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अभी टला नहीं कोरोना का खतरा! ओमिक्रॉन पर दक्षिण अफ्रीकी वैज्ञानिकों ने जारी की वॉर्निंग

नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिजीज (NICD) का दावा है कि महज 24 घंटे में कोरोना संक्रमण के मामले बेहद तेजी से बढ़ रहे हैं.

अभी टला नहीं कोरोना का खतरा! ओमिक्रॉन पर दक्षिण अफ्रीकी वैज्ञानिकों ने जारी की वॉर्निंग

बढ़ता जा रहा है कोरोना का नया वेरिएंट. (सांकेतिक तस्वीर)

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डीएनए हिंदी: कोरोना संक्रमण के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन ने दुनिया के कई देशों को चिंता में डाल दिया है. कई देशों ने कोविड के खतरे को देखते हुए अपने नागरिकों को आगाह कर दिया है. स्वास्थ्य विभाग और एक्सपर्ट्स लोगों से अपील कर रहे हैं कि कोविड को लेकर अतिरिक्त सतर्कता बरतें. ओमिक्रॉन वेरिएंट की तुलना डेल्टा वेरिएंट से हो रही है. हालांकि यह वेरिएंट डेल्टा से ज्यादा संक्रामक हैं.

दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिकों का मानना है कि अभी वेरिएंट के लक्षणों के बारे में स्पष्टता नहीं है. ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित मरीज के शरीर में दर्द या हल्का बुखार ही होगा, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी. वैज्ञानिकों ने एक प्रजेंटेशन पर चर्चा के दौरान कहा कि ओमिक्रॉन वेरिएंट का खतरा युवाओं में सबसे ज्यादा है. जो लोग वायरस से संक्रमित हैं, संक्रमण बढ़ने पर ज्यादा बीमार हो रहे हैं. साउथ अफ्रीका के कुछ बड़े वैज्ञानिकों का दावा है कि हल्का बुखार और बॉडी पेन के अलावा भी कई लक्षण देखे जा सकते हैं. 

नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिजीज (NICD) का दावा है कि महज 24 घंटे में कोरोना संक्रमण के मामले बेहद तेजी से बढ़ रहे हैं. 25 नवंबर को दुनिया में कोरोना के ओमिक्रॉन वेरिएंट का पहला केस सामने आया था. संक्रामक रोगों के विशेषज्ञ डॉक्टर रिचर्ड लेसेल्स का मानना है कि अगर यह वायरस आबादी के हिसाब से तेजी से फैला तो भी ओमिक्रॉन को डिटेक्ट किया जा सकता है. जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी है ऐसे लोगों को आसानी से पहचाना जा सकता है.

दक्षिण अफ्रीकी देशों में फैल रहा है कोविड का खतरा

डॉक्टर रिचर्ड लेसेल्स का यह भी कहना है कि दक्षिण अफ्रीकी देशों में अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है. दक्षिण अफ्रीका में कोरोना के नए वेरिएंट के तेजी से फैलने की एक वजह टीकाकरण न होना भी माना जा रहा है. चीन और पश्चिमी देशों की तुलना में दक्षिण अफ्रीकों में वैक्सीनेशन की दर बेहद कम है.

अफ्रीकी महाद्वीपी पर 1.3 बिलियन से ज्यादा लोग रहते हैं लेकिन महज 6.7 फीसदी अबादी का पूरी तरह से टीकाकरण हुआ है. डॉक्टर रिचर्ड लेसेल्स ने कहा- 'हम उम्मीद करते हैं कि लोग इस वायरस के खिलाफ बेहतर प्रतिरक्षा हासिल करेंगे. हमें नहीं लगता है कि इसका हमारे चिकित्सा तंत्र पर कोई प्रभाव पड़ेगा.'

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