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Panchvati Ramlala Rituals Start: पीएम मोदी ने पंचवटी से ही क्यों की 11 दिनों के विशेष अनुष्ठान की शुरुआत, ये है वजह

पंचवटी स्थान का संबंध श्रीराम से है. वाल्मिकी रामायण, अरण्यकांड, रामचरितमानस, रामचन्द्रिका, साकेत, पंचवटी, साकेत-सन्त आदि काव्यों के अतिरिक्त काव्यों में पंचवटी का विस्तार से वर्णन मिलता है.

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Panchvati Ramlala Rituals Start: पीएम मोदी ने पंचवटी से ही क्यों की 11 दिनों के विशेष अनुष्ठान की शुरुआत, ये है वजह
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डीएनए हिंदीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल 12 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 11 दिनों का विशेष अनुष्ठान शुरू कर दिया है. पीएम नरेंद्र मोदी ने नासिक के पंचवटी से समारोह की शुरुआत की है. पंचवटी स्थान का संबंध श्रीराम से है.

वाल्मिकी रामायण के अलावा अरण्यकांड, रामचरितमानस, रामचन्द्रिका, साकेत, पंचवटी, साकेत-संत आदि ने पंचवटी पर विस्तार से प्रकाश डाला है. भगवान राम माता सीता और लक्ष्मण सहित 14 वर्ष तक वनवास में रहे. उन्होंने कुछ समय पंचवटी में भी बिताया. वे यहां झोपड़ी बनाकर रहते थे. इतना ही नहीं यहीं पर लंकापति रावण ने माता सीता का हरण किया था. इसके साथ ही लक्ष्मणजी ने शूर्पणखा के नाक और कान काट दिये. जानिए पंचवटी के बारे में खास बातें.

लक्ष्मण ने पंचवटी का नाम सुझाया
श्रीरामचरित मानस के अरण्यकांड में कुछ दोहे दिए गए हैं. जिसमें पैंतावटी के बारे में बहुत कुछ कहा गया है. यहां श्री राम और लक्ष्मण का संवाद है.

हे प्रभु, परम सुन्दर स्थान, पवित्र पंचवटी, पवित्र भगवान बनो, हम भयंकर सर्प को नष्ट कर देंगे 

हे प्रभु, यह अत्यंत सुन्दर और पवित्र स्थान है. उसका नाम पंचवटी है. आप दण्डक वन को पवित्र करें और श्रेष्ठ मुनि गौतम जी को कठोर सन्ध्या से मुक्त करें.

बस करहु तह रधुकुल राया, कीजे सकल मुनिन्ह पार दैचले राम मुनि अयुस पै, तुरथिन पंचवटी नियाराई

चोपाई में लक्ष्मण कहते हैं कि रघुकुल के स्वामी, नूनियो पर अपनी कृपा बरसाओ और वहीं निवास करो. मुनि की आज्ञा पाकर श्रीराम पंचवटी की ओर प्रस्थान कर गये.

श्री राम ने गोदावरी के पास एक कुटिया बनाई
मैं गिधराज से मिला और मुझे गोदावरी कई मायनों में पसंद आई

पंचवटी में श्रीराम को गिद्ध राज जटायु ने दर्शन दिये. रामचन्द्रजी उनसे कथा और प्रेम बढ़ाकर गोदावरी नदी के निकट पर्णकुटीर में रहने लगे.

पंचवटी में ही लक्ष्मणजी ने शूर्पणखा की नाक काट दी थी

रावण की एक बहन थी जिसका नाम शूर्पणखा था. जो भयानक और दुष्ट हृदय वाली थी. वह पंचवटी गई और राजकुमारों को देखकर आश्चर्यचकित हो गई. राजकुमारों को देखकर उसने सुन्दर रूप धारण कर लिया. प्रभु श्री राम के पास गए और कहा कि आपके समान कोई पुरुष नहीं है और मेरे समान कोई स्त्री नहीं है. विधाता ने यह संयोग बहुत सावधानी से बनाया है.

प्रभु श्री राम ने सीता माता की ओर देखकर कहा कि मेरे भाई लक्ष्मण वहां खड़े हैं. तब शूर्पणखा लक्ष्मण के पास गयी. उन्होंने भी मना कर दिया. उसके बाद शूर्पणखा ने अपना भयानक रूप धारण कर लियाऔर क्रोध में लक्ष्मण ने उसकी नाक काट दी थी.

यहीं पर माता सीता का हरण हुआ था
श्री राम कुटिया बना रहे हैं. इसी कुटिया के बाहर रावण ने माता सीता का अपहरण कर लिया था. पंचवटी में पांच बरगद के पेड़ हैं. इसी कारण इसे पंचवटी कहा जाता है. 

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