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Manish Sisodia Open Letter: 'जेल पॉलीटिक्स' पर सिसोदिया का ओपन लेटर, 5 प्वॉइंट्स में जानिए सलाखों के पीछे से क्या लिखा

Manish Sisodia Arrested By ED: मनीष सिसोदिया को दिल्ली शराब घोटाले में सीबीआई के बाद बृहस्पतिवार को ईडी ने भी गिरफ्तार कर लिया है.

Manish Sisodia Open Letter: 'जेल पॉलीटिक्स' पर सिसोदिया का ओपन लेटर, 5 प्वॉइंट्स में जानिए सलाखों के पीछे से क्या लिखा

Manish Sisodia Letter From Tihar Jail

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डीएनए हिंदी: Jail Politics- दिल्ली एक्साइज पॉलिसी से जुड़े शराब घोटाले में बृहस्पतिवार को मनीष सिसोदिया को एक और झटका लगा है. इस घोटाले में सीबीआई हिरासत में चल रहे दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार कर लिया. यह गिरफ्तारी उनकी जमानत अर्जी पर सुनवाई से एक दिन पहले की गई है. इससे नाराज सिसोदिया ने तिहाड़ जेल से अपने समर्थकों के लिए एक ओपन लेटर लिखा, जिसमें उन्होंने भाजपा पर 'जेल पॉलीटिक्स' करने का आरोप लगाया. उन्होंने भाजपा पर जांच एजेंसियों के ऊपर दबाव बनाकर लोगों को जेल में ठूंसने का आरोप लगाया. साथ ही तंज भी कसा कि देश जेल की राजनीति से नहीं बल्कि शिक्षा की राजनीति करने से ही विश्वगुरु बनेगा.

आइए 5 प्वॉइंट्स में पढ़ें सिसोदिया के ओपन लेटर की खास बातें.

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1. लेटर का टाइटल है 'शिक्षा-राजनीति और जेल' 

सिसोदिया की गिरफ्तारी के कुछ देर बाद सामने आया ओपन लेटर पैन द्वारा हाथ से किसी कॉपी के पन्नों पर लिखा गया है. इस लेटर का टाइटल रखा गया है 'शिक्षा-राजनीति और जेल'. लेटर में सिसोदिया ने भाजपा और आप की कार्यशैली की तुलना की. उन्होंने लिखा, हम बच्चों को पढ़ाने की राजनीति कर रहे हैं, जबकि भाजपा जेल में डालने की राजनीति में बिजी है. सिसोदिया ने लिखा, बच्चों को पढ़ाने के मुकाबले जेल भेजना आसान है, लेकिन देश जेल भेजने से नहीं बल्कि शिक्षा से आगे बढ़ता है.

Manish Sisodia Letter

2. जेल आकर मिला हर बच्चे को स्कूल नहीं मिलने का जवाब

सिसोदिया ने लेटर में लिखा, दिल्ली के शिक्षामंत्री के तौर पर कई बार एक सवाल मन में रहा कि देश और राज्य की सत्ता संभालने वाले नेताओं ने शानदार स्कूल-कॉलेज क्यों नहीं बनाए? हर बच्चे के लिए स्कूल का इंतजाम क्यों नहीं किया? यदि पूरे देश में सारी राजनीति तन-मन-धन से शिक्षा की राजनीति में जुटी होती तो आज हर बच्चे के लिए विकसित देशों की तरह अच्छे से अच्छे स्कूल होते. फिर भी शिक्षा को सफल राजनीति ने हमेशा हाशिए पर क्यों रखा? सिसोदिया ने लेटर में आगे खुद ही इसका जवाब भी दिया है. उन्होंने लिखा, जेल में हूं तो इन सवालों के जवाब खुद मिल गए हैं. देख रहा हूं कि राजनीति में जेल चलाने से सफलता मिल रही है तो स्कूल चलाने की जरूरत किसी को भला क्यों होगी?

Manish Sisodia Letter

3. जेल भेजने की धमकी से सत्ता चलाना स्कूल चलाने से आसान

सिसोदिया पूरे देश में दिल्ली के सरकारी स्कूलों को 'आदर्श एजुकेशन मॉडल' देने के लिए मशहूर हुए हैं. उन्होंने लेटर में लिखा, सत्ता की खिलाफत वाली आवाज को जेल भेजने की धमकी देना हर बच्चे के लिए स्कूल खोलकर उसे चलाने से ज्यादा आसान है. उन्होंने यूपी का उदाहरण देते हुए लिखा कि एक लोक गायिका का लोकगीत अपने खिलाफ लगा तो उसे पुलिस का नोटिस दे दिया गया. कांग्रेस प्रवक्ता ने मोदी जी के नाम में एक शब्द इधर-उधर कर दिया तो दो राज्यों की पुलिस ने उन्हें खूंखार अपराधी की तरह फिल्मी अंदाज में दबोच लिया. अरविंद केजरीवाल ने तो मोदी जी की राजनीति के समक्ष वैकल्पिक राजनीति खड़ी कर दी है. ये इतना बड़ा गुनाह है कि उनके दो मंत्री आज जेल में हैं.

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4. जेल की राजनीति से सत्ताधारी बने और ताकतवर

दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री ने लिखा, साफ तस्वीर दिख रही है कि जेल की राजनीति सत्ताधारी नेता को और ताकतवर बना रही है. जांच एजेंसी के चार अधिकारी दबाव में लेने से काम हो जाता है. जांच एजेंसियों पर दबाव बनाइए और जिसे चाहे उसे जेल भिजवा दें.

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5. जेल नहीं स्कूल की राजनीति ही है भारत का भविष्य

सिसोदिया ने आगे लिखा, जेल की राजनीति आज भले ही सफल दिख रही हो, लेकिन स्कूल की, शिक्षा की राजनीति में ही भारत का भविष्य है. भारत इसलिए विश्वगुरु नहीं बनेगा कि यहां की जेलों में कितनी ताकत है बल्कि यहां की शिक्षा की ताकत उसे विश्वगुरु बनाएगी. इसलिए मौजूदा राजनीति में जेल का पलड़ा भले ही भारी है पर आने वाला कल शिक्षा की राजनीति का ही होगा.

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