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17 या 18 सितंबर कब है जीवित्पुत्रिका व्रत, जानें पूजा और पारण टाइमिंग व पावन व्रत कथा

Jitiya Vrat 2022 Confirmed Date: जितिया व्रत की तारीख को लेकर भ्रम की स्थिति है. चलिए बताएं कि 17 या 18 सितंबर कब है जीवित्पुत्रिका व्रत.

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17 या 18 सितंबर कब है जीवित्पुत्रिका व्रत, जानें पूजा और पारण टाइमिंग व पावन व्रत कथा

17 या 18 सितंबर कब है जीवित्पुत्रिका व्र

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डीएनए हिंदीः संतान प्राप्ति और उसकी दीर्घायु जीवन की कामना के लिए माएं जितिया व्रत का अनुष्ठान करती हैं. 36 घंटे चलने वाला ये निर्जला  व्रत किस दिन रखा जाना है, इसकी डेट को लेकर बहुत कंफ्यूजन है.

अगर डेट को लेकर आपको भी असमंजस है तो आपके लिए ये खबर काम की है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाता है.

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हिंदू पंचांग के अनुसार, 17 सितंबर को दोपहर 02 बजकर 14 मिनट पर अष्टमी तिथि प्रारंभ हो रही है और 18 सितंबर को दोपहर 04 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी. उदया तिथि के अनुसार, जीवित्पुत्रिका व्रत 18 सितंबर को रखा जाएगा. अगर आप तिथि के अनुसार व्रत रखना चाहती हैं तो आज यानी 16 सितंबर को नहाय-खाय होगा और व्रत 17 सितंबर को रखा जाएगा लेकिन अगर आप उदया तिथि के अनुसार नहाय खाय 17 सितंबर को होगा और व्रत का पारण18 सितंबर और पारण 19 सितंबर को होगा.

जितिया व्रत 2022 व्रत पारण टाइमिंग
जितिया व्रत का पारण भी भी 18 सितंबर होगी और उदया तिथि के अनुसार 19 सितंबर 2022 को सुबह 06 बजकर 10 मिनट के बाद किया जा सकेगा.

जितिया व्रत की पूजा विधि (Jitiya Vrat Puja Vidhi)

व्रत के लिए भोर में उठकर स्नान करना चाहिए और फिर साफ वस्त्र धारण करना चाहिए.इसके बाद व्रत रखने वाली महिलाओं को प्रदोष काल में गाय के गोबर से पूजा स्थल साफ करना चाहिए.व्रत के नियमों के अनुसार,एक छोटा सा तालाब बनाया जाता है और उसके पास एक पाकड़ की डाल खड़ी की जाती है.फिर,शालीवाहन राजा के पुत्र धर्मात्मा जीमूतवाहन की मूर्ति को जल के पात्र में स्थापित किया जाता है. सूर्य को पानी डालने के बाद ही महिलाएं कुछ खाती हैं.

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जिउतिया व्रत की पौराणिक कथा-

गन्धर्वराज जीमूतवाहन बड़े धर्मात्मा और त्यागी पुरुष थे. युवाकाल में ही राजपाट छोड़कर वन में पिता की सेवा करने चले गए थे. एक दिन भ्रमण करते हुए उन्हें नागमाता मिली, जब जीमूतवाहन ने उनके विलाप करने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि नागवंश गरुड़ से काफी परेशान है, वंश की रक्षा करने के लिए वंश ने गरुड़ से समझौता किया है कि वे प्रतिदिन उसे एक नाग खाने के लिए देंगे और इसके बदले वो हमारा सामूहिक शिकार नहीं करेगा. इस प्रक्रिया में आज उसके पुत्र को गरुड़ के सामने जाना है. नागमाता की पूरी बात सुनकर जीमूतवाहन ने उन्हें वचन दिया कि वे उनके पुत्र को कुछ नहीं होने देंगे और उसकी जगह कपड़े में लिपटकर खुद गरुड़ के सामने उस शिला पर लेट जाएंगे, जहां से गरुड़ अपना आहार उठाता है और उन्होंने ऐसा ही किया. गरुड़ ने जीमूतवाहन को अपने पंजों में दबाकर पहाड़ की तरफ उड़ चला. जब गरुड़ ने देखा कि हमेशा की तरह नाग चिल्लाने और रोने की जगह शांत है, तो उसने कपड़ा हटाकर जीमूतवाहन को पाया. जीमूतवाहन ने सारी कहानी गरुड़ को बता दी, जिसके बाद उसने जीमूतवाहन को छोड़ दिया और नागों को ना खाने का भी वचन दिया.
 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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