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कोटा के इस मंदिर में है कोचिंग छात्रों की आस्था, NEET-JEE में सिलेक्शन के लिए लिखते हैं अपनी विश

मंदिर के पुजारी का कहना हर दिन 300 से अधिक छात्र मंदिर की दीवार पर अपनी मनोकामनाएं लिखते हैं. इस साल 2 लाख बच्चों ने कोचिंग सेंटर में दाखिला लिया है.

कोटा के इस मंदिर में है कोचिंग छात्रों की आस्था, NEET-JEE में सिलेक्शन के लिए लिखते हैं अपनी विश

कोचिंग छात्र मंदिर की दीवार पर लिखते हैं अपनी मनोकामनाएं

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डीएनए हिंदी: 'हे भगवान नीट 2023 में मेरा चयन हो जाए, पढ़ाई में मेरा फिर ध्यान लगने लगे... एम्स दिल्ली में मुझे एडमिशन मिल जाए’ ये बातें किसी डायरी का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि राजस्थान के कोटा में अलग-अलग कोचिंग सेंटर्स में पढ़ने वाले छात्रों के द्वारा एक मंदिर में की दीवार पर लिखी गईं मनोकामनाएं हैं. हर साल लाखों छात्र देश के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट और मेडिकल कॉलेज में प्रवेश पाने का सपना लेकर कोचिंग के लिए राजस्थान के कोटा आते हैं, लेकिन वहां के माहौल को देखकर छात्र तनाव और उम्मीदों के बोझ तले दब जाते हैं.

तलवंडी क्षेत्र के राधाकृष्ण मंदिर के पुजारियों के अनुसार, वर्षों से छात्रों का विश्वास इतना पक्का हो चला है कि हर दो महीने में मंदिर की सफेदी करवानी होती है. उन्होंने कहा कि प्रतिदिन 300 से अधिक छात्र मंदिर में आते हैं और इस साल यहां विभिन्न कोचिंग संस्थानों में रिकॉर्ड 2 लाख विद्यार्थियों ने एडमिशन लिया है. शुरू में तो मंदिर प्रशासन ने ऐसी बातें लिखने को दीवारों को बिगाड़ने के तौर पर लिया लेकिन साल 2000 के शुरू में जब यहां अपनी मनोकामनाएं लिखने वाले कुछ विद्यार्थियों को IIT और मेडिकल की प्रवेश  परीक्षा में सफलता मिल गई तो मंदिर लोकप्रिय हो गया और फिर उसे ‘विश्वास की दीवार’ नाम दे दिया गया.

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पुजारी किशन बिहारी ने कहा, ‘‘काफी पहले, कुछ विद्यार्थी यहां प्रार्थना करने आए थे और उन्होंने IIT या मेडिकल प्रवेश परीक्षा में चयनित होने की मनोकामनाएं दीवार पर लिखी थीं. कुछ महीने बाद 2 विद्यार्थियों के माता-पिता मंदिर में आए और उन्होंने यह दावा करते हुए दान दिया कि दीवार पर लिखी उनके बच्चों की मनोकामनाएं पूरी हो गई हैं और तब से यह एक परिपाटी बन चली है.’’ 

मंदिर की दीवार पर लिखीं विश

मंदिर में है ‘विश्वास की दीवार’
उन्होंने कहा, ‘शुरू में विद्यार्थी मंदिर की दीवार पर कहीं भी अपनी मनोकामनाएं लिख दिया करते थे और हम मंदिर को विरूपित न करने की बात कहकर उन्हें डिस्करेज करने की कोशिश करते थे और उन्हें कार्रवाई की चेतावनी भी देते थे. लेकिन जब स्थानीय लोगों और विद्यार्थियों का विश्वास पक्का हो चला तब हमने मंदिर में इसके लिए समर्पित क्षेत्र बनाने का फैसला किया और उसे ‘विश्वास की दीवार’ नाम दिया.’’ अन्य पुजारी त्रिलोक शर्मा ने कहा कि हर दो महीने में मंदिर की पुताई कराई जाती है क्योंकि दीवारें मनोकामनाओं से भर जाती हैं और अन्य विद्यार्थियों के लिए लिखने के वास्ते जगह नहीं रहती.जब भी छात्र आते हैं तो हम उन्हें आशीर्वाद एवं प्रसाद देते हैं और यह कहते हुए उत्साहित करते हैं कि ईश्वर केवल तभी मदद करता है जब आप कठिन परिश्रम करते हैं. कठिन परिश्रम ही कुंजी है.’ 

(PTI इनपुट के साथ)

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