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Tax on rental income: जानिए कैसे कैलकुलेट होती है रेंटल इनकम पर टैक्स, यहां समझें

Tax on rental income: अगर आप भी मकान मालिक हैं तो आपके लिए रेंटल इनकम पर टैक्स के बारे में सही जानकारी होना जरूरी है. किराये की आय आपकी कुल आय में जुड़ जाती है. हालांकि इस पर कई तरह के डिडक्शन भी मिलते हैं.

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डीएनए हिंदी: अगर आपने अपना घर किराए पर दिया है तो उससे होने वाली आमदनी रेंटल इनकम के दायरे में आती है. यहां तक ​​कि अगर आपने रियल एस्टेट में निवेश किया है और इससे आय अर्जित की है तो भी आप कर के लिए उत्तरदायी हैं. ऐसे में मकान मालिक को किराए से होने वाली आमदनी और किराए की आमदनी पर लगने वाले टैक्स के बारे में विस्तार से जानना जरूरी है. किराये की आय आपकी कुल आय में जोड़ दी जाती है और आप जिस टैक्स ब्रैकेट में आते हैं उसके अनुसार टैक्स का भुगतान करना पड़ता है.

यदि किसी व्यक्ति के लिए आय का एकमात्र स्रोत किराये की आय है और यह एक वित्तीय वर्ष में 2.5 लाख रुपये तक है तो रिटर्न दाखिल करना आवश्यक नहीं है. रेंटल इनकम पर भी कई तरह के डिडक्शन उपलब्ध हैं. आयकर विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार पूरे एक वर्ष में किराये से अर्जित आय को सकल वार्षिक मूल्य कहते हैं. इस आय से नगर निगम कर काटा जा सकता है.

आय और कर की गणना पांच स्टेप्स में की जाती है

बता दें कि गृह संपत्ति से होने वाली आय पर कर की गणना को पांच चरणों में समझा जा सकता है. मसलन अगर एक महीने का किराया 30,000 रुपये है तो एक साल का किराया 3.6 लाख रुपये है. इसे सकल वार्षिक मूल्य कहते हैं.

30% कटौती का लाभ प्राप्त करें

सकल वार्षिक मूल्य से संपत्ति कर घटाकर शुद्ध वार्षिक मूल्य निकाला जाता है. मान लीजिए 60 हजार का टैक्स चुकाया गया. ऐसे में शुद्ध वार्षिक मूल्य घटकर 3 लाख रुपये रह जाता है. संपत्ति कर को नगरपालिका कर भी कहा जाता है. अब धारा 24ए के तहत 30 फीसदी की कटौती का लाभ उठाया जा सकता है. इसकी गणना शुद्ध वार्षिक मूल्य के आधार पर की जाती है.

धारा 24ए के तहत कटौती का लाभ मिलेगा

ऐसे में धारा 24ए के तहत कटौती की राशि 90 हजार रुपये होगी. कटौती के बाद, शुद्ध वार्षिक मूल्य घटकर 2.1 लाख रुपये हो जाता है. अगर किराए की संपत्ति को होम लोन की मदद से खरीदा जाता है तो ब्याज की अदायगी धारा 24बी के तहत कटौती के लिए पात्र है.

ब्याज अदायगी पर 2 लाख तक की छूट दी जाएगी

कटौती का लाभ पूरे वित्तीय वर्ष में भुगतान की गई ईएमआई (EMI) के ब्याज हिस्से पर उपलब्ध है. इसकी ऊपरी सीमा 2 लाख रुपये है. उपरोक्त मामले में 2 लाख रुपये की कटौती के बाद, उस व्यक्ति की गृह संपत्ति से आय 10,000 रुपये हो जाती है. इसे उसकी कुल आय में शामिल किया जाएगा और उसे अपने टैक्स ब्रैकेट के अनुसार टैक्स देना होगा.

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