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Jamsetji Tata Death Anniversary: अंग्रेजों की गुलामी के बीच कैसे खड़ा किया इतना बड़ा कारोबार, आज भी मिसाल है ‘टाटा’ की ये कहानी

Jamsetji Tata का जन्म 3 मार्च 1839 को हुआ था. आज टाटा कंपनी इन्हीं की देन है. जमशेदजी टाटा ने सबसे कपड़ा मिल का उद्योग खोला था.

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Jamsetji Tata Death Anniversary: अंग्रेजों की गुलामी के बीच कैसे खड़ा किया इतना बड़ा कारोबार, आज भी मिसाल है ‘टाटा’ की ये कहानी

जमशेदजी टाटा

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डीएनए हिंदी: टाटा ग्रुप देश की दिग्गज कंपनियों में से एक है. इसका नाम बड़े ही अदब से लिया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं इसके संस्थापक कौन थे और कैसे शुरू हुई यह कंपनी. इसके संस्थापक थे जमशेदजी टाटा (Jamsetji Tata). जब देश की आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक और व्यावसायिक हालत माली होती जा रही थी तब इन्होने औद्योगिक विकास को नई दिशा दी. 3 मार्च 1839 को गुजरात के एक संभ्रांत पारसी पुरोहित परिवार में जेएन टाटा का जन्म हुआ था. इन्होने मुंबई के एलफिंटन कॉलेज से 1858 में ‘ग्रीन स्कॉलर’ की डिग्री प्राप्त की.

बहुत कम उम्र में शुरू किया बिजनेस

जमशेदजी टाटा (Jamsetji Tata) के पिता जी खुद एक बहुत बड़े व्यापारी थे. जाहिर है जेएन टाटा भी अपने पिता से प्रभावित थे. इन्होने अपने पिता से कमोडिटी, मार्केट, ट्रेडिंग और बैंकिंग की बारीकियां सीखीं और सिर्फ 29 साल की उम्र में अपनी पहली कंपनी खोल ली. साल 1877 में उन्होंने देश की पहली कपड़ा मिल खोली. दरअसल उन्होंने मुंबई में दिवालिया हो चुकी एक ऑयल मिल का टेकओवर किया और इसी में एलेक्जेंड्रा मिल के नाम से कपड़ा मिल की शुरुआत की. इसके बाद इन्होने इम्प्रेस टेक्सटाइल मिल खोली. ताज्जुब की बात यह है कि उन्होंने इस मिल का उद्घाटन उसी दिन किया था जिस दिन क्वीन विक्टोरिया देश की महारानी बनीं थीं.

जमशेदजी टाटा महान राष्ट्रवादी थे

जमशेदजी टाटा दिग्गज उद्योगपति होने के साथ-साथ महान राष्ट्रवादी भी थे. उद्योगपति जमशेदजी टाटा के बेटे दोराब टाटा ने साल 1907 में देश की पहली स्टील कंपनी कंपनी खोली. आज इन्हीं कंपनियों को हम टाटा स्टील एंड आयरन (Tata Steel and Iron) कंपनी कहते हैं. यह वह वक्त था जब श्रमिकों का कोई अधिकार नहीं था या यूं कहें कि उस वक्त इनके अधिकारों की कहीं कोई चर्चा नहीं होती थी. उस वक्त में इस कंपनी ने अपने कर्मचारियों को पेंशन, आवास, चिकित्सा सुविधा और दूसरी कई सहूलियतें दीं.

हालांकि जब इस कंपनी का उदय हुआ तब जमशेदजी टाटा इस कंपनी का विकास देखने के लिए जिंदा नहीं थे. 19 मई 1904 को जमशेदजी टाटा का जर्मनी वादनोहाइम नाम की जगह पर मृत्यु हो गई.

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