Twitter
Advertisement
  • LATEST
  • WEBSTORY
  • TRENDING
  • PHOTOS
  • ENTERTAINMENT

यहां खुदाई में मिले द्वापर युग के साक्ष्य, महाभारत और श्री कृष्ण को लेकर हैं अहम जानकारियां

मथुरा की संस्कृति और महाभारत काल के साक्ष्यों को इकट्ठा करने के उद्देश्य से पुरातत्व विभाग ने गोवर्धन पर्वत की खुदाई का काम शुरू कर दिया है. खुदाई के दौरान उन्हें कई बहुमूल्य चीजें मिली हैं, जिन्हें महाभारत काल से भी जोड़ा जा रहा है.

Latest News
यहां खुदाई में मिले द्वापर युग के साक्ष्य, महाभारत और श्री कृष्ण को लेकर हैं अहम जानकारियां

Govardhan Parvat

FacebookTwitterWhatsappLinkedin

गोवर्धन पर्वत को भगवान श्री कृष्ण के जीवन का एक अहम हिस्सा माना जाता है. इसे लेकर तमाम किवदंतियां भी प्रसिद्ध हैं. ऐसे में श्री कृष्ण के जीवन से जुड़े कई सवालों के जवाब का पता लगाने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने कमान संभाल ली है. मिशन के तहत एएसआई विभाग 50 साल में पहली बार ब्रज  क्षेत्र में आने वाले गोवर्धन पर्वत की खुदाई कर रहा है. इसके अंदर मथुरा, बृंदावन और महाभारत में जिक्र किए गए कई प्रमुख स्थल भी शामिल हैं. 

जानकारी के मुताबिक खुदाई बहज गांव में रही है जोकि एक जाट बाहुल्य गांव है और गोवर्धन पहाड़ी के आधार पर स्थित है. पौराणिक कथाओ के अनुसार, इसी गांव के लोगों को भयंकर तूफान से बचाने के लिए श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाया था.


यह भी पढ़ेंः जर्मनी में 'कबाब' ने किया Politics को बेबस और लाचार, चांसलर ओलाफ के सामने रखी गई ये Demand


भारत की संस्कृति का पता लगाना मोदी सरकार की कोशिश 

एएसआई के जयपुर सर्कल के अधीक्षक विनय कुमार गु्प्ता के मुताबिक, 'भारतीय संस्कृति की दृष्टि से देखा जाए तो ब्रज  एक अत्यंत  महत्वपूर्ण क्षेत्र है.' उन्होंने कहा 'भारत में सभी देवी-देवताओं की पूजा की प्रणाली और मूर्तिकला की शुरुआत इसी क्षेत्र से हुई है जिसके बाद धीरे-धीरे यह पूरे भारत में फैल गई.'

साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि पुरातत्व विभाग द्वारा इस क्षेत्र में काफी कम काम हुआ है इसलिए यहां खुदाई की जा रही है और श्री कृष्ण के जीवन को लेकर कई रहस्यों को सुलझाने का भी प्रयत्न किया जा रहा है.
  
विनय कुमार के मुताबिक यह खुदाई भारत की संस्कृति की जड़ो और महाभारत काल से जुड़े कुध साक्ष्यों को खोजने का एक प्रयास है जो मोदी सरकार के अभियान का ही एक अहम हिस्सा है. उनके मुताबिक भारत सरकार भारत की प्राचीन संस्कृति को समझने के लिए ज्यादा से ज्यादा खुदाई पर जोर दे रही है.


यह भी पढ़ेंः कपल ने शादी में शामिल होने के लिए रखे खास नियम, Wedding Invitation हुआ Viral 


मिले कुछ पुख्ता सबूत
गुप्ता के मुताबिक, जनवरी में खुदाई के दौरान उनकी टीम को शुंग काल के हड्डी के बने टूल्स, हाथियों पर सवार देवताओं के चित्रों वाली मिट्टी की मुहरें, चित्रित ग्रे वेयर संस्कृति (आज से करीब 1100 और 800 ईसा पूर्व) से एक दुर्लभ टेराकोटा पाइप मिला है. इसके अलावा उन्हें मौर्य काल (322-185 ईसा पूर्व) की एक टेराकोटा की मातृ देवी मिली है. इन सभी साक्ष्यों को देखकर टीम में उत्साह की लहर दौड़ रही है क्योंकि ऐसी अनोखी गतिविधियां पहले कभी नहीं देखी गई हैं.


यह भी पढ़ेंः कुत्ते को कराना चाहते हैं प्लेन में सफर? इस Airline के पास हैं आपके सभी सवालों के जवाब


चिलचिलाती धूप में मिला काम का मौका
गुप्ता ने कहा कि यह गांव काफी शांत है. एएसआई के आने से यहां लोगों के बीच थोड़ी हलचल तो देखने को मिली है. ऐसा खास तौर पर जब देखा गया जब टीम अपना बेस बनाने के लिए फावड़े, ट्रॉवेल और टेंट के साथ उतरी थी. वहीं एक ट्रेनी ने बताया कि जब सौ या उससे अधिक लोग यहां इकट्ठा हो जाते हैं तो काम करने में काफी मुश्किलें आती हैं. लेकिन अप्रैल और मई की इस भीषण गर्मी में लोग हमें अपना काम करने के लिए अलग छोड़ देते हैं.


यह भी पढ़ेंः पत्नी के अफेयर का कर रहा था विरोध, पति के साथ जो हुआ दहल जाएंगे आप, मामला Viral


बेस से करीब 4 किमी आगे खुदाई की जगह
उन्होंने  बताया कि खनन की जगह बेस से करीब चार किलोमीटर आगे है. यहां खुदाई के दौरान उन्हें ब्रज की रज से भरे गोल आकार के छोटे बर्तन मिले, जो कि सबसे महत्वपूर्ण खोजों में से एक है. इसके अलावा उन्होंने वहां से कुछ सिक्के भी बरामद किए जिनमें से कुछ कपड़े में लिपटे हुए थे. 

बता दें कि खुदाई का स्थल वर्तमान में राजस्थान के डीग जिले में स्थित है, जो कि प्राचीन काल में गोवर्धन पर्वत का हिस्सा हुआ करता था. 

ख़बर की और जानकारी के लिए डाउनलोड करें DNA App, अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें हमारे गूगलफेसबुकxइंस्टाग्रामयूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से.

Advertisement

Live tv

Advertisement

पसंदीदा वीडियो

Advertisement