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Pitru paksha 2022: कई प्रकार के होते हैं श्राद्ध, जानें क्या है महत्व और इनसे जुड़े नियम

Pitru Paksha में पितरों की शांति के लिए श्राद्ध किए जाते हैं. श्राद्ध के कई प्रकार होते हैं. जानेंं कितने प्रकार के होते हैं श्राद्ध और उनके महत्व भी

Pitru paksha 2022: कई प्रकार के होते हैं श्राद्ध, जानें क्या है महत्व और इनसे जुड़े नियम

जानें कितने प्रकार के होते हैं श्राद्ध 

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डीएनए हिंदी : 10 सितंबर से पितृपक्ष (Pitru paksha 2022) शुरू हो रहा है. इस पक्ष में पितरों की आत्मा की संतुष्टि के लिए पिंडदान, तर्पण श्राद्ध इत्यादि किया जाता है. मान्यता है कि इस दौरान पितरों का पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध आदि करने से पितृ तृप्त होते हैं. हिंदू धर्म के अनुसार पितृपक्ष के दौरान कई तरह के श्राद्ध किए जाते हैं. धर्म ग्रंथो में मनुष्य के तीन प्रमुख ऋण, देव ऋण, पितृ ऋण, ऋषि ऋण का उल्लेख मिलता है. इन सभी मे पितृ ऋण से मुक्ति पाने के लिए श्राद्ध को सबसे उत्तम साधन बताया गया है. इसलिए पितृपक्ष के दौरान पितृ ऋण उतारने के लिए श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण किया जाता है.

मान्यताओं के अनुसार हिंदू धर्म में पितृपक्ष के दौरान यदि कोई विधि-विधान से श्राद्ध (shradh) करता है तो उस व्यक्ति के पितृ प्रसन्न होते हैं. पितरों से जुड़ी तिथि पर श्राद्ध करने से पितरों की कृपा बरसती है.

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जानें कितने प्रकार के होते हैं श्राद्ध (Types of Shradh)

नित्य श्राद्ध: पितृपक्ष के दौरान यह श्राद्ध प्रतिदिन किया जाता है. यह श्राद्ध अर्ध्य और आवाहन के बिना ही निश्चित किए गए किसी भी अवसर पर किया जाता  है.

नैमित्तिक श्राद्ध: इस श्राद्ध का काल अनिश्चित है. यह पुत्र जन्म आदि के समय पर किया जाता है. यह श्राद्ध देवताओं की तृप्ति के लिए किया जाता है.

काम्य श्राद्ध: श्राद्ध पक्ष के दौरान यह श्राद्ध शुभ फल और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए किया जाता है. लोग यह श्राद्ध संतति, मोक्ष और मनोकामना पूर्ति के लिए करते हैं. 

शुद्धयर्थ श्राद्ध: पितृपक्ष के दौरान यह श्राद्ध शुद्धि की कामना के लिए किया जाता है.

पुष्टयर्थ श्राद्ध: इस श्राद्ध को करने से मनुष्य के तन, मन, धन, अन्न आदि की पुष्टि होती है.

दैविक श्राद्ध: इस श्राद्ध को करने से आराध्य देवी- देवताओं का आशीर्वाद मिलता है और सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं.

यात्रार्थ श्राद्ध:  किसी सुरक्षित और सफल यात्रा की कामना के लिए यह श्राद्ध किया जाता है.

कर्मांग श्राद्ध: सनातन परंपरा में किए जाने वाले 16 संस्कारों के दौरान कर्मांग श्राद्ध किया जाता है.

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गोष्ठी श्राद्ध: परिवार के सभी सदस्यों के साथ मिलकर यह श्राद्ध सामूहिक रूप से किया जाता है. गोष्ठी श्राद्ध करने से परिवार के सभी सदस्यों को लाभ होता है.

वृद्धि श्राद्ध: वृद्धि श्राद्ध के करने से परिवार मे वृद्धि यानी संतान प्राप्ति, शादी-विवाह आदि की कामना पूरी होती है.

पार्वण श्राद्ध: पार्वण श्राद्ध पितृपक्ष के दौरान प्रत्येक मास की अमावस्या आदि पर बड़े बुजुर्गों जैसे दादा-दादी आदि की सन्तुष्टि के लिए किया जाता है.

सपिण्डन श्राद्ध: किसी व्यक्ति के मृत्यु के 12वें दिन पर सपिण्डन श्राद्ध किया जाता है. कहा जाता है कि इस श्राद्ध के करने से मृत आत्मा का मिलन पितरों से होता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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