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Lunar Eclipse: 8 नवंबर को लगेगा पूर्ण चंद्र ग्रहण, क्यों इसे कहते हैं ब्लड मून, कैसा नजर आएगा चांद?

चंद्र ग्रहण तब होता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में आ जाते हैं. पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है. चांद छाए में कैद हो जाता है.

Lunar Eclipse: 8 नवंबर को लगेगा पूर्ण चंद्र ग्रहण, क्यों इसे कहते हैं ब्लड मून, कैसा नजर आएगा चांद?

पूर्ण चंद्र ग्रहण. (तस्वीर-NASA)

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डीएनए हिंदी: सूर्य ग्रहण (Lunar eclipse) के बाद अब खगोल प्रेमियों को एक और दुर्लभ नजारा आसमान में दिखने वाला है. साल 2022 का आखिरी चंद्र ग्रहण 8 नवंबर को लगने जा रहा है. यह चंद्र ग्रहण भारत समेत दुनिया के कई देशों में नजर आएगा. भारत में चंद्र ग्रहण की शुरुआत शाम 05:29 को शुरू होगा और शाम को 18:19 बजे तक खत्म हो जाएगा. 

जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीध में आ जाते हैं, तब ग्रहण की स्थिति बनती है. जब पृथ्वी चंद्रमा को पूरी तरह से ढक लेती है, तब पूर्ण चंद्र ग्रहण की होता है. चंद्रमा, पृथ्वी की छाया में कैद हो जाता है. इस बार के चंद्र ग्रहण में भी पृथ्वी, चंद्रमा को पूरी तरह से ढक लेगी.  

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कैसे होता है पूर्ण चंद्र ग्रहण?

जब पूर्ण चंद्र ग्रहण की स्थिति बनती है तब चंद्रमा पूरी तरह से लाल नजर आता है. यही वजह है कि इसे ब्लड मून भी कहते हैं. नासा के मुताबिक जब सूर्य की किरणें पृथ्वी के वायुमंडल से होकर चंद्रमा तक पहुंचती हैं, इस दौरान तब वायुमंडल में मौजूद सूक्ष्म और धूलकण की वजह से चंद्रमा हमें लाल नजर आता है.

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कई तरंगों से होकर प्रकाश चंद्रमा तक पहुंचता है. यही वजह है कि कई अलग-अलग तरह के प्रकाश नजर आते हैं. यही वजह है कि उस वक्त में आसमान नीला नजर आता है. 

कितने तरह का होता है चंद्र ग्रहण?

जब सूरज और चांद के बीच पृथ्वी पूरी तरह नहीं आती है लेकिन उसकी छाया चंद्रमा पर पड़ती है, तब आंशिक चंद्र ग्रहण होता है. यह ग्रहण कम वक्त के लिए लगता है. वहीं जब चंद्र पर पृथ्वी की छाया न पड़कर उपछाया पड़ती है, तो इसे उपच्‍छाया चंद्र ग्रहण कहते हैं. इस दौरान चांद की रोशनी धुंधली हो जाती है और चांद हमें मटमैला नजर आता है. पूर्ण चंद्र ग्रहण में चंद्रमा में पूरी तरह से पृथ्वी की छाया से ढक जाता है.

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क्यों खास है इस साल का चंद्र ग्रहण?

7 नवंबर को होने वाला चंद्र ग्रहण इसलिए खास है क्योंकि ऐसी स्थिति 2025 तक नहीं बनने वाली है. अगला पूर्ण चंद्र ग्रहण 7 सितंबर, 2025 को होगा. 2025 में होने वाला ग्रहण यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका में दिखाई देगा. दक्षिण अमेरिका में पूर्व, प्रशांत, अटलांटिक, हिंद महासागर, आर्कटिक और अंटार्कटिका में भी यह नजर आएगा.

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