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Maharashtra Floor Test: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू, पढ़िए क्या-क्या दलीलें दे रहे वकील

Maharashtra Floor test Hearing in SC: महाराष्ट्र विधानसभा में बुलाए गए फ्लोर टेस्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है. सत्ता पक्ष ने फ्लोर टेस्ट के खिलाफ दायर की है याचिका.

Maharashtra Floor Test: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू, पढ़िए क्या-क्या दलीलें दे रहे वकील

सुप्रीम कोर्ट

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डीएनए हिंदी: महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक संकट (Maharashtra Political Crisis) के बीच बुलाए गए फ्लोर टेस्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दायर की गई है. महा विकास अघाड़ी की सरकार का तर्क है कि फ्लोर टेस्ट (Maharashtra Floor Test) जल्दबाजी में किया जा रहा है. वहीं, विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का कहना है कि उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) सरकार के पास अब बहुमत नहीं बचा है ऐसे में तत्काल फ्लोर टेस्ट करवाए जाने की ज़रूरत है. इस सबके बीच एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) की अगुवाई में गुवाहाटी गए शिवसेना के बागी विधायक मुंबई लौटने के लिए निकल चुके हैं. दूसरी तरफ, उद्धव ठाकरे की अगुवाई में महाराष्ट्र सरकार की कैबिनेट मीटिंग चल रही है. 

शिवसेना नेता सुनील प्रभु की ओर से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा- अभी जो हो रहा है, पहले ऐसा नहीं हुआ कि कोर्ट ने अयोग्यता की कार्रवाई पर रोक लगाई हो और राज्यपाल फ्लोर टेस्ट का आदेश दे दें. 

कोर्ट ने कहा- मान लीजिए कि किसी सरकार ने बहुमत खो दिया और स्पीकर अयोग्यता का नोटिस जारी करने में कर दें क्या तब भी गवर्नर अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं करेंगे! 

सिंघवी- जिन लोगों ने पाला बदल लिया, वह लोगों की इच्छा का प्रतिनिधित्व नहीं करते. राज्यपाल को SC के निर्णय की प्रतीक्षा करनी चाहिए थी. आसमान नहीं टूट पड़ेगा अगर कल फ्लोर टेस्ट न हुआ तो. 

सुप्रीम कोर्ट- क्या यह लोग विपक्ष की सरकार बनवाना चाहते हैं? 
सिंघवी- जी, चिट्ठी में उन्होंने यही लिखा है. ये लोग एक अनवरिफाइड ईमेल करके सूरत से गोवाहटी तक घूम रहे हैं. संवैधानिक प्रक्रिया का मखौल बनाया है, ऐसे में दो दिन पहले कोविज से ठीक होकर लौटे राज्यपाल से विपक्ष के नेता मुलाकात करके फ्लोर टेस्ट की मांग कर देते हैं.

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अभिषेक मनु सिंघवी बोले- वेरिफाइड नहीं है विधायकों का लेटर

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या आपको इन 34 विधायको को लेकर भी कोई शक है? 
सिंघवी - हां, इन लोगों का लेटर वेरिफाइड नहीं है. उस लेटर को लेकर कोई पुष्टि नहीं है. गवर्नर ने भी एक हफ्ते तक लेटर अपने पास रखे रखा. विपक्ष के नेता से मुलाकात के बाद उन्होंने फ्लोर टेस्ट की बात कह दी.

सिंघवी - गवर्नर ने उन्हें मिले लेटर की तथ्यपरकता को चेक करने की जहमत ही नहीं उठाई. दो दिन पहले वह कोविड से मुक्त होकर लौटे हैं.

कोर्ट - राज्यपाल के विवेक पर हम शक क्यों करें? 
सिंघवी - राज्यपाल का फैसला भी न्यायिक समीक्षा से परे नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट का तर्क- खास केस के तहत बढ़ाया गया समय
सिंघवी - सुप्रीम कोर्ट ने अयोग्यता की प्रक्रिया को रोक दिया है और दूसरी तरफ वोट देने का अधिकार हो फ्लोर टेस्ट में. दोनो बातें कैसे हो सकती हैं? 
कोर्ट - एक्सेपक्शनल केस में अयोग्यता का टाइम बढ़ाया गया था. 
सिंघवी - गवर्नर को सीएम की सलाह पर काम करना चाहिए लेकिन वह नेता विपक्ष की सलाह पर काम कर रहे हैं. नेता विपक्ष उनसे शाम को मिलते है और दूसरे दिन लेटर आ जाता है कि एक दिन में फ्लोर टेस्ट है. गवर्नर ने हमें लिखे लेटर में कहा है कि 7 निर्दलीय विधायकों और विपक्ष ने गवर्नर को लेटर दिया है. साथ ही शिव सेना के 34 विधायकों ने पार्टी पर असंतोष जताते हुए लेटर लिखा है गवर्नर को.

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