Twitter
Advertisement
  • LATEST
  • WEBSTORY
  • TRENDING
  • PHOTOS
  • ENTERTAINMENT

Arunachal-China Border Dispute: अरुणाचल प्रदेश में चीन के साथ क्या है सीमा विवाद? किन-किन इलाकों पर हो चुका है तनाव

India China Face Off: अरुणाचल को चीन दक्षिण तिब्बत का हिस्सा मानता है. इस इलाके पर चीन का कब्जा है.  

Latest News
Arunachal-China Border Dispute: अरुणाचल प्रदेश में चीन के साथ क्या है सीमा विवाद? किन-किन इलाकों पर हो चुका है तनाव
FacebookTwitterWhatsappLinkedin

TRENDING NOW

डीएनए हिंदीः भारत और चीन के बीच एक बार फिर हिंसक झड़प हुई है. पहले गलवान इलाके में चीन ने भारतीय सैनिकों के साथ झड़प की जिसमें उसे मुंह की खानी पड़ी और अब अरुणाचल के तवांग () में झड़प सामने आई है. वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर लगातार तनाव बना हुआ है. ऐसा पहली बार नहीं है कि चीन के साथ अरुणाचल में तनाव सामने आया हो, इससे पहले भी कई मौकों पर चीन के साथ तनातनी की खबरें सामने आई थी. आखिर अरुणाचल और चीन के बीच सीमा विवाद का मामला क्या है, इसे विस्तार से समझते हैं. 

चीन के साथ क्या है सीमा विवाद?
भारत और चीन के बीच करीब 3,488 किमी लंबी सीमा लगती है. इसे एलएसी यानी वास्तविक नियंत्रण रेखा कहा जाता है. ये सीमा तीन हिस्सों में बंटी हुई है. इसे तीन सेक्टर्स- ईस्टर्न, मिडिल और वेस्टर्न में बांटा गया है. इनमें से ईस्टर्न सेक्टर करीब 1346 किमी लंबा है. इसमें अरुणाचल और सिक्किम का इलाका लगता है. मिडिल सेक्टर में हिमाचल और उत्तराखंड के बीच करीब 545 किमी की सीमा चीन के साथ लगती है. वहीं, वेस्टर्न सेक्टर में लद्दाख के साथ 1,597 किमी लंबी सीमा लगती है. अरुणाचल प्रदेश को चीन दक्षिणी तिब्बत बताते हुए इसे अपनी जमीन होने का दावा करता है. तिब्बत को भी चीन ने 1950 में हमला कर अपने में मिला लिया था. भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार, चीन अरुणाचल प्रदेश की करीब 90 हजार वर्ग किलोमीटर पर अपना दावा करता है.

ये भी पढ़ेंः क्या है डेथ टेस्ट? कैसे इससे की जाएगी किसी भी इंसान की मौत की भविष्यवाणी

1912 तक नहीं थी कोई सीमा रेखा 
बता दें कि 1912 तक भारत और तिब्बत के बीच कोई सीमा रेखा नहीं थी. इसका एक कारण भी था. इस इलाके में ना तो कभी अंग्रेजों ने शासन किया और ना ही मुगलों ने. हालांकि 1914 में अरुणाचल प्रदेश में प्रसिद्ध बौद्ध स्थल तवांग मठ मिलने के बाद सीमा निर्धारित करने का फैसला किया गया. इसे लेकर 1914 में शिमला समझौते के तहत तिब्बत, चीन और ब्रिटिश अधिकारियों के साथ बैठक में सीमा निर्धारण करने का फैसला किया गया. इस समझौते में चीन ने तिब्बत को स्वतंत्र देश मानने से पहले की तरह इनकार कर दिया. दूसरी तरफ वहीं कमजोर राष्ट्र देखते हुए ब्रिटिश अंग्रेजों ने दक्षिणी तिब्बत और तवांग को भारत में मिलाने का फैसला किया. चीन ने 1950 में तिब्बत पर हमला बोलकर अपने में मिला लिया.

तमांग क्यों है महत्वपूर्ण? 
अंतरराष्ट्रीय मानचित्र में अरुणाचल को भारतीय हिस्से में दिखाया जाता है लेकिन चीन इससे इनकार करते हुए दावा करता है कि तिब्बत (जो वर्तमान में चीन का हिस्सा है) के दक्षिणी हिस्से अरुणाचल प्रदेश पर भारत का कब्जा है. अरुणाचल में ही तवांग मठ भी है जहां. छठे दलाई लामा का 1683 में जन्म हुआ था. तिब्बत में बौद्ध धर्मों को मानने वाले अधिक थे. चीन चाहता था कि बौद्धों के दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल तवांग पर उसका अधिकार रहे.  

ये भी पढ़ेंः Electoral Bonds: सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड की 24वीं किस्त को दी मंजूरी, क्या होता है यह और कब से खरीद पाएंगे 

मैकमोहन लाइन क्या है?
दरअसल 1914 में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार चीन और तिब्बत के बीच शिमला समझौता किया गया. इसमें ब्रिटिश इंडिया के विदेश सचिव हेनरी मैकमोहन थे. तब उन्होंने ब्रिटिश इंडिया और तिब्बत के बीच 890 किमी लंबी सीमा खींची थी. इसी को मैकमोलन लाइन कहा गया. इस समझौते में अरुणाचल को भारत का हिस्सा बताया गया. हालांकि चीन ने इसे मानने से इनकार कर दिया. चीन का कहना है कि अरुणाचल दक्षिण तिब्बत है हिस्सा है. दक्षिण तिब्बत चीन के अधिकार क्षेत्र में है तो चीन अरुणाचल को भी अपना ही हिस्सा मानता है. 

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर. 

Advertisement

Live tv

Advertisement

पसंदीदा वीडियो

Advertisement