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आम आदमी की जेब पर दोहरी मार, खुदरा महंगाई दर 4.91% पर

मोदी सरकार के आंकड़ो के अनुसार नवंबर में खुदरा महंगाई दर में बड़ी वृद्धि देखी गई है, जो कि अर्थव्यवस्था के लिए झटका साबित होने वाली है.

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आम आदमी की जेब पर दोहरी मार, खुदरा महंगाई दर 4.91% पर

ब्रिटेन में खाद्य उत्पादों के दाम बढ़ने से लोग परेशान

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डीएनए हिंदी: देश में बढ़ती महंगाई को लेकर एक नकारात्मक खबर सामने आई है. सरकार के आंकड़े बताते हैं कि नवंबर माह में  खुदरा मंहगाई दर 4.91 प्रतिशत पर पहुंच गई है. इसमें लगातार होती वृद्धि इस बात का प्रमाण है कि देश में आटे दाल का भाव आम जनता की जेब पर एक बड़ी चपत लगाने वाला है. मुद्रास्फीती की ये दर अक्टूबर के आंकड़ों से भी कहीं ज्यादा है. मुद्रास्फीति का ये आंकड़ा केन्द्रीय बैंक के उच्चतम आंकड़ों के करीब पहुंच गया है. 

महंगाई की पड़ी मार

देश में लगातार बढ़ती महंगाई की दरों ने सभी का हाल खराब कर रखा है. अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर करीब 4.45 प्रतिशत के करीब थी. उस दौरान ही महंगाई को लेकर चिंताएं जाहिर की जाने लगी थीं. अब जब भारत सरकार ने नवंबर माह की मुद्रास्फीति के आंकड़े जारी किए हैं तो इन आंकड़ो ने स्पष्ट कर दिया है कि आम जनता पर महंगाई की कितनी बड़ी मार पड़ने वाली है. इन आंकड़ो में खुदरा महंगाई दर 4.91 प्रतिशत रही है. 

खास बात ये है कि देश में खाद्य पदार्थों के बढ़ते दामों के कारण त्योहारी सीजन के बीच लोगों की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ा है. यही बोझ अब सरकार द्वारा जारी मुद्रास्फीति के आंकड़ों में भी दिख रहा है. इसको लेकर खास बात ये है पेट्रोलियम पदार्थों के बढ़ते दामों के कारण तेजी से मार्केट में हर चीज के दाम बढ़ रहे थे और नतीजा अब मुद्रास्फीति के आंकड़ों में भी दिख रहा है. 

पेट्रोल-डीजल की कीमतों का असर

पेट्रोल-डीजल की कीमतों ने महंगाई में इजाफा करने में बड़ी भूमिका निभाई है. इसको लेकर केन्द्रीय प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा, "कच्चे तेल की घरेलू कीमतें अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क से जुड़ी हुई है. ये आपूर्ति और मांग, वायदा कारोबार, कोविड परिदृश्य के प्रभाव और भू-राजनीतिक स्थिति सहित कई कारकों से प्रभावित होते हैं."

ऐसे में अब मोदी सरकार लगातार घरेलू स्तर पर पेट्रोल/डीजल की कीमतों की समीक्षा कर रही है. बीते नवंबर माह में ही पेट्रोल और डीजल पर 'केंद्रीय उत्पाद शुल्क' में क्रमशः 5 रुपये प्रति लीटर और 10 रुपये प्रति लीटर की कमी की गई थी. इसके बाद कई राज्य सरकारों द्वारा भी ईंधन पर लगने वाले वैट को कम किया गया था. इसके विपरीत मुद्रास्फीति के बढ़े हुए आंकड़े स्पष्ट कर रहे हैं कि घटे हुए दामों से जनता को कोई खास राहत नहीं मिली है.

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