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Income Tax Liability: क्या होती है टैक्स लायबिलिटी, टैक्सपेयर्स जान लें घर बैठे कैलकुलेट करने का तरीका 

Income Tax Liability: भारत का इनकम टैक्स सिस्टम काफी प्रगतिशील हो चुका है. इसका मतलब है कि जितना ज्यादा आप कमाएंगे उतना ज्यादा टैक्स आपको देना होगा. आपके द्वारा भुगतान किया जाने वाला यह टैक्स सरकार द्वारा देश के विकास के लिए उपयोग किया जाता है. 

Income Tax Liability: क्या होती है ट�ैक्स लायबिलिटी, टैक्सपेयर्स जान लें घर बैठे कैलकुलेट करने का तरीका 
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डीएनए हिंदी: भले ही आप किसी पेशे में शामिल हों, या फिर अपना खुद का कारोबार चला रहे हों, या फिर रेगुलर सैलरी पाने वाले कर्मचारी, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस सेक्टर में काम कर रहे हैं. अगर आपकी कमाई टैक्स के दायरे में आती है तो आपको टैक्स का भुगतान करना ही होगा. भारत का इनकम टैक्स सिस्टम (Income Tax System) काफी प्रगतिशील हो चुका है. इसका मतलब है कि जितना ज्यादा आप कमाएंगे उतना ज्यादा टैक्स आपको देना होगा. आपके द्वारा भुगतान किया जाने वाला यह टैक्स सरकार द्वारा देश के विकास के लिए उपयोग किया जाता है. इस पैसे का उपयोग बुनियादी ढांचे के निर्माण, सुविधाओं को आगे बढ़ाने, कर्मचारियों के फंडिंग में इस्तेमाल किया है. अब सवाल यह है कि आपको कितना टैक्स देना है यानी आपकी टैक्स लायबिलिटी (What is Tax Liability)  कितनी है. कई लोगों को टैक्स लायबिलिटी का मतलब भी पता नहीं होगा. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर टैक्स लायबिलिटी होती क्या है और आप घर में बैठे अपनी टैक्स लायबिलिटी के बारे में कैसे पता (How to calculate tax liability) कर सकते हैं. 

क्या होती है टैक्स लायबिलिटी (What is tax liability)
आपके द्वारा अर्जित आय के अनुसार सरकार को जो टैक्य देना है, उसे आपकी टैक्स लायबिलिटी के रूप में जाना जाता है. यह वह अमाउंट है जिसका भुगतान आप टैक्स अधिकारियों को करने के लिए रिस्पांसिबल हैं. फिर चाहे आप इंडिविजुअल हों या फिर कंपनी, आपको टैक्सेज का भुगतान करना होगा. अगर आप टैक्स की चोरी करते हैं, तो आप गंभीर संकट में पड़ सकते हैं और जेल भी जा सकते हैं.

यह भी पढ़ें:- ITR Filing: Form 16 के बिना कैसे दाखिल करें Income Tax Return 


टैक्स लायबिलिटी कैसे कैलकुलेट करें (How to calculate tax liability)
भारत में, आप जिस इनकम टैक्स का भुगतान करने के लिए रिस्पांसिबल हैं, उसका कैलकुलेशन उस इनकम टैक्स स्लैब के आधार पर की जाती है, जिसमें आप आते हैं. प्रत्येक स्लैब एक इनकम लिमिट और एक स्पेसिफाइड टैक्स रेट से जुड़ा होता है. आइए आपको भी बताते हैं मौजूदा समय में टैक्स रेट क्या है. 

पुराना इनकम टैक्स सिस्टम 

आय सीमा (रुपये में) टैक्स स्लैब रेट (फीसदी में) अधिकतम टैक्स लायबिलिटी (रुपये में)
0-2,50,000 0 शून्य
2.5-5 लाख 5 12,500
5-10 लाख 20 112,500 (100,000 + 12,500)
10 लाख से अधिक 30 112,500 + अतिरिक्त आय का 30%

नोट: सेस और सरचार्ज से पहले का अमाउंट 

नया इनकम टैक्स सिस्टम 

आय सीमा (रुपये में) टैक्स स्लैब रेट (फीसदी में) अधिकतम टैक्स लायबिलिटी (रुपये में)
2,50,000 तक 0 शून्य
2,50,001-5,00,000 5 12,500
5,00,001-7,50,000 10 37,500
(25,000 + 12,500)
7,50,000-10,00,000 15 75,000
(37,500 + 25,000 + 12,500)
10,00,001-12,50,000 20 125,000
(50,000 + 37,500 + 25,000 + 12,500)
12,50,001-15,00,000 25 187,500
(62,500 + 50,000 + 37,500 + 25,000 + 12,500)
15,00,000 से अधिक 30 187,500 + एक्सट्रा इनकम का 30%

नोट: सेस और सरचार्ज से पहले का अमाउंट 

यह भी पढ़ें:- कमाई कराने के मामले में इन बैंकों की एफडी स्कीम हैं सबसे आगे. पढ़ें कितना मिल रहा है ब्याज 

सेस और सरचार्ज 
4 फीसदी का हायर एजुकेशन सेस स्लैब के अनुसार अनुमानित कर टैक्स लायबिलिटी पर लागू होता है. आपकी आय निम्नलिखित सीमा से अधिक होने पर सरचार्ज लागू हो सकता है:
50 लाख रुपये से अधिक की आय के लिए 10%
1 करोड़ रुपये से अधिक की आय के लिए 15%
यदि आपकी टैक्स लायबिलिटी पर सरचार्ज लागू होता है तो सरचार्ज के बाद सेस लागू होगा. 

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