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International Tiger Day 2022: क्यों मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस, कैसे हुई इसकी शुरुआत?

International Tiger Day: टाइगर रिजर्व और पर्यावरण विभाग द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, भारत में साल 2010 में 1,700 बाघ थे तो वहीं, साल 2018 तक यह संख्या बढ़कर 2,967 तक पहुंच चुकी थी. बात अगर वर्तमान समय की करें तो फिलहाल दुनियाभर में करीब साढ़े चार हजार बाघ हैं.

International Tiger Day 2022: क्यों मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस, कैसे हुई इसकी शुरुआत?
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डीएनए हिंदी: एक समय था जब दुनियाभर भर के जंगलों में करीब 1,00,000  बाघ राज किया करते थे लेकिन 21वीं सदी तक आते-आते इनकी संख्या चार हजार से भी से कम रह गई. यही वजह है कि हर साल पूरी दुनिया में आज यानी 29 जुलाई के दिन वर्ल्ड टाइगर डे (International Tiger Day 2022) मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का उद्देश्य बाघों की विलुप्त हो रहीं प्रजातियों को बचाना और उनके संरक्षण के लिए लोगों में जागरूकता फैलाना है.  

कैसे हुई शुरुआत?
जानकारी के अनुसार, दुनियाभर के कुल 13 देशों में ही बाघ पाए जाते हैं. इनमें भारत, बांग्लादेश, भूटान, कंबोडिया, चीन, इंडोनेशिया, लाओ पीडीआर, मलेशिया, म्यांमार, नेपाल, रूस, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं. वहीं, इन सब देशों में से सबसे ज्यादा (70%) बाघ अकेले हमारे देश भारत में ही हैं.  आपको जानकर हैरानी होगी कि साल 2010 में भारत में बाघों की संख्या लगातार घटने के बाद 1,700 तक पहुंच गई थी जिसके बाद लोगों के बीच बाघों के प्रति जागरूकता फैलाने और उनके बचाव के लिए रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में एक शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया. इस सम्मेलन में कई देशों ने मिलकर साल 2022 तक बाघों की संख्या को दोगुना करने का लक्ष्य रखा और फिर उस दिन से हर साल 29 जुलाई के दिन वर्ल्ड टाइगर डे मनाया जाने लगा. 

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क्या पूरा हुआ टारगेट?
भारत ने इस टारगेट को 2018 में ही हासिल कर लिया था. टाइगर रिजर्व और पर्यावरण विभाग द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, भारत में साल 2010 में 1,700 बाघ थे तो वहीं, साल 2018 तक यह संख्या बढ़कर 2,967 तक पहुंच चुकी थी. बात अगर वर्तमान समय की करें तो फिलहाल दुनियाभर में करीब साढ़े चार हजार बाघ हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें से सबसे ज्यादा बाघों की संख्या भारत के केरल, उत्तराखंड, बिहार और मध्यप्रदेश में पाई जाती है. 

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आपको बता दें कि देश में बाघों की जनगणना हर चार साल में की जाती है जिससे उनकी ग्रोथ रेट का पता लगाया जाता है. इस बीच चिंता की बात यह है कि भारत में पिछले तीन सालों में 329 बाघों की मौत शिकार, प्राकृतिक और अप्राकृतिक कारणों से हो गई. इनमें से साल 2019 में 96, 2020 में 106 तो 2021 में 127 बाघ मारे गए. हालांकि, मामले को लेकर सरकार की ओर से जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं. भारत सरकार (Government of India) टाइगर रिजर्व और पर्यावरण विभाग के साथ मिलकर बाघों की रक्षा की ओर तेजी से बढ़ रही है.
 

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