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हसीना सरकार के गिरने के बाद अब शहबाज शरीफ का यूनुस को फोन, भारत के लिए चिंता की स्थिति?

शाहबाज शरीफ और मुहम्मद युनूस के बीच हुई हालिया बातचीत भारत के लिए चिंता का सबब बन सकती है. पाकिस्तान के पीएम को बांग्लादेश में अपनी मौजूदगी बनाने के लिए वहां के कुछ पूर्व राजनीयकों ने अब उन्हें कुछ नए सुझाव दिए हैं.

हसीना सरकार के गिरने के ��बाद अब शहबाज शरीफ का यूनुस को फोन, भारत के लिए चिंता की स्थिति?
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पिछले महीने के 5 अगस्त को बांग्लादेश की तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना के अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश के कार्यकारी पीएम बने हैं. अब पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने बांग्लादेश के कार्यकारी प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस से फोन पर बातचीत की और दोनों के बीच एक लंबी बातचीत हुई.आपको बता दें कि शेख हसीना के प्रधानमंत्री रहते हुए पाकिस्तान और बांग्लादेश के रिश्ते काफी खराब थे क्योंकि हसीना ने पाकिस्तान समर्थक गुटों के खिलाफ काफी कठोर कदम उठाए थे.अब हसीना सरकार के हटने के बाद पाकिस्तान एक बार फिर से बांग्लादेश में अपनी जड़ें जमाने की फिराक में है.आपको बता दें बांग्लादेश में अंतरिम सरकार बनने के बाद से कई ऐसे लोगों को भी वहां के जेल से रिहा कर दिया गया है जो भारत के लिए चिंता का कारण बन सकती है.


भारत के लिए चिंता का विषय 
बांग्लादेश में हुई राजनीतिक घटनाक्रम के बाद पाकिस्तान एक नई रणनीति के तहत काम करना शुरू कर दिया है. बांग्लादेश में काम कर चुके पाकिस्तानी राजनयिकों ने शहबाज शरीफ के लिए एक रणनीतिक योजना तैयार की है जिससे भारत की चिंताएं बढ़ सकती हैं और पाकिस्तान जमात-ए-इस्लामी के सहयोग से भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियाँ तेज कर सकता है. पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हाल ही में बांग्लादेश में काम कर चुके  पूर्व उच्चायुक्तों और अन्य राजनयिकों की एक मीटिंग बुलाई जिसमें ढाका में हुए हालिया राजनीतिक परिवर्तनों पर चर्चा की गई. इस बैठक में पाकिस्तान की रणनीति को लेकर भी विस्तार से विचार-विमर्श हुआ.अधिकारियों ने नाम न बताने की शर्त पर जानकारी दी कि शहबाज शरीफ ने यह बैठक बांग्लादेश के संदर्भ में रिटायर अधिकारियों से सलाह-मशविरा करने के लिए बुलायी थी.


बांग्लादेश में पैर जमाने की फिराक में है पाकिस्तान 
गौरतलब है कि फिलहाल बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना भारत में शरण ली हुई हैं और इसी मौके का फायदा शरीफ सरकार उठाना चाहती है. शेख हसीना की सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ लगातार एक कड़ी नीति रखी थी जिसके चलते वहां के शीर्ष नेताओं और हसीना सरकार के बीच कभी भी एक सार्थक बातचीत नहीं हो पाई. उन्होंने पाकिस्तान को दो टूक सुनाते हुए कहा था कि जब तक 1971 के अपराधों के लिए माफी नहीं मांगेगा तब तक किसी तरह की कोई बातचीत नहीं होगी.बीते दिनों बांग्लादेश में हुई राजनीतिक घटनाक्रम को देखते हुए पाकिस्तान के रिटायर्ड राजनयिकों ने शहबाज शरीफ को कुछ सुझाव दिए हैं. पूर्व राजनयिकों का कहना है कि पाकिस्तान सरकार को इस मौके को बेहद चतुराई और सजगता के साथ बांग्लादेश के साथ अपने रिश्ते पर जोर देने की जरूरत है.

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