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Ravan Vadh: क्या किसी श्राप की वजह से ब्रह्मा जी के पोते रावण का चरित्र था ऐसा? जानिए रामायण की यह कहानी

Ravan Vadh : सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी के मानस पुत्र और ब्राह्मण कुल में जन्म लेने के बावजूद भी रावण राक्षस कैसे बना? यह है किस्सा

Ravan Vadh: क्या किसी श्राप की वजह से ब्रह्मा जी के पोते रावण का चरित्र था ऐसा? जानिए रामायण की यह कहानी

ऋषियों के श्राप की वजह से रावण बना राक्षस

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डीएनए हिंदीः हर साल शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2022) के अंतिम दिन पर रावण का पुतला दहन किया जाता है. कहा जाता है इस दिन भगवान राम ने रावण का वध (Raavan Vadh) किया था. परम विद्वान, महा बलशाली रावण का जन्म ब्रह्मा जी के मानस पुत्र पुलत्स्य के घर हुआ था (Ravan was Brahmin by Birth). ऐसे में आपके मन मे सवाल उठ रहा होगा कि आखिर सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी के मानस पुत्र और ब्राह्मण कुल में जन्म लेने के बावजूद भी रावण राक्षस कुल का अधिपति कैसे बना? रावण 4 वेदों और 6 दर्शन का ज्ञाता था, जिसके बावजूद भी अशुद्ध राक्षसी आचरण उसके अंदर प्रवेश कर गये, आखिर ऐसा क्यों हुआ?  चलिए जानते हैं, क्या है रावण के राक्षस बनने की वजह?

ऋषियों का श्राप मिला था रावण को 

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार सनत औऱ सनंदन दो ऋषि भगवान विष्णु के दर्शन के लिए बैकुंठ धाम पधारे. वहां भगवान विष्णु के दो द्वारपाल जय और विजय ने उन्हें प्रवेश देने से मना कर दिया. जिससे दोनों ऋषि क्रोध में आ गए और उन्हें राक्षस होने का श्राप दे दिया. ऐसे में जय और विजय को अपनी गलती का अहसास हुआ और ऋषि सनत व सनंदन से क्षमा याचना करने लगे. जब इस बात की जानकारी भगवान विष्णु को हुई तब उन्होंने ऋषियों से जय और विजय को क्षमा करने का आग्रह किया. 

भगवान विष्णु के कहने पर ऋषियों ने श्राप की तीव्रता को कम करते हुए कहा कि तीन जन्मों तक राक्षस रहने के बाद ही इनको इस योनि से मुक्ति मिलेगी. साथ ही इस योनि से मुक्ति पाने के लिए इनको भगवान विष्णु के अवतार से मरना होगा.

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इस तरह जय और विजय का पहला जन्म हिरण्यकश्यप और हिरण्याक्ष के रूप में हुआ जहां भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार और वाराह रूपी अवतार से उनका उद्धार हुआ.
दूसरे जन्म में रावण और कुम्भकरण के रूप में जन्म लिया जहां भगवान राम ने उनका उद्धार किया. तीसरे जन्म में उन्होंने शिशुपाल और दंतवक्त्र रूप में जन्म लिया जहां श्री कृष्ण ने उनका उद्धार किया था.

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ऐसे हुआ रावण का उद्धार 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रावण ने तप करके तमाम सिद्धियां प्राप्त कर ली थीं और ब्रह्मा जी को प्रसन्न करने के लिए अग्नि में अपना सिर काटकर भेंट कर दिया था. जिससे प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने रावण को वरदान दिया कि तुम्हें दैत्य, दानव, यक्ष कोई भी नहीं परास्त कर सकेगा. इसलिए भगवान विष्णु ने नर रूप में श्री राम अवतार लिया और वानरों की सहायता से रावण सहित उसके पूरे कुल का नाश किया.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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