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यूपी का एक ऐसा गांव जिसके नाम की कहानी सुनकर आप चौंक जाएंगे!

यूपी के कानपुर देहात में एक ऐसा गांव है जिसके नाम की कहानी सुनकर आप भी एक बार चकित हो जाएंगे. यह गांव बहुत पुराना नहीं है. यहां आबादी बसने का सिलसिला 50 साल पहले ही शुरू हुआ था. आइए विस्तार से इसके बारे में जानते हैं...

यूपी का एक ऐसा गांव जिसके नाम की कहानी सुनकर आप चौंक जाएंगे!

प्रतीकात्मक तस्वीर

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डीएनए हिन्दी: आपने गांवों और शहरों के नाम जरूर सुने होंगे. आमतौर पर इनका नाम वहां की भौगोलिक स्थिति, ऐतिहासिक साक्ष्यों या फिर किसी बड़ी उपलब्धि पर रखा जाता है. लेकिन, यूपी में एक ऐसा गांव है जिसके नाम की कहानी जानकर आप चौंक जाएंगे. इस गांव का आधिकारिक नाम हाल-फिलहाल में ही स्वीकार किया गया है.

इस गांव का नाम है दमादनपुरवा. यह कानपुर देहात में है. इस गांव के नाम पड़ने की कहानी सुनकर आप चौंक जाएंगे. इस गांव में कुल 70 घर हैं जिसमें से 50 दामादों के हैं. इसमें ज्यादातर दामाद बगल के गांव सरियापुर के हैं. यहां एक के बाद एक दामाद आते गए और मकान बनाकर बसते गए. जब उनकी आबादी ज्यादा हो गई तो आसपास लोगों ने इसे दमादनपुरवा कहना शुरू कर दिया. अब इस पर सरकारी मुहर भी लग गई है. सरकार ने इस गांव को सरियापुर गांव का माजरा मान लिया है.

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हिन्दुस्तान में छपी खबर के मुताबिक, गांव के बड़े-बुजुर्ग बताते हैं कि यहां दामाद बसने की परंपरा 1970 में शुरू हुी थी. उसी साल सरियापुर गांव के राजरानी की शादी जगमनपुर गांव के सांवरे से हुई थी. शुरू में सांवरे अपने ससुराल में रहने लगे. बाद में जगह कम पड़ी तो उन्हें दमादनपुरवा की ऊसर जमीन घर बनाने के लिए दे दी गई और यहीं से एक बाद एक दामाद बसने लगे. 

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गांव वाले बताते हैं कि फिहहाल दमादनपुरवा की आबादी करीब 500 से है. इसमें से 270 वोटर हैं. कुल 70 घर हैं जिसमें से 50 घर दामादों के हैं. गांव में दमादनपुरवा का बोर्ड भी लग गया है. लोग इसे देखते हैं, पढ़ते हैं और मुस्कुराते भी हैं. इस गांव का अब पोस्टल ऐड्रेस भी यही है.

दमादनपुरवा के रूप में गांव की पहचान मिलने की कहानी बताते हुए बुजुर्ग कहते हैं. जब पहली बार इस गांव में स्कूल बना तो उस पर दमादनपुरवा दर्ज हुआ. इसके बाद दामाद बसते गए और जमीन के पट्टे इसी नाम से कटने लगे. सरकारी कागजातों में यह माजरा दमादनपुरवा के नाम से दर्ज है. अब तो इस गांव में तीसरी पीढ़ी के दामाद भी बसने लगे हैं.

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