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Rahul Gandhi को सजा देने वाले समेत 68 गुजराती जजों के प्रमोशन पर रोक, सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगाते हुए कही ऐसी बात

Supreme Court Stays Judge Promotion: सुप्रीम कोर्ट ने प्रमोशन पर रोक लगाते हुए कहा है कि इसका आधार मेरिट-कम-सीनियॉरिटी होना चाहिए. टॉप कोर्ट ने गुजरात सरकार को भी मामला लंबित होने के बावजूद नोटिफिकेशन जारी करने पर फटकार लगाई है.

Rahul Gandhi को सजा देने वाले समेत 68 गुजराती जजों के प्रम��ोशन पर रोक, सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगाते हुए कही ऐसी बात

Supreme Court

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डीएनए हिंदी: Supreme Court News- सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को गुजरात के 68 लोअर ज्युडिशियल ऑफिसर्स (जिला अदालतों में तैनात जज) के प्रमोशन पर रोक लगा दी है. इन सभी को राज्य सरकार ने जिला जज के तौर पर प्रमोट किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने प्रमोशन के लिए गुजरात हाई कोर्ट की सिफारिश और उसके आधार पर राज्य सरकार की अधिसूचना को 'अवैध' बताते हुए स्टे कर दिया है. इनमें सूरत के चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट (CJM) हरीश हसमुखभाई वर्मा (Judge Harish Hasmukhbhai Varma) भी शामिल हैं, जिन्होंने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को मानहानि मामले (Rahul Gandhi defamation case) में दो साल की सजा सुनाई है. इस सजा के चलते राहुल गांधी की संसद सदस्यता (Rahul Gandhi disqualified) छिन गई है और वे अगले 8 साल तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित हो गए हैं. 

राज्य सरकार को फटकारा, हाई कोर्ट की सिफारिश रोकी

Live Law की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की. बेंच ने गुजरात हाई कोर्ट की तरफ से ज्युडिशियल ऑफिसर्स के प्रमोशन को लेकर की गई सिफारिश पर रोक लगा दी है. साथ ही इस सिफारिश का पालन करते हुए राज्य सरकार की तरफ से जारी प्रमोशन के नोटिफिकेशन को भी स्टे कर दिया है. बेंच ने गुजरात सरकार को प्रमोशन की वैधता का मामला न्यायालय में लंबित होने के बावजूद नोटिफिकेशन जारी करने के लिए कड़ी फटकार लगाई.

बेंच ने कहा, प्रमोशन का आधार मेरिट-कम-सीनियॉरिटी होना चाहिए और यह एक सूटेबिलिटी टेस्ट पास करने वाले को ही दिया जाना चाहिए. इसका ध्यान रखे बिना गुजरात हाई कोर्ट की सिफारिश और उसके आधार पर जारी सरकारी अधिसूचना अवैध है.   

जजों को वापस ओरिजिनल पोस्ट पर किया डिमोट

सुप्रीम कोर्ट ने सभी जजों को उनकी ओरिजिनल पोस्ट पर ही डिमोट कर दिया है. जस्टिस एमआर शाह ने कहा, याचिका लंबित होने पर भी राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी की. इसके बाद अदालत ने नोटिफिकेशन जारी किया. हम हाईकोर्ट और राज्य सरकार के नोटिफिकेशन पर रोक लगाते हुए सभी जजों को प्रमोशन से पहले के उनके ओरिजनल पोस्ट पर वापस भेजते हैं. हालांकि जस्टिस शाह के 15 मई को रिटायर होने के चलते बेंच ने स्पष्ट किया है कि उसका फैसला अंतरिम है. इस पर आगे सुनवाई वह बेंच करेगी, जिसे चीफ जस्टिस तैनात करेंगे.

जिनका नाम पहली लिस्ट में नहीं, उन जजों पर भी लागू

बेंच ने यह भी कहा कि प्रमोशन पर रोक का फैसला केवल इन 68 जजों पर ही लागू नहीं होगा. यह फैसला उन जजों पर भी लागू होगा, जिनका नाम मेरिट लिस्ट में पहले 68 जजों में नहीं है. 

यह था पूरा मामला

दरअसल सीनियर सिविल जज कैडर के दो जजों ने गुजरात में 68 जिला जजों के प्रमोशन को चुनौती दी थी. उन्होंने सु्प्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में उस 65 प्रतिशत कोटा नियम को चैलेंज किया था, जिसके आधार पर इन जजों का प्रमोशन हुआ है. उन्होंने इसे प्रमोशन मेरिट-कम-सीनियॉरिटी सिद्धांत पर आधारित नहीं होने की बात कही थी. उनका कहना है कि प्रमोशन परीक्षा में ज्यादा अंक हासिल करने वाले कई जजों का सिलेक्शन प्रमोशन लिस्ट में नहीं हुआ, जबकि कम अंक पाने वाले कई जज इसमें शामिल किए गए हैं. 

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