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Israel पर Iran के हमले के बाद क्या 'बैलिस्टिक मिसाइल युद्ध' की जद में आ गया है Middle East?

बेंजामिन नेतन्याहू कस शुमार इजरायल के उन नेताओं में हैं जिन्होंने ईरानी खतरे के खिलाफ इजरायल की वकालत करके अपना करियर बनाया है. मिसाइल हमले के बाद अब वो किसी भी क्षण ईरानी परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमला करेंगे और लोगों को बताएंगे कि उनका जो वचन था वो लफ्फाजी नहीं है.

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Israel पर Iran के हमले के बाद क्या 'बैलिस्टिक मिसाइल युद्ध' की जद में आ गया है Middle East?

ईरान के इजरायल पर हमले के गंभीर परिणाम होने वाले हैं 

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लेबनान में इजरायल द्वारा हिजबुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह को मौत के घाट उतारने के बाद पूरा मध्य पूर्व जल रहा है. दक्षिणी लेबनान में चढ़ाई कर जहां एक तरफ इजरायल ने एक संगठन के रूप में हिजबुल्लाह के खात्मे की शुरुआत कर दी है. तो ईरान ने भी ये प्रण ले लिया है कि वो इजरायल को उसी की भाषा में जवाब देगा. जिस तरह दोनों देश एक दूसरे पर टूट पड़े हैं, कहना गलत नहीं है कि धीरे-धीरे पूरा विश्व इसकी चपेट में आएगा और ऐसा बहुत कुछ होगा जो हमारी सोच और कल्पना से परे होगा. 

ध्यान रहे उपरोक्त तमाम बातों की शुरुआत उस मिसाइल हमले के बाद हुई है, जो ईरान ने हसन नसरल्लाह की मौत के प्रतिशोध में इजरायल पर किया है. इतिहास में ये दूसरी बार और अमेरिका द्वारा लाख माना करने के बावजूद हुआ है. बता दें कि अमेरिका ने बहुत स्पष्ट लहजे में तेहरान को समझाया था कि, यदि वो हमला करता है तो उसे इसका खामियाजा भुगतना होगा.  

इजरायल ने भी ईरान को समझाया था कि अगर वो हमला करता है तो वह (इजरायल) उसके (ईरान के) परमाणु हथियार प्रोग्राम पर हमला कर उसकी कमर तोड़ देगा. न्यूयॉर्क टाइम्स की मानें तो अभी हाल में ही ईरान के अयातुल्लाओं को यह संदेश भेजा गया था कि वो ऐसा कुछ न करें जिसका खामियाजा उनके पूरे देश को भुगतना पड़े. 

आगे बढ़ने से पहले हमें इस बात को भी ध्यान में रखना होगा कि, इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू का शुमार उन लोगों में है, जिन्होंने ईरानी खतरे के खिलाफ इजरायल की वकालत करके अपना करियर बनाया है. माना यही जा रहा है कि इजरायल पर हमला कर ईरान ने उन्हें अपनी बातों को अमली जामा पहनाने का मौका दे दिया है.

कहा यह भी जा रहा है कि मौका हाथ लगते ही नेतन्याहू ईरान के परमाणु हथियार प्रोग्राम पर हमला कर न केवल अपनी मंशा को पूरा करेंगे. बल्कि वो दुनिया को ये भी बतांएगे कि इजरायल खोखली बातें न करते हुए एक्शन लेने पर यकीन रखता है. 

गौरतलब है कि जब ईरान ने इसी वर्ष अप्रैल में पहला सीधा हमला किया, तो इजरायल ने सांकेतिक तरीके से जवाब दिया. तब उस घटना को देखते हुए यही महसूस हुआ कि कोई भी पक्ष चुप बैठने वाला नहीं है.  इसके बाद अब जब हम ईरान द्वारा किये गए ताजे हमले का अवलोकन करते हैं तो मिलता है कि इस बार भी पूर्व की तरह ही होगा और इजरायल अपनी भाषा में ईरान के हमले का जवाब देगा.

ईरान के हमले के बाद अब इजराइल इन मिसाइलों के प्रभाव को कम आंकने का विकल्प चुन सकता है. यदि इससे सीमित नुकसान होता है तो इजराइली इसे ईरान की दूसरी विफलता मानेंगे. वहीं उनका ये भी मानना होगा कि इजरायल चुप न बैठे और कड़ी प्रतिक्रिया दे और इसके लिए अमेरिका इजरायल की मदद करे.  

वर्तमान में जैसे हालात स्थापित हुए हैं इसमें कोई शक नहीं है कि पूरा मिडिल ईस्ट बैलिस्टिक मिसाइल युद्ध की कगार पर पहुंच गया है. इजराइल के नेताओं को लग सकता है कि ईरान द्वारा उत्पन्न परमाणु खतरे को बेअसर करने के लिए यह सबसे अच्छा अवसर है, जिसे वे संभावित रूप से अस्तित्वगत मानते हैं.

इसके अलावा लेबनान में ईरान समर्पित हिजबुल्लाह, अव्यवस्थित हैं और संघर्षरत अर्थव्यवस्था और राष्ट्रव्यापी अशांति की विरासत के कारण इसका शासन कमजोर हो गया है, ऐसे में यदि इजरायल हमला करता है तो माना यही जा रहा है कि आने वाले वक्त में ईरान और लेबनान दोनों की हालत बहुत बुरी होने वाली है. 

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