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INS Vikrant: भारतीय नेवी को 2 दिन बाद मिलेगा पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर, क्यों 'उधार' के विमानों से सजेगा

भारत ने करीब 17 साल पहले अपने पहले एयरक्राफ्ट कैरियर INS VIKRANT का निर्माण शुरू किया था. अब शुक्रवार को इसे Indian Navy में कमीशन किया जा रहा है, लेकिन भारत सरकार इस 262 मीटर लंबे जहाज पर तैनात होने वाले फाइटर जेट्स की खरीद अब तक नहीं कर सकी है.

INS Vikrant: भारतीय नेवी को 2 दिन बाद मिलेगा पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर, क्यों 'उधार' के विमानों से सजेगा
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डीएनए हिंदी: देश में बना पहला एयरक्राफ्ट कैरियर शुक्रवार को औपचारिक तौर पर तैनात हो जाएगा. भारतीय नेवी (Indian Navy) को यह एयरक्राफ्ट कैरियर करीब 17 साल लंबे इंतजार के बाद मिलने जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) इस एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत (INS Vikrant) को कोचीन शिपयार्ड (Cochin Shipyard) में 2 सितंबर को भारतीय नेवी में कमीशन करेंगे.

भारतीय नेवी के लिए भले ही 2 सितंबर से INS विक्रांत भारतीय समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के लिए काम करने लगेगा, लेकिन इसे अपनी फाइटर जेट्स फ्लीट मिलने में अभी लंबा समय लगने वाला है. फिलहाल इस एयरक्राफ्ट कैरियर के डेक पर रूस में डिजाइन किए कुछ मिग और सुखोई फाइटर जेट्स तैनात होंगे, जो देश के एक अन्य एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रमादित्य (INS Vikramaditya) से उधार लिए जाएंगे.

पढ़ें- देश के पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएसी विक्रांत की क्या है खासियत, 2 सितंबर को नौसेना को मिलेगा 

INS VIkrant Deck

फ्रांस और अमेरिकी कंपनी से चल रही भारत की बात

Reuters की रिपोर्ट के मुताबिक, INS विक्रांत पर भारतीय नेवी ने दो दर्जन फाइटर जेट्स की फ्लीट तैनात करने की योजना बनाई है. इन फाइटर जेट्स की खरीद के लिए कई कंपनियों से बात चल रही है, जिनमें राफेल (Rafel) विमान बनाने वाली फ्रांस (France) की कंपनी दसॉ (Dassault) और भारतीय वायुसेना (Indian Airforce) को चिनूक हेलिकॉप्टर (Chinook) दे चुकी अमेरिका (USA) की बोइंग (Boeing) कंपनी होड़ में सबसे आगे हैं. हालांकि इन फाइटर जेट्स की खरीद कब तक पूरी हो जाएगी, इसके लिए रॉयटर्स की तरफ से पूछे गए सवाल का भारतीय नेवी और रक्षा मंत्रालय ने कोई जवाब अभी नहीं दिया है.

पढ़ें- भारत के पास हैं कितने Chinook helicopter, क्या हैं क्षमताएं, क्यों है सेना के लिए खास?

30 एयरक्राफ्ट तैनात हो सकते हैं INS विक्रांत पर

भारतीय नेवी के लिए कोच्चि के कोचीन शिपयार्ड में पूरी तरह स्वदेशी उपकरणों से निर्मित INS विक्रांत पर 1,600 कर्मचारी तैनात हो सकते हैं, जबकि इस पर फाइटर जेट्स और हेलिकॉप्टर मिलाकर कुल 30 एयरक्राफ्ट तैनात किए जा सकते हैं.

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इस एयरक्राफ्ट में 75% से ज्यादा उपकरण और मशीनरी स्वदेश में ही बने हुए हैं, जो देश में 6 से ज्यादा बड़ी कंपनियों और 100 से ज्यादा छोटी-छोटी कंपनियों ने बनाए हैं. इसका निर्माण करीब एक साल पहले पूरा हो गया था, लेकिन निर्माण के बाद भारतीय नेवी में शामिल होने से पहले इसे कड़े परीक्षणों से गुजरना पड़ा है.

पढ़ें- Chinook Helicopter: अमेरिकी सेना ने अपने बेड़े के उड़ान भरने पर लगाई रोक, भारत ने मांगी जानकारी

INS Vikrant Deck

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

पूर्व भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल अरुण प्रकाश (Admiral Arun Prakash) ने कहा, समुद्री परीक्षणों में एयरक्राफ्ट कैरियर ने बेहतरीन परफॉर्मेंस दी है. एयरक्राफ्ट ऑपरेशंस अभी होने बाकी है. उम्मीद है कि ये एक सक्सेस स्टोरी साबित होगा. फाइटर जेट्स की खरीद अब तक नहीं होने पर उन्होंने कहा, हमारी निर्णय लेने की प्रक्रिया के कारण फाइटर जेट्स के चयन को कैरियर प्रोजेक्ट से अलग रखा गया और इस पर निर्णय होना अब भी बाकी है. हम जानते थे कि एयरक्राफ्ट कैरियर इस साल कमीशन हो जाएगा. ऐसे में एयरक्राफ्ट की चयन प्रक्रिया के साथ मोलभाव का काम कम से कम 3 से 4 साल पहले शुरू हो जाना चाहिए था.

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बिना एयरक्राफ्ट के कैरियर की धमक कैसे होगी!

नई दिल्ली के नेशनल मैरीटाइम फाउंडेशन थिंक-टैंक के सीनियर फेलो कमलेश कुमार अग्निहोत्री सवाल उठाते हैं कि बिना एयरक्राफ्ट के कैरियर की धमक कैसे होगी. रिटायर्ड नेवी कैप्टन अग्निहोत्री का कहना है कि यदि एक एयरक्राफ्ट करियर ऑपरेशनल हो रहा है तो उसका मुख्य हथियार एयर विंग रहेगी, इसलिए फाइटर जेट्स का नहीं होना एक क्रिटिकल शॉर्टफॉल है.

भारतीय नेवी के पास रूस में निर्मित 40 मिग-29के (MiG-29K) फाइटर जेट्स इस समय हैं, जो INS विक्रमादित्य (रूस से लीज पर लिया एयरक्राफ्ट कैरियर) से संचालित हो रहे हैं. इनमें से कुछ फाइटर जेट्स को ही INS विक्रांत पर तैनात किया जाना है. 

INS Vikrant Hospital

चीन से मिल रही समुद्री चुनौती के सामने क्या होगा प्रभाव

INS विक्रांत के कमीशन होने के बाद भारत अपने इस्टर्न और वेस्टर्न सीबोर्ड्स पर एक-एक एयरक्राफ्ट कैरियर तैनात कर सकता है. इससे भारत की समुद्री उपस्थिति बढ़ेगी, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसके बावजूद भारतीय नेवी अपने क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी चीन के मुकाबले बेहद पीछे है. यह स्थिति इस पॉइंट को देखते हुए बेहद अहम है कि दुनिया के दो सबसे ज्यादा आबादी वाले देश आपस में ऐसी सीमा साझा करते हैं, जो कई जगह विवादित है और साल 2020 से दोनों देशों की सेनाएं आपस में घातक गतिरोध पर बनी हुई हैं. 

चीन और भारतीय नेवी में अंतर

चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी Chinese People's Liberation Army Navy) के पास करीब 355 युद्धपोत हैं, जिनमें 2 एयरक्राफ्ट कैरियर, 48 डेस्ट्रॉयर, 43 फ्रिगेट्स और 61 कॉवर्टीज हैं. इसके उलट भारत के पास अभी तक 1 एयरक्राफ्ट कैरियर, 10 डेस्ट्रॉयर, 12 फ्रिगेट और 20 कॉवर्टीज हैं.

चीन ने जून में अपना तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर भी लॉन्च किया है, जिसकी खासियत काटापुल्ट लॉन्च सिस्टम (एक प्रकार की गुलेल प्रक्षेपण प्रणाली) वाला फुल लेंग्थ फ्लाइट डेक है. इसके उलट भारत के एयरक्राफ्ट कैरियर छोटे हैं,जो स्की-जंप लॉन्च सिस्टम का उपयोग करते हैं.

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