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Dhanteras: धनतेरस पर क्यों जरूर करनी चाहिए भगवान धन्वंतरि की पूजा, जानें महत्व और कथा

Dhanvantari Puja : धनतेरस पर केवल भगवान कुबेर या देवी लक्ष्मी की पूजा का ही विधान नहीं है, बल्कि इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा भी की जाती है.

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Dhanteras:  धनतेरस पर क्यों जरूर करनी चाहिए भगवान धन्वंतरि की पूजा, जानें महत्व और कथा

धनतेरस पर आखिर क्यों जरूर करनी चाहिए भगवान धन्वंतरि की पूजा

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डीएनए हिंदीः एक कहावत भी है कि हेल्थ इज वेल्थ और धनतेरस स्वास्थ्य और धन दोनों का ही त्योहार है. इस दिन आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि की जयंती होती है. मान्यता है कि धनतेरस पर धन और अरोग्य के लिए इनकी पूजा भी जरूर करनी चाहिए.

हिन्दू धर्म की पौराणिक कथाओं में भगवान विष्णु के 12वें अवतार के रूप में भगवान धन्वंतरि को माना गया है. कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि के ही भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था और यही कारण है कि धनतेरस पर इनकी पूजा का भी विधान है. 

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ऐसा ही भगवान धन्वंतरि का रूप 
बात करें अगर भगवान धन्वंतरि के रूप की तो उनकी चार भुजाएं हैं और एक हाथ में आयुर्वेद ग्रंथ साथ ही दूसरे हाथ में औषधि कलश होता है. तीसरे हाथ में जड़ी बूटी और चौथे हाथ में उन्होंने शंख धारण किया है. भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद के जनक के रूप में भी जाता है.

काशी के राजवंश में जन्मे थे धन्वंतरि
भगान धन्वंतरि काशी के राजवंश में धन्व नाम के राजा ने कठोर तप से  अज्ज देव को प्रसन्न किया था और वरदान में उन्हें धन्वंतरि नाम का पुत्र मिला था. हालांकि धन्वंतरि के जन्म की अन्य कई और कथाएं भी प्रचलित हैं. 

इसलिए होती है भगवान धन्वंतरि की धनतेरस पर पूजा
स्कंद पुराण में भगवान धन्वंतरि के जन्म का वर्णन मिलता है और बताया गया है कि उनका जन्म समुद्र मंथन से हुआ था. भगवान धन्वंतरि की तिथि के साथ अमावस्या के दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था और इस कारण से दिवाली से पहले धनतेरस मनाया जाता है और यह धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है. यही वजह है कि धनतेरस पर कुबेर, देवी लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की पूजा जरूर होती है. 

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मृत व्यक्ति को जीवित कर देते थे भगवान धन्वन्तरि
इसके अतिरिक्त आयुर्वेद के प्रणेता भगवान धन्वन्तरि का प्राकट्य भी इसी दिन होने के कारण वैद्य समाज में धनतेरस को धन्वन्तरि जयंती के रूप में मनाया जाता है. कहा जाता है कि भगवान् धन्वन्तरि की चिकित्सा में इतनी शक्ति थी के वे मृत व्यक्ति तक को भी जीवित कर दिया करते थे और उनकी शक्ति से मुरझाया हुआ पौधा भी जीवित हो उठता था.

भगवान धन्वन्तरि से देवताओं ने किया छल
देवता गण इनकी चिकित्सा शक्ति देखकर घबरा गए और सोचने लगे कि यदि ये एक-एक कर सभी मृत मनुष्यों को जीवित करने लगेंगे तो सृष्टि का नियम ही बदल जाएगा और प्रकृति का संतुलन बिगड़ जाएगा. सभी देवों ने छल कपट कर इन्हें गायब कर दिया और क्षीर सागर में छिपा दिया. देवों और असुरों में जब समुद्र मंथन हुआ तब ये उसमें से प्रगट हो गए. इसीलिए आयुर्वेद के सभी चिकित्सक इस दिन इनका पूजन करते हैं और कामना करते हैं कि उनकी चिकित्सा में भी भगवान धन्वन्तरि जैसी शक्ति आ जाए.

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धनवंतरी स्तोत्र मंत्र

ओम शंखं चक्रं जलौकां दधदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्मिः.
सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमंभोजनेत्रम॥
कालाम्भोदोज्ज्वलांगं कटितटविलसच्चारूपीतांबराढ्यम.
वन्दे धन्वंतरिं तं निखिलगदवनप्रौढदावाग्निलीलम॥
 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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