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Jagannath Puri Rath Yatra: आज से शुरू हुई रथ यात्रा, जानें जगन्नाथ को लगने वाले महाप्रसाद का रहस्य

आज से Jagannath Puri Rath Yatra शुरू, जानिए यहां बनने और लगने वाला प्रसाद कैसे बनता है और इसकी खासियत क्या है

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Jagannath Puri Rath Yatra: आज से शुरू हुई रथ यात्रा, जानें जगन्नाथ को लगने वाले महाप्रसाद का रहस्य
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डीएनए हिंदी: ओडिशा के पुरी में हर साल आषाढ़ मास में जगन्‍नाथ पुरी क रथ यात्रा निकलती है. आज से यह रथ यात्रा शुरू हो गई. भगवान विष्‍णु के प्रमुख अवतारों में से एक भगवान जगन्‍नाथ की यह रथ यात्रा बेहद मशहूर है. इस यात्रा में शामिल होने के लिए देश-दुनिया से लोग आते हैं.कोरोना की वजह से पिछले दो सालों से इस यात्रा में ज्यादा भीड़ नहीं हुई लेकिन इस बार लाखों की तादाद में लोग यहां आएंगे.

आज सुबह से ही वहां तैयारियां जोरों शोरो से चल रही है. रथ यात्रा की ही तरह पुरी का प्रसाद भी बेहद मशहूर है,इसे 'महाप्रसाद' कहा जाता है.ये प्रसाद बहुत ही खास और खास तरीके से बनता है. आईए जानते हैं ये प्रसाद बनता कैसे है और इसका इतना महत्व क्यों है

जगन्नाथ रथ यात्रा महाप्रसाद

गंगा-यमुना के पानी से बनता है प्रसाद (Lord Jagnnath Puris Mahaprasad made by Ganga Yamuna Water in Hindi)

मंदिर की रसोई में बनने वाले प्रसाद को तैयार करने के लिए न केवल पवित्रता का ख्‍याल रखा जाता है बल्कि इसे बनाने के लिए पानी भी खास तरह का इस्‍तेमाल होता है. जी हां, गंगा यमुना के पानी से ये प्रसाद बनता है. आप सोच रहे होंगे क्या ये गंगा यमुना वही नदी का पानी है लेकिन नहीं, ये पानी किचन के पास के 2 कुओं से आता है, जिसका नाम गंगा-यमुना हैं.ये महाप्रसाद बड़ी मात्रा में बनता है और इसे बहुत सारे लोग मिलकर बनाते हैं. 

यह भी पढ़ें- ये है जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा के पीछे की कहानी, पढ़ें श्री कृष्ण की रोचक कथाएं  

800 लोग मिलकर तैयार करते हैं भोग (800 People make this prasad)

जगन्‍नाथ मंदिर के किचन को दुनिया का सबसे बड़ा किचन कहा जाता है. यहां बहुत बड़ी मात्रा में रोजाना भोग (महाप्रसाद) तैयार किया जाता है. भोग की मात्रा इतनी ज्‍यादा होती है कि इसे तैयार करने के लिए एक बार में किचन में कम से कम 800 लोग काम करते हैं. इसमें से करीब 500 रसोइए होते हैं और 300 लोग इनकी मदद के लिए होते हैं. 

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महाप्रसाद पकाने का तरीका भी अजीब (How to prepare Mahaprasad)

जगन्नाथ मंदिर में तैयार होने वाले महाप्रसाद को पकाने में केवल मिट्टी के बर्तनों का ही उपयोग किया जाता है. इसके लिए इन बर्तनों को एक के ऊपर एक रखा जाता है और चौंकाने वाली बात यह है कि सबसे ऊपर रखे बर्तन का खाना सबसे पहले और नीचे रखे बर्तन का भोजन सबसे बाद में पकता है. मान्‍यता है कि जगन्‍नाथ मंदिर के किचन में पूरा भोग मा लक्ष्‍मी की देख-रेख में तैयार होता है. इस महाप्रसाद की महिमा ऐसी है कि इसे पाने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. 

आपको बता दें कि आज सुबह 7 बजे भगवान मंदिर से बाहर निकले और 12 जुलाई तक यह यात्रा चलने वाली है 

 

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