Twitter
Advertisement
  • LATEST
  • WEBSTORY
  • TRENDING
  • PHOTOS
  • ENTERTAINMENT

क्या होती है Inflation या महंगाई दर और कैसे डालती है यह आपकी पॉकेट पर असर?

Inflation rate in India: सामान और सेवाओं की कीमतों में एक समय के साथ होने वाली वृद्धि को मुद्रास्फीति या महंगाई दर कहते हैं. पढ़िए आरती राय की रिपोर्ट

क्या होती है Inflation या महंगाई दर और कैसे डालती है यह आपकी पॉकेट पर असर?

ब्रिटेन में खाद्य उत्पादों के दाम बढ़ने से लोग परेशान

FacebookTwitterWhatsappLinkedin

डीएनए हिंदी: मुद्रास्फीति (Inflation) या महंगाई किसी  भी देश की अर्थव्यवस्था में समय के साथ विभिन्न सामान और सेवाओं की कीमतों (मूल्यों) में होने वाली एक सामान्य वृद्धि को कहा जाता है. जब वस्तुओं की कीमत बढ़ती है तब लोगों की खरीददारी की क्षमता (Purchasing Power) में कमी आ जाती है. किसी भी देश के लिए मुद्रास्फीति के ऊंची दर या इसमें भारी गिरावट की स्थिति जनता और देश की अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है. अर्थशास्त्री मानते हैं कि मुद्रास्फीति (Inflation) अर्थव्यवस्था की तुलना में आवश्यकता से अधिक मुद्रा के छापने से ज्न्म लेती है. मुद्रास्फीति का विपरीत अपस्फीति (Deflation) होता है  यानि वह स्थिति जिसमें समय के साथ-साथ माल और सेवाओं की कीमतें में भारी गिरावट दर्ज़ होती है.

भारत में खुदरा मुद्रास्फीति दर को ‘उपभोक्ता मूल्य सूचकांक’ (Consumer Price Index-CPI) के आधार पर मापा जाता है.

यह खरीदार के दृष्टिकोण से मूल्य परिवर्तन की माप करता है. यह चुनिंदा वस्तुओं एवं सेवाओं के खुदरा मूल्यों के स्तर में समय के साथ बदलाव को भी दर्शाता है जिस पर उपभोक्ता अपनी आय खर्च करते हैं. मुद्रास्फीति को मुद्रास्फीति दर (Inflation rate) से मापा जाता है. यानी एक वर्ष से दूसरे वर्ष के बीच मूल्य वृद्धि का प्रतिशत.

क्या होती है खुदरा मुद्रास्फीति दर ?

एक निश्चित समय में जब वस्तुओं या सेवाओं के मूल्य में बढ़ोत्तरी दर्ज़ होने के कारण मुद्रा के मूल्य में गिरावट दर्ज़ की जाती है तो उसे मुद्रास्फीति कहते हैं. मुद्रास्फीति को जब प्रतिशत में बताते है तो यह महंगाई दर या खुदरा मुद्रास्फीति दर कहलाती है. सरल शब्दों में कहें तो यह कीमतों में उतार-चढ़ाव की रफ्तार को दर्शाती है.

खुदरा मुद्रास्फीति दर में वृद्धि के कारण

लगातार बढ़ती खाद्य कीमतों जो किसी भी देश की  मुद्रास्फीति के इंडेक्स का लगभग आधा हिस्सा होता है. अक्सर खाद्यान पदार्थों की कीमतों में  वृद्धि के कारण खुदरा मुद्रास्फीति दर में वृद्धि देखी जाती है. मुख्य रूप से दालों तथा अन्य खाद्य उत्पादों की कीमतों में वृद्धि के कारण खुदरा मुद्रास्फीति में वृद्धि होती है. इसके अलावा मांस और मछली उत्पादों, तेल, मसालों अन्य चीज़ो की कीमतों पर इसकी की वृद्धि का असर पड़ता है.

मुद्रास्फीति अर्थव्यवस्था पर कितना प्रभाव डालती है?

मुद्रास्फीति का बड़े तौर पर असर निवेशकों पर पड़ता है. इसके साथ ही निश्चित आय वर्ग के लोगों जैसे श्रमिक, अध्यापक, बैंक कर्मचारी अन्य सामान वर्ग पर  पड़ता है. इसके साथ जुड़ा हुआ एक बहुत बड़ा वर्ग कृषक वर्ग जिसकी आय खेती पर निर्भर होती है उसपर मुद्रास्फीति के बढ़ने और घटने से भारी प्रभाव पड़ता है. मुद्रास्फीति का कर्जदाता लेनदार और देनदार दोनों पर प्रभाव डालती है. इसके साथ ही एक बड़ा सेक्टर आयात और निर्यात जो बड़े तौर पर प्रभावित होते हैं. मुद्रास्फीति के कारण सार्वजनिक ऋणों में भी बढ़ोतरी होती है क्योंकि जब कीमत के स्तर में वृद्धि होती है तो सरकार को सार्वजनिक योजनाओं पर अपने एक्सपेंडीचर को बढ़ाना पड़ता है और खर्चो की पूर्ति के लिए सरकार जनता से लोन लेती है. सरकार मुद्रास्फीति के कारण अपने व्यय की पूर्ति के लिए नए-नए कर लगाती है। साथ ही पुराने करों में वृद्धि भी कर सकती है. जाहिर सी बात यह है क यह हमारी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी पर सीधा असर डालती है.

Advertisement

Live tv

Advertisement

पसंदीदा वीडियो

Advertisement