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Bel Patra Ke Upay: सावन में शिवलिंग पर हर दिन बेल पत्र चढ़ाने से होती है ये कृपा, भगवान शिव हाे जाएंगे प्रसन्न

भगवान शिव को बेलपत्र बेहद प्रिय होती है. सावन में इन्हें शिवलिंग पर अर्पित करने से भगवान मनोकामना पूर्ण करते हैं, लेकिन बहुत से लोग इन्हें चढ़ाने का सही तरीका नहीं जानते हैं. आइए जानते हैं कितनी और कैसे बेलपत्र भगवान शिव को अर्पित की जाती हैं.

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डीएनए हिंदी: सावन आते ही मंदिरों में शिव भक्तों की भीड़ लग जाती है. सुबह से लेकर शाम तक श्रद्धालु भोलेनाथ आराधना कर रहे हैं. जलाभिषेक में दूध से शहद तक शामिल करते हैं. इसके साथ ही​ भगवान शिव की मनपसंद चीजों को शामिल करते है. ज्यादातर लोग भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा भी चढ़ाते हैं. ये भगवान शिव को सबसे ज्यादा प्रिय है. उसे भी बड़ी बात यह है कि भगवान​ शिव को बेल पत्र ​चढ़ाने का एक अलग नियम होता है. ज्यादातर लोग इसे बिना जानें ही और अक्सर भीड़भाड़ की वजह से बेलपत्र शिवलिंग या उसके आसपास रखकर चले आते हैं. यह सही तरीका नहीं है. 

अगर आप भगवान शिव को प्रसन्न कर उनकी कृपा पाना चाहते हैं तो शिवलिंग पर बेलपत्र का सही तरीका जान लें. इसे भगवान शिव जल्द प्रसन्न होकर मनोकामना पूर्ण करने के साथ ही आपके जीवन में आने वाले कष्ट और दुखों को हर लेते हैं. 

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आइए जानते हैं कितने बेल पत्र चढ़ाने चाहिए और उनका सही तरीका 

शास्त्रों की मानें तो भगवान शिव को बेल पत्र बेहद प्रिय है. खासकर सावन के माह में बेलपत्र चढ़ाना बेहद लाभकारी होता है. साथ ही भगवान शिव को कम से कम पांच बेलपत्र अर्पित करने चाहिए. इन्हें अलग अलग पांच जगहों पर रखना चाहिए. 

-सबसे पहला बेल पत्र  भगवान शिव के निष्ठावान भक्त नंदी महाराज को चढ़ाना चाहिए. 

-दूसरा बेल पत्र शिवलिंग के उपर स्थित जलहरी पर सीधे हाथ की तरफ गुणेश जी के पास चढ़ाना चाहिए.

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-तीसरा बेल पत्र शिवलिंग से जिस तरफ जल निकलकर जाता है. उस स्थान पर चढ़ाना चाहिए. 

-चौथा बेल पत्र शिवलिंग के ऊपर स्थित कलश, जिसे भगवान शिव पर गिरता है. उस कलश पर रखना चाहिए. 

-आखिरी यानी पांचवां बेल पत्र शिवलिंग के ऊपर अर्पित करना चाहिए, जिसका पूजन आप कर रहे हैं. 

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बेलपत्र के बताएं जाते हैं कई महत्व

भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित करने की तीन अलग अलग मान्यताएं बताई जाती है. इनमें एक यह है कि, जब भगवान ने विश पिया था. तब बेलपत्र की पत्ती खाने से उन्हें राहत मिली थी. वहीं दूसरा बेलपत्र में तीन पत्तियां होती है. इन्हें त्रिनेत्र का प्रतिक माना जाता है. इसके अलावा तीसरी बेलपत्र को भगवान शिव की अति प्रिय बताया गया है. इसे अर्पित करने पर भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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