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Bhanu Saptami 2023: आज रखा जाएगा सावन का भानु सप्तमी व्रत, कुंडली में सूर्य को मजबूत करने के लिए इस विधि से करें पूजा

Sawan Bhanu Saptami 2023: भानु सप्तमी को रथ सप्तमी के नाम से भी जाना जाात है. अब 9 जुलाई को सावन माह की कृष्ण पक्ष भानु सप्तमी मनाई जाएगी.

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Bhanu Saptami 2023: आज रखा जाएगा सावन का भानु सप्तमी व्रत, कुंडली में सूर्य को मजबूत करने के लिए इस विधि से करें पूजा

Bhanu Saptami 2023

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डीएनए हिंदीः सनातन धर्म में पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को भानु सप्तमी का व्रत (Bhanu Saptami 2023) रखा जाता है. भानु सप्तमी के व्रत (Bhanu Saptami 2023) का धार्मिक और पौराणिक महत्व बताया गया है. भानु सप्तमी (Bhanu Saptami 2023) का दिन सूर्य देव की पूजा-अर्चना और उपासना के लिए खास होता है. भानु सप्तमी को रथ सप्तमी (Ratha Saptami 2023) के नाम से भी जाना जाात है. अब जुलाई में सावन माह की कृष्ण पक्ष भानु सप्तमी (Sawan Bhanu Saptami 2023) मनाई जाएगी. सावन की भानु सप्तमी का व्रत 9 जुलाई 2023 को रखा जाएगा. यह व्रत (Bhanu Saptami 2023) करने से जातक को कई रोग दोष से मुक्ति मिलती है. तो चलिए आपको इस व्रत की पूजा विधि, महत्व और मंत्रों के बारे में बताते हैं.

भानु सप्तमी का महत्व (Bhanu Saptami 2023 Significance)
भानु सप्तमी का दिन सूर्य देव की उपासना करने के लिए उचित होता है. कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत करने के लिए भानु सप्तमी का व्रत किया जाता है. कुंडली में सूर्य के मजबूत होने से व्यक्ति को करियर और कारोबार में सफलता मिलती है और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है. यह व्रत करने से मनचाही नौकरी की भी इच्छा पूरी होती है.

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भानु सप्तमी पूजा विधि (Bhanu Saptami 2023 Puja Vidhi)
- सावन माह की भानु सप्तमी का व्रत 9 जुलाई को है. इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठने के बाद स्नान कर साफ कपड़े पहनें.
- इस दिन आपको गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए. ऐसा संभव न हो तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर लें.
- सुबह सूर्योदय के समय सूर्य देवता को प्रणाम करें और व्रत का संकल्प लें. बहते जल में काले तिल प्रवाहित करना शुभ माना जाता है.
- भानु सप्तमी पर जल में चावल, काले तिल, रोली और दूर्वा डालकर सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए.

सूर्य को अर्घ्य देते समय इस मंत्र का करें जाप 
एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते
अनुकम्पय मां देवी गृहाणा‌र्घ्यं दिवाकर
ॐ भूर्भुवः स्वःतत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्यः धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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