Twitter
Advertisement
  • LATEST
  • WEBSTORY
  • TRENDING
  • PHOTOS
  • ENTERTAINMENT

800 साल पुराना है 'अढ़ाई दिन का झोपड़ा', जानें कैसे रखा गया इसका यह अनोखा नाम

राजस्थान के अजमेर स्थित अढ़ाई दिन का झोपड़ा काफी प्रसिद्ध है. आइए जानते है कि इसका निर्माण कैसे हुआ, क्या है विवाद की वजह और क्या है इसके नाम के पीछे की कहानी.

Latest News
800 साल पुराना है 'अढ़ाई दिन का झोपड़ा', जानें कैसे रखा गया इसका यह अनोखा नाम

Dhai din ka jhonpra 

FacebookTwitterWhatsappLinkedin

TRENDING NOW

हाल के वर्षों में मंदिर और मस्जिदों का विवाद फिर सिर उठाने लगा है. ज्ञानवापी मस्जिद विवाद के बाद अढ़ाई दिन का झोपड़ा पर भी काफी समय से विवाद चला आ रहा है. अढ़ाई दिन का झोपड़ा का विवाद क्या है इसे जानने के लिए आइए इसके इतिहास में चलते हैं.

ढाई दिन का झोपड़ा अजमेर की सबसे पुरानी मस्जिद है, जो भारतीय उपमहाद्वीप की इंडो-इस्लामिक वास्तुकला का बेहतरीन उदाहरण है. ऐसा दावा किया जाता है कि पहले यह एक भारतीय इमारत हुआ करती थी, जिसे सल्तनत राजवंश के समय तोड़ कर एक इस्लामी संरचना में बदल दिया गया था. इसमें हिंदू, इस्लामी और जैन वास्तुकला के जैसी झलक देखने को मिलती है.


यह भी पढ़े: CM Helpline पर की गई शिकायत वापस न लेने पर CEO ने किसान को बुरी तरह पीटा, केस दर्ज


कुछ ऐसे हुआ था निर्माण
अगर अढ़ाई दिन का झोपड़ा के निर्माण की बात करें तो इसे 1192 ईस्वी में अफगानी शासक मोहम्मद गोरी के कहने पर सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक ने बनवाया था. कहा जाता है कि यहा पहले एक बहुत बड़ा संस्कृत विद्यालय और मंदिर हुआ करते थे जिन्हें तोड़ कर मस्जिद में बदल दिया गया. बता दें कि मस्जिद के मुख्य द्वार की बाईं ओर एक संगमरमर का शिलालेख बना हुआ है, जिसके ऊपर संस्कृत में उन विद्यालय का जिक्र किया हुआ है. 


यह भी पढ़े: Farmers Protest: किसान आंदोलन में उपद्रवियों की नहीं खैर, रद्द होंगे पासपोर्ट-वीजा


सेठ वीरमदेव ने बनवाया था जैन मंदिर 
कई लोगों का यह भी कहना है कि अढ़ाई दिन का झोपड़ा एक जैन मंदिर है, जिसे छठी शताब्दी में सेठ वीरमदेव काला ने बनवाया था. वहीं दूसरी ओर कई शिलालेखों से यह पता चलता है कि चौहान राजवंश के दौरान यहां पर एक संस्कृत कॉलेज हुआ करता था, जिसे मुहम्मद गोरी और कुतुबुद्दीन ऐबक ने मस्जिद में बदल दिया. इसके बाद से यह मस्जिद के रूप में ही जाना जाता है. 


यह भी पढ़ें- 2 से ज्यादा बच्चे हुए तो नहीं मिलेगी सरकारी नौकरी, SC ने कर दिया कंफर्म


नाम का इतिहास 
लोककथाओं के अनुसार, अफगान शासक मुहम्मद गोरी ने अजमेर से गुजरते समय इस इमारत को देखा था. इसके बाद उन्होंने कुतुबुद्दीन ऐबक को इसे एक मस्जिद में बदलने के लिए 60 घंटे यानी ढाई दिन का समय दिया था. लेकिन ढाई घंटे में इमारत तोड़कर मस्जिद बनाना आसान नहीं था, इसलिए उसमें थोड़े बदलाव किए गए जिससे वो मस्जिद की तरह लगे और वहां नमाज पढ़ी जा सके. जिसके बाद से इसका नाम अढ़ाई दिन का झोपड़ा पढ़ गया. 

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Advertisement

Live tv

Advertisement

पसंदीदा वीडियो

Advertisement