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Plant On Moon: चांद की मिट्टी पर उगे 3 पौधे, अब दूर नहीं वहां घर बसाने का सपना

यह खोज तब आई है जब NASA ने इस दशक के अंत में आर्टेमिस कार्यक्रम के हिस्से के रूप में मनुष्यों को चंद्रमा पर भेजने का प्लान बनाया है.

Plant On Moon: चांद की मिट्टी पर उगे 3 पौधे, अब दूर नहीं वहां घर बसाने का सपना
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डीएनए हिंदी: चांद तोड़कर लाने और चांद की बातें अब केवल फिल्मी नहीं रहीं. जी हां जल्द ही चांद पर रहने का सपना भी सच होने वाला है और लोग हकीकत में वहां जाकर रह सकेंगे. अभी तक इस पर रिसर्च जारी है कि वहां इंसान की लाइफ पॉसिबल है या नहीं लेकिन हाल में एक ऐसी जानकारी सामने आई जिससे लग रहा है कि 'दिल्ली अब दूर नहीं'. रिपोर्ट के मुताबिक, चांद की मिट्टी में पौधे उगाए जा सकते हैं. पहली बार यहां पौधे उगाए भी गए हैं. फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने पाया कि थेल क्रेस, अरेबिडोप्सिस थालियाना के पौधे चांद से जमा की गई मिट्टी में अंकुरित और विकसित हो सकते हैं. इस रिसर्च के बाद इस बात को और मजबूती मिलती है कि वहां उन पौधों को उगाया जा सकता है जो भोजन और ऑक्सीजन की आपूर्ति कर सकते हैं.

 दिखने लगी है चांद पर दुनिया बसाने की राह

रिसर्च टीम में से एक रॉब फेरल ने कहा कि, ‘यह सामने आना कि चांद की मिट्टी में पौधे उगे हैं. असल में चांद उपनिवेशों में खुद को स्थापित करने में सक्षम होने की दिशा में एक बड़ा कदम है.’ उन्होंने बताया कि बेशक अरेबिडोप्सिस स्वादिष्ट नहीं है लेकिन यह खाने लायक है. यह पौधा सरसों, फूलगोभी और ब्रोकली के जैसा है. इस स्टडी में शामिल एक और रिसर्चर अन्ना-लिसा पॉल ने बताया कि, ‘जो पौधे ऑक्सीडेटिव तनाव प्रतिक्रियाओं में सबसे ज्यादा और तेजी से प्रतिक्रिया दे रहे थे वे खासतौर से अपोलो 11 के सैंपल से हैं और ये बैंगनी हो गए.

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12 ग्राम मिट्टी से की गई रिसर्च

यह खोज तब आई है जब नासा ने इस दशक के अंत में आर्टेमिस कार्यक्रम के हिस्से के रूप में मनुष्यों को चंद्रमा पर भेजने का प्लान बनाया है. रिसर्चर्स ने चांद पर विकास का विश्लेषण करते हुए 12 ग्राम चांद की मिट्टी में पानी, प्रकाश और पोषक तत्व जोड़े थे. इस टीम ने सैंपल के साथ काम करने के मौके के लिए 11 सालों में तीन बार नासा में आवेदन किया और केवल 18 महीने पहले ही इन्हें मंजूरी मिली. सबसे अच्छी बात ये रही कि सभी पौधे अंकुरित हुए.  हालांकि कुछ विभिन्न रंग, आकार के थे और दूसरों की तुलना में धीमी गति से बढ़े. टीम ने इनकी तुलना करने के लिए, कुछ पौधों को पृथ्वी की मिट्टी में भी लगाया था. बता दें कि यह पूरी स्टडी रिपोर्ट कम्युनिकेशंस बायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हुई है.

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