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Budget 2024: क्या होता है बजट, यदि जान गए इन कठिन शब्दों का मतलब तो समझ लोगे पूरी इकोनॉमी

Budget 2024 Updates: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लगातार तीसरी बार गठित हुई सरकार अपना पहला आम बजट पेश कर है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के इस बजट को समझना है तो इससे जुड़े इन कुछ भारी-भरकम शब्दों के बारे में समझना बेहद जरूरी है.

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Budget 2024: क्या होता है बजट, यदि जान गए इन कठिन शब्दों का मतलब तो समझ लोगे पूरी इकोनॉमी
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Budget 2024 Updates: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार बनी केंद्र सरकार अपना पहला पूर्ण बजट आज (मंगलवार 23 जुलाई) को पेश करने जा रही है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अगले वित्त वर्ष 2024-25 के लिए बजट पेश करेंगी. बजट स्पीच में आम आदमी की निगाह खुद को मिलने जा रही इनकम टैक्स आदि की छूट पर लगी रहती है, लेकिन बहुत सारी अन्य बातें भी वह समझना चाहता है. कई बार ये बातें उन टेक्नीकल टर्म्स की वजह से आम आदमी की समझ में नहीं आती हैं, जो टर्म्स बजट को स्पष्ट करने के लिए वित्त मंत्री की स्पीच में बोली जाती हैं. इन्हें समझने के लिए आपको विशेषज्ञों की मदद लेनी पड़ती है. लेकिन हम आपको ऐसे ही कुछ भारी-भरकम शब्दों का अर्थ बताने की कोशिश कर रहे हैं ताकि आप खुद भी बजट को आसानी से समझ सकें और इसके लिए आपको एक्सपर्ट्स की मदद ना लेनी पड़े.


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पहले समझ लीजिए वित्तीय खर्च का लेखा-जोखा बजट क्यों कहा जाता है?

बजट फ्रैंच भाषा के शब्द बोजेत (Bougette) से बना है. बोजेत का मतलब होता है छोटा बैग. बोजेत शब्द भी लैटिन भाषा के बुल्गा (चमड़े का थैला) शब्द से बना है. इस शब्द की शुरुआत इंग्लैंड में साल 1733 में हुई थी. दरअसल इंग्लैंड के तत्कालीन वित्त मंत्री रॉबर्ट वालपॉल ने कमाई और खर्च के ब्योरे को ब्रिटिश संसद में पेश किया. वालपॉल के हाथ में लाल रंग का चमड़े का छोटा सा बैग था, जिसमें सरकार का आय-व्यय का ब्योरा था. इस बैग को फ्रैंच भाषा के शब्द बोजेत के आधार पर बजेटी कहा गया, जो बाद में बदलकर बजट हो गया. मजे की बात ये है कि भारतीय संविधान में बजट नाम का कोई शब्द ही नहीं है बल्कि इसकी जगह अनुच्छेद 112 के तहत एनुअल फाइनेंशियल स्टेटमेंट के तौर पर परिभाषित किया गया है, जिसमें सरकार अपने सालाना खर्च, अपने कर्ज पर होने वाले खर्च और टैक्स व अन्य जरियों से होने वाली कमाई का ब्योरा पेश करती है.


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अब जान लीजिए बजट से जुड़े ये खास शब्द-

  • वित्त विधेयक (Finance Bill): बजट के तहत सबसे अहम बात वित्त विधेयक ही होते हैं, जिनके जरिये सरकार की आमदनी बढ़ाने के लिए नए टैक्स लगाए जाने का प्रस्ताव रखा जाता है. यह मुख्य बजट से अलग होता है और आम बजट लोकसभा में पेश कर दिए जाने के बाद सदन में रखा जाता है.
  • राजकोषीय घाटा (Fiscal deficit): सरकार की कम कमाई और ज्यादा खर्च के बीच के अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है. इसमें सरकार यह बताती है कि उसके पास कितने पैसे की कमी है, जिसकी पूर्ति उसे उधार लेकर करनी होगी. इसे बजटीय घाटा भी कहते हैं.
  • चालू खाता घाटा (Current Account Deficit): देश में इंपोर्ट और एक्सपोर्ट के बीच के अंतर को चालू खाता घाटा कहते हैं. यह तब होता है, जब इंपोर्ट बिल किसी भी देश के एक्सपोर्ट बिल से ज्यादा हो जाता है यानी हम आयात पर खर्च ज्यादा कर रहे होते हैं और निर्यात से कमाई उसके मुकाबले कम होती है.
  • राजस्व सरप्लस (Revenue Surplus): यदि सरकार को राजस्व से होने वाली आमदनी उस पर होने वाले खर्च से ज्यादा होती है तो इसे राजस्व सरप्लस कहा जाता है. 
  • सरकारी राजस्व व व्यय (Government Revenue and Expenditure): सरकार की कमाई को सरकारी राजस्व कहते हैं. इसमें अलग-अलग स्रोत से सरकार को होने वाली सारी कमाई शामिल होती है. इसी तरह सरकार के सभी तरह के खर्च को सरकारी व्यय कहते हैं. 
  • बजट आकलन (Budget Estimation): सरकार को पूरे साल में टैक्स व अन्य शुल्क के जरिये कितनी कमाई होगी और कल्याण योजनाओं व इंफ्रास्ट्रक्चर आदि पर कितना खर्च होगा,त इसका लेखा-जोखा बजट में पेश किया जाता है. इसी को बजट आकलन कहते हैं.
  • भारत की संचित निधि (Consolidated Fund of India): हम जैसे अपनी कमाई का एक हिस्सा बचत में रखते हैं. इसी तरह सरकार भी अपनी कमाई एक फंड में बचाती हैं, जिसे भारत की संचित निधि कहते हैं. इसका प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 266(1) में किया है.
  • भारत की आकस्मिक निधि (Contingency Fund of India): किसी भी तरह की आकस्मिक परिस्थिति से निपटने के लिए जो फंड सरकार बचाती है, उसे भारत की आकस्मिक निधि कहते हैं. यह फंड किसी भी तरह की आपदा आदि में सरकार राष्ट्रपति की मंजूरी से उपयोग करती है.
  • लोक लेखा (Public Account): केंद्र सरकार खुद भी एक बैंकर की तरह काम करती है. इस भूमिका में सरकार जनता के लिए कई बचत योजनाएं चलाती हैं. इनमें पीपीएफ, किसान विकास पत्र, सुकन्या समृद्धि जैसी योजनाएं शामिल हैं, जिन पर सरकार ब्याज देती है. इन योजनाओं का पैसा जिस अकाउंट में आता है, वो लोक लेखा होता है. इस अकाउंट के पैसे का इस्तेमाल सरकार बिना संसदीय मंजूरी के कर सकती है.
  •  सकल घरेलू उत्पाद (GDP): बजट में जीडीपी (Gross Domestic Product) शब्द का उपयोग कई बार होता है. इसे देश की प्रगति का आईना माना जाता है. दरअसल जीडीपी देश के कुल प्रॉडक्शन को कहते हैं, जिसमें वस्तुओं के उत्पादन से लेकर सेवाएं देने तक को कहा जाता है. 
  • विनियोग विधेयक (Appropriation Bill): सरकार की कमाई यदि हर तरह के उपाय के बावजूद सरकारी खर्च को पूरा करने में कम पड़ रही है तो सरकार संचित निधि से धन लेती है. इसके लिए संसद की मंजूरी लेने को विनियोग विधेयक पेश किया जाता है. 
  • पूंजीगत बजट (Capital Budgeting): सरकार की आमदनी का अनुमानित ब्योरा पूंजीगत बजट में दिया जाता है. इसमें सरकार को रिजर्व बैंक से मिलने वाले पैसे से लेकर विदेशी बैंकों से लिए जाने वाले कर्ज तक सबकुछ शामिल होता है. इसमें केंद्र सरकार की तरफ से राज्यों को दिए जाने वाले कर्ज से हुई कमाई का अनुमान भी शामिल है.
  • संशोधित आकलन (Revised Estimate): बजट में यदि किसी चीज पर 1 रुपया खर्च करने का अनुमान लगाया जाता है, लेकिन यह खर्च 1.25 रुपये हो जाता है तो इस अंतर का लेखा-जोखा बजट में पेश किया जाता है. इसे ही रिवाइ़ज्ड एस्टीमेट कहते हैं. 
  • योजनाबद्ध व्यय (Plan Expenditure): सरकार की तरफ से बनाई गई किसी भी योजना पर जो खर्च तय किया जाता है, वो योजनाबद्ध व्यय के दायरे में आता है. इसका मतलब है वो खर्च जो पहले से ही तय कर लिया गया था. 
  • गैर योजना खर्च (Non Plan Expenditure): इसके दायरे में वे सभी खर्च आते हैं, जिनकी पहले से कोई प्लानिंग नहीं होती. इसमें राज्यों, सार्वजनिक उपक्रमों और दूसरे देशों को दी जाने वाली आर्थिक मदद से लेकर सरकारी कर्ज पर ब्याज की अदायगी, रक्षा, सब्सिडी, डाक, पुलिस, पेंशन और आर्थिक सेवाओं पर होने वाला खर्च शामिल है.
  • पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure or Capex): सरकार यदि किसी भी तरह की परिसंपत्ति खरीदती है तो उसके भुगतान के लिए दिया गया पैसा पूंजीगत व्यय में आता है. इसमें राज्यों को दिया जाने वाला कर्ज भी पूंजी खर्च में शामिल होता है. 
  • पूंजी प्राप्तियां (Capital Receipts): सरकार को राज्यों को दिए पिछले कर्ज की उगाही से हुई आमदनी के अलावा सार्वजनिक कंपनियों में सरकारी हिस्सेदारी बेचने से मिली रकम, रिजर्व बैंक व अन्य एजेंसियों से मिला कर्ज, ट्रेजरी चालान की बिक्री से हुई आमदनी इसमें ही आती है. 
  • अनुदान मांग (Demand for Grants): किसी भी तरह संचित कोष से मांगे गए धन के खर्चों का अनुमानित लेखा-जोखा ही अनुदान मांग है.

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