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'भारत और मेरे बीच कोई नहीं आएगा,' चीन की अमेरिका को खुली धमकी का क्या मतलब है

China vs US News Hindi: लद्दाख विवाद पर चीन ने अमेरिका को धमकी दी है. चीन ने कहा है कि भारत के साथ उसके रिश्ते के बीच में कोई भी न आए.

'भारत और मेरे बीच कोई नहीं आएगा,' चीन की अमेरिका को खुली धमकी का क्या मतलब है

चीन ने अमेरिका को दी धमकी

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डीएनए हिंदी: भारत, चीन और अमेरिका, इन तीनों देशों के हित एक-दूसरे से जुड़े हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर ये तीनों देश एक-दूसरे को साधने के लिए तीसरे का इस्तेमाल करते हैं या सहयोग लेते हैं. ऐसे ही एक मामले में चीन ने अमेरिका को खुली धमकी दे डाली है. चीन के अधिकारियों ने अमेरिका के लिए कहा है कि भारत और चीन के संबंधों के बीच में कोई तीसरा नहीं आएगा. चीन की ओर से यह बयान लद्दाख विवाद पर अमेरिका की टिप्पणी के बाद आया है. अमेरिका ने कहा था कि एलएसी पर टकराव के बावजूद चीन के अधिकारी इसे सीरियसली नहीं ले रहे हैं.

अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन ने कांग्रेस (संसद) में पेश एक रिपोर्ट में बताया है कि चीन ने उसे धमकी दी है कि वह भारत-चीन के संबंधों में हस्तक्षेप न करे. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मई 2020 से पूर्वी लद्दाख में एलएसी के आसपास के कई इलाकों में भारतीय सेना और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के बीच गतिरोध पैदा हुआ है. पेंटागन ने मंगलवार को पेश रिपोर्ट में कहा है कि एलएसी पर भारत के साथ टकराव के बीच चीनी अधिकारियों ने संकट की गंभीरता को कमतर दिखाने की कोशिश की है.

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'एलएसी पर सैनिक मौजूद, निर्माण कार्य भी जारी'
रिपोर्ट में कहा गया है, 'चीन तनाव कम करने की कोशिशों में जुटा है, ताकि भारत अमेरिका के और करीब नहीं जाए. चीन के अधिकारियों ने अमेरिकी अधिकारियों को चेतावनी दी है कि वे भारत के साथ पीआरसी के संबंधों में हस्तक्षेप न करें.' पेंटागन ने कहा कि साल 2021 के दौरान पीएलए ने भारत-चीन सीमा के पास सेना की तैनाती बरकरार रखी और एलएसी के पास बुनियादी ढांचे का निर्माण भी जारी रखा.

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इस रिपोर्ट में कहा गया है कि गतिरोध के समाधान के लिए भारत और चीन के बीच हो रही बातचीत में बहुत कम प्रगति हुई है. रिपोर्ट के अनुसार, 2020 की झड़प के बाद से पीएलए ने लगातार सेना की तैनाती कर रखी है और एलएसी के पास बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 की गलवान घाटी की घटना पिछले 46 वर्षों में दोनों देशों के बीच संघर्ष की सबसे घातक घटना थी.

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