ऐसा लग रहा है कि लोकसभा चुनाव 2024 जाति आधारित जनगणना के मुद्दे पर लड़ा जाएगा.

मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपील की है कि हर 10 साल पर होने वाली जनगणना जल्द कराई जाए और व्यापक जाति आधारित जनगणना को इसका अहम हिस्सा बनाया जाए. उनकी अपील है कि आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा खत्म की जाए. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर गुहार लगाई है. 

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कांग्रेस की सुर में सुर मिला रहे विपक्षी दल

मल्लिकार्जुन खड़गे ने 16 अप्रैल को लिखे गए पत्र में पीएम मोदी से अपील की है, 'मैं एक बार फिर जाति आधारित नवीनतम जनगणना कराने का आग्रह करता हूं. मेरे सहयोगियों और मैंने संसद के दोनों सदनों में कई बार यह मांग उठाई है. अन्य विपक्षी दलों ने भी इस मांग को रखा है.'

जातिगत जनगणना की गुहार लगा रहे मल्लिकार्जुन खड़गे

मल्लिकार्जुन खड़गे ने लिखा, 'आप जानते हैं कि संप्रग सरकार ने पहली बार 2011-12 के दौरान करीब 25 करोड़ परिवारों को कवर करते हुए सामाजिक, आर्थिक और जातिगत जनगणना कराई थी. मई, 2014 में आपकी सरकार आने के बाद कांग्रेस और अन्य सांसदों ने इसे जारी करने की मांग की, लेकिन कई कारणों से जातिगत आंकड़े जारी नहीं किए गए.'

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क्यों जातिगत जनगणना की मांग कर रही है कांग्रेस?

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने लिखा, 'मुझे आशंका है कि नवीनतम जातिगत जनगणना के अभाव में सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण कार्यक्रमों विशेष रूप से ओबीसी के उत्थान के लिए बेहद आवश्यक डाटा बेस अधूरा है. यह जनगणना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है. जनगणना जल्द कराई जाए और जाति आधारित जनगणना को इसका हिस्सा बनाया जाए.'

राहुल गांधी भी आरक्षण और जनगणना पर सेट कर रहे चुनावी एजेंडा

वहीं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कर्नाटक के बीदर में एक चुनावी सभा में आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा हटाने को लेकर अपना रुख सोमवार को फिर दोहराया और कहा कि 2011 की जनगणना के जातिगत आंकड़ों को सार्वजनिक किया जाए, ताकि अन्य पिछड़ा वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व मिल सके तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति समुदायों को उनकी आबादी के अनुपात में आरक्षण दिया जा सके. 

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राहुल गांधी ने कहा, 'मोदी जी, ओबीसी के बारे में सिर्फ खोखली बात मत करिए. जनगणना के जातिगत आंकड़े जारी करिए और 50 प्रतिशत की सीमा को हटाइए, दलित और आदिवासी की जितनी आबादी है, उनको उतना आरक्षण दीजिए. अगर आप नहीं कर सकते तो हट जाइए, हम करते हैं.'

कांग्रेसी नेताओं ने एक सुर से लगाई जातिगत जनगणन की गुहार

कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने कहा, 'सरकार जनगणना के जातिगत आंकड़े को जारी करने में हिचकिचाहट क्यों दिखा रही है... प्रधानमंत्री खुद को ओबीसी बताते हैं, जाति की राजनीति करते हैं, लेकिन संख्या नहीं गिनेंगे. जब पेड़, पशु और शिशु गिन लेते हैं, तो जाति गिनने में क्या दिक्कत है?'

कन्हैया कुमार ने सवाल किया, 'अगर बिहार की सरकार जातिगत सर्वेक्षण करवा सकती है, तो केंद्र सरकार जातिगत जनगणना क्यों नहीं करवा सकती? 2021 में जनगणना होनी थी, लेकिन अभी तक शुरू नहीं हो पाई. हमारी मांग है कि जनगणना शुरू की जाए और यह सामाजिक, आर्थिक और जाति पर आधारित हो.'

जातिगत जनगणना और आरक्षण पर चुनाव लड़ेगी कांग्रेस?

कांग्रेस जातिगत जनगणना और आरक्षण को आधार बनाकर 2024 के लोकसभा चुनाव का एजेंडा तय करना चाह रही है. मल्लिकार्जुन खड़गे से लेकर राहुल गांधी और कन्हैया कुमार जैसे नेता भी इसी पर जोर दे रहे हैं. बिहार जैसे राज्य में नीतीश कुमार जाति आधारित जनगणना करा रहे हैं. ऐसे में दूसरे राज्यों में यह मांग जोर पकड़ रही है. केंद्र सरकार पर लगातार दबाव पड़ रहा है. सोशल मीडिया पर भी यह शोर मचा है कि कांग्रेस इसी को मुद्दा बनाकर 2024 के लोकसभा चुनाव का एजेंडा तय कर रही है.

कन्हैया कुमार ने यह भी कहा है कि इस मामले पर बीजेपी को अपना रुख साफ जाहिर करना चाहिए. गौरतलब है कि साल 2021 में प्रस्तावित जनगणना कोरोना वायरस महामारी के कारण नहीं हो सकी थी. अब केंद्र सरकार से राजनीतिक पार्टियां गुहार लगा रही हैं कि जल्द से जल्द जनगणना की प्रक्रिया शुरू की जाए. (इनपुट: PTI)

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