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भारत के मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए क्या फायदे लेकर आएगा PM Modi का यह ऐलान ?

सरकारी सीटों के लिए हाई कटऑफ और  प्राइवेट कॉलेजेस में डबल फीस के कारण हर साल विदेश जा कर मेडिकल पढ़ने वाले स्टूडेंट्स का आंकड़ा लाखों में पहुंच गया है.

भारत के मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए क्या फायदे लेकर आएगा PM Modi का यह ऐलान ?

PM Narendra Modi 

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डीएनए हिंदी: भारत में मेडिकल हमेशा से सबसे डिमांडिंग स्टडीज में से एक रहा है. कई सालों से भारतीय मेडिकल स्टूडेंट्स के बीच विदेश जा कर पढ़ाई करने का क्रेज रहा है. इसकी मुख्य वजह विदेशी डिग्री की देश में बढ़ती डिमांड के साथ-साथ  भारत में  महंगी मेडिकल पढ़ाई भी है. देश में मेडिकल एजुकेशन का खर्च प्राइवेट और गवर्नमेंट कॉलेज में अलग-अलग है. सरकारी सीटों के लिए हाई कटऑफ और  प्राइवेट कॉलेजेस में लगभग डबल फीस के कारण हर साल विदेश जा कर मेडिकल पढ़ने वाले स्टूडेंट्स का आंकड़ा बढ़ते-बढ़ते लाखो में पहुंच गया है.  

भारत में डीम्ड यूनिवर्सिटीज और प्राइवेट मेडिकल कॉलेज :

भारत में 2020 तक  46 डीम्ड युनिवर्सिटी और 276 प्राइवेट मेडिकल कॉलेज हैं और एनएमसी के डाटा के हिसाब से 37 एप्लिकेशन पेंडिंग हैं. गिनती के मेडिकल कॉलेज होने के कारण इनकी एक साल की फीस  लगभग 10 लाख  से 25 लाख तक होती है जो कि आम परिवारों के लिए बहुत ज़्यादा है. जबकि विदेशी मेडिकल इंस्टिट्यूट्स काफी कम चार्ज करते हैं.
 
क्या नए नियम के बाद मेडिकल स्टूडेंट्स को मिलेगी राहत:

जन औषधि दिवस पर मोदी सरकार ने मेडिकल छात्रों को बड़ी राहत देने वाला फैसला किया. इसके कारण अब प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की 50 % सीटों पर सरकारी मेडिकल कॉलेजों के बराबर ही फीस लगेगी. इसकी जानकारी खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जानकारी औषधि दिवस के दिन ट्वीट करके दी. नए नियमों के लागू होने से उम्मीद जताई जा रही है कि मेडिकल की सीट बढ़ने से और फीस कम होने से मिडिल क्लास को बड़ी राहत मिलेगी और देश से बाहर जा कर पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के आकड़ो में भी कमी आएगी.  
 
लंबे समय से चल रही मांग ने सभी का ध्यान तब खींचा जब रूस -यूक्रेन के युद्ध के चलते कई मेडिकल स्टूडेंट्स यूक्रेन में फंसे. इस लेकर भारत सरकार ने यह फैसला किया. गौरतलब है कि आने वाले अगले सेशन से ही यह सिस्टम लागू होगा.  

क्या हैं पिछले दस साल में भारत में मेडिकल कॉलेज और सीट्स के आंकड़े:

पिछले एक दशक में भारत में मेडिकल कॉलेजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हुई है. साल  2010-11 में निजी और सरकारी सहित मेडिकल कॉलेजों की संख्या 334 थी, जो 2014-15 तक बढ़कर 404 हो गई और 2020-21 में 562 हो गई. यह इन 10 सालो में कॉलेजों की संख्या में 68% की बढ़त बराबर है. इसी तरह 'अंडर ग्रेजुएट' (UG) स्तर पर मेडिकल सीटों की संख्या 2010-11 में 41,500 से बढ़कर 2020-21 में 86,649 हो गई। इसी तरह, 'पोस्ट ग्रेजुएट' (PG) स्तर पर सीटों की संख्या 2010-11 में 21,100 से बढ़कर 2020-21 में 42,015 हो गई। यह 'अंडर ग्रेजुएट' सीटों में 110 फीसदी और 'पोस्ट ग्रेजुएट' सीटों में 100 फीसदी तक है. 

ताज़ा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) के आंकड़ों के मुताबिक  27 फरवरी, 2022 तक भारत में 605 मेडिकल कॉलेजों में 90875 से बढ़कर 1.5 लाख तक हो गयी है. इन मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश NEET UG 2021 के माध्यम से होता है और इनमें से ज्यादातर कॉलेज महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, राजस्थान, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश में हैं.

(रिपोर्ट- आरती राय)

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