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Explainer: क्या है GCC, इसकी मीटिंग में शरीक होने सऊदी क्यों गए एस जयशंकर, भारत के लिए ये है कितना खास?

दरअसल गल्फ देशों का एक स्थानीय समूह है. इस समूह का गठन साल 1981 में किया गया था. इसमें सदस्य देशों की बात करें तो इसमें उन देशों को शामिल किया गया है जिनकी सीमाएं फारस की खाड़ी से लगती है.

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Explainer: क्या है GCC, इसकी मीटिंग में शरीक होने सऊदी क्यों गए एस जयशंकर, भारत के लिए ये है कितना खास?

S Jaishankar 

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भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल (GCC) की मीटिंग में शामिल हुए. भारत की छवि पिछले कुछ सालों में गल्फ देशों के एक बड़े व्यापारिक पार्टनर के रूप में बनी है. विदेश मंत्री सऊदी अरब के दो दिवसीय दौरे पर थे. जयशंकर का स्वागत वहां के मंत्री अब्दुल मजीद ने की है. दरअसल विदेश मंत्रालय कि तरफ से इसको लेकर एक प्रेस रिलीज जारी की गई. इस प्रेस रिलीज में बताया गया कि विदेश मंत्री की ये यात्रा में गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल (GCC) की मीटिंग के संदर्भ में है. साथ ही इसमें कहा गया कि GCC में भारत की स्थिति एक बड़े व्यापारिक साझेदार के रूप में स्थापित हुई है.

GCC क्या है?
दरअसल गल्फ देशों का एक स्थानीय समूह है. इस समूह का गठन साल 1981 में किया गया था. इसमें सदस्य देशों की बात करें तो इसमें उन देशों को शामिल किया गया है जिनकी सीमाएँ फारस की खाड़ी से लगती है. मूल रूप से यही राष्ट्र खड़ी देश भी कहलाते हैं. कुल 6 देश इस समूह का हिस्सा हैं. इनमें सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), कुवैत, कतर, ओमान और बहरीन शामिल हैं. इस संगठन के हेडक्वर्टर की बात करें तो वो सऊदी के कैपिटल रियाद में स्थित है. इस समूह का हिस्सा बनने के लिए पिछले कई सालों से वहां मौजूद कई दूसरे देशों ने भी आवेदन दिया है, इनमें यमन, जॉर्डन और मोरक्को शरीक हैं. हालांकि इन्हें अभी तक इस समूह का हिस्सा नहीं बनाया गया है. इस समूह की मीटिंग के दौरान इसके पार्टनर देशों को भी आमंत्रित किया जाता है. भारत भी इन्हीं आमंत्रण के तहत इसमें शामिल होता है.

भारत के लिए है बेहद अहम
इस दौरान सोमवार यानी कल भारत के विदेशमंत्री जयशंकर की मुलाकात कतर के पीएम के मोहम्मद बिन अब्दुल रहमान बिन जासिम अल सानी से हुई. इस मुलाकात को लेकर विदेश मंत्री की तरफ से बताया गया कि ‘कतर के पीएम और विदेश मंत्री से एक शानदार भेंट हुई. दोनों देशों के आपस के संबंध को और भी ज्यादा प्रगाढ़ करने को लेकर बातचीत हुई. साथ ही क्षेत्रीय घटनाक्रमों को लेकर उनके नजरिए की प्रसंशा करता हूं.’आपको बताते चलें कि ये समूह भारत के सामरिक और रणनीतिक नजरिए से बेहद अहम है.


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