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Devshayani Ekadashi 2024: आज है देवशयनी एकादशी, 18 जुलाई को पारण कितने बजे तक होगा और व्रत खोलने पर क्या खाएं?

Ekadashi Paran Rule: आज देवशयनी एकादशी है और आज के दिन ही भगवान विष्णु 4 महीने के लिए पाताल लोक में सोने जाते हैं. देवशयनी एकदशी से ही सारे शुभ काम भी रुक जाते हैं. आज का व्रत का महातम बहुत माना गया है लेकिन अगर पारण सही समय पर न किया जाए तो इसके शुभफल की प्राप्ति नहीं होती है.

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Devshayani Ekadashi 2024: आज है देवशयनी एकादशी, 18 जुलाई को पारण कितने बजे तक होगा और व्रत खोलने पर क्या खाएं?

Devshayani Ekadashi 2024 Paran Vidhi

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किसी भी एकादशी व्रत को संपूर्ण तभी माना जाता है जब उसके व्रत का पारण सही समय पर और सही चीज के साथ किया जाए तो तभी इसे पूर्ण माना जाता है. आषाढ़ी एकादशी , हरि शयनी एकादशी या देवशयनी एकादशी आज यानी 17 जुलाई को मनाई जा रही है और इसका पारण द्वादशी तिथि यानी 18 जुलाई 2024 को होगा. 18 जुलाई को व्रत खोलने का शुभ मुहूर्त क्या है और क्या खाकर पारण करना चाहिए ये जरूर जा लें.

देवशयनी एकादशी का पारण कितने बजे तक होगा? 

देवशयनी एकादशी का व्रत साल 2024 में 17 जुलाई यानी आज है लेकिन एकादशी तिथि का आरंभ 16 जुलाई की रात्रि में 8 बजकर 32 मिनट से हो गया था और एकादशी तिथि का समापन 17 जुलाई की रात्रि में लगभग 9 बजे होगा. लेकिन उदयातिथि के अनुसार देवशयनी एकादशी का व्रत 17 जुलाई ही रखा जा रहा है.

उसी अनुसार एकादशी व्रत का पारण अगली तिथि यानि द्वादशी को किया जाएगा. व्रत के पारण का शुभ समय 18 जुलाई को सुबह  5 बजकर 36 मिनट से 8 बजकर 20 मिनट तक रहेगा. इस समय आप विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद व्रत खोल सकते हैं. 

 

 

देवशयनी एकादशी पारण कैसे करें?

भक्त सबसे पहले पवित्र स्नान करें और अपनी बाल्टी में पानी भरने से पहले उसमें गंगाजल की कुछ बूंदें डालें और फिर स्नान करें. पवित्र जल से अपने मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध करें. भगवान विष्णु या भगवान कृष्ण या लड्डू गोपाल जी की मूर्ति लें और उन्हें पंचामृत और सामान्य जल से स्नान कराएं. मूर्तियों को साफ करें और फिर उन्हें आसन पर रख दें.

फिर घर में बने प्रसाद, मिठाई जैसे हलवा या खीर के भोग में तुलसी पत्र रखें. अब, भगवान के सामने एक दीया जलाएं, मूर्तियों को फूलों और मालाओं से सजाएं. कुछ तुलसी पत्र अलग से लें और इसे भगवान विष्णु को अर्पित करें. पांच मौसमी फल लें और इसे भगवान को अर्पित करें. अब, आपको विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए, भगवान श्री हरि को समर्पित विभिन्न मंत्रों का जाप करना चाहिए सभी गलतियों के लिए माफी मांगे. इसके बाद प्रसाद से अपने व्रत को खोलें और सात्विक भोजन करें और आज के दिन भी चावल से परहेज करें. 

देवशयनी एकादशी इतनी खास क्यों है?

देवशयनी एकादशी को सबसे पवित्र एकादशी में से एक माना जाता है और यह वह दिन है जब भगवान विष्णु क्षीर सागर में जाते हैं और चार महीने तक वहाँ विश्राम करते हैं, इसीलिए इस अवधि को चातुर्मास कहा जाता है. इन महीनों के दौरान, अलग-अलग समय पर विभिन्न देवता इस ब्रह्मांड की देखभाल करने वाले होते हैं.

यह वह दिन है जब भक्त अपने अच्छे कर्मों से भगवान विष्णु को प्रसन्न कर सकते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं. व्यक्ति को भगवान से अपनी सच्ची प्रार्थना करनी चाहिए और विभिन्न पूजा अनुष्ठान करने चाहिए और उन्हें दान-पुण्य में शामिल होना चाहिए ताकि वे अच्छे कर्म अर्जित कर सकें और लोगों को धार्मिकता के मार्ग का अनुसरण करना चाहिए क्योंकि इससे भगवान विष्णु अधिक प्रसन्न होते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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