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Artificial Intelligence क्यों है भारत के लिए ज़रूरी? जानिए, विदेश में कैसे हो रहा है AI का इस्तेमाल

Artificial Intelligence in India: भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को आगे बढ़ाने के लिए अब सरकार के स्तर पर भी काम शुरू हो गया है. आने वाले समय में कई सेक्टर में AI का इस्तेमाल किया जाएगा.

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Artificial Intelligence क्यों है भारत के लिए ज़रूरी? जानिए, विदेश में कैसे हो रहा है AI का इस्तेमाल

प्रतीकात्मक तस्वीर

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डीएनए हिंदी: बचपन से ही हम कई तरह की SCI-FI मूवीज देखते आ रहे हैं जिन्हें देखकर हम हैरान रह जाते थे कि ऐसा कैसे हो सकता है. TV में मानव रूपी रोबोट को देख हमें भी इसे बनाने की इच्छा होती थी. उसके बाद बड़े होकर हमने साइंस और टेक्नोलॉजी की प्रगति की एक विशाल लहर को भी अनुभव किया जिसने हमारी दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों को आसान बना दिया. इन्हीं नई तकनीकों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक अहम पहलू बन के उभरा है. आज की दुनिया में लगभग हर उद्योग डिजिटल क्रांति को लागू करने के लिए AI तकनीक का उपयोग कर रहा है जो आज सबसे ज़्यादा डिमांड वाला करियर बन चुका है.

Artificial Intelligence क्या है?
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस- जिसका अर्थ होता है बनावटी तरीके से विकसित की गई बौद्धिक क्षमता. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जनक जॉन मैकार्थी के अनुसार यह बुद्धिमान मशीनों, विशेष रूप से बुद्धिमान कंप्यूटर प्रोग्राम को बनाने का विज्ञान और मशीनों द्वारा प्रदर्शित की गई इंटेलिजेंस है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंप्यूटर साइंस का एक सब-डिवीजन है और इसकी जड़ें पूरी तरह से कंप्यूटिंग सिस्टम पर आधारित हैं. यह मशीनों की सोचने, समझने, सीखने, समस्या हल करने और निर्णय लेने जैसी संज्ञानात्मक कार्यों को करने की क्षमता को सूचित करता है. AI का लक्ष्य ऐसे उपकरणों का निर्माण करना है जो बुद्धिमानी से और स्वतंत्र रूप से कार्य कर सकें और ह्यूमन लेबर और मैनुअल काम को कम कर सकें.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस

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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शुरुआत कैसे हुई?
AI की शुरुआत 1950 के दशक में ही हो गई थी लेकिन इसको 1970 के दशक में पहचान मिली. जापान ने सबसे पहले पहल की और 1981 में 5th Generation नाम की योजना की शुरुआत की थी. इसमें, सुपर-कंप्यूटर के विकास के लिए 10-वर्षीय कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की गई थी. बाद में ब्रिटेन ने इसके लिए ‘एल्वी’ नाम का एक प्रोजेक्ट बनाया.

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भारत में AI की पहल और उसके फायदे
1- हाल ही में भारत सरकार ने AI मिशन पर नीति आयोग Ministry of Electronics and Information Technology- MeitY  के बीच मतभेद को हल करने हेतु एक समिति का गठन किया है. इस समिति में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव, नीति आयोग के सीईओ और MeitY के सचिव शामिल हैं. इसकी अध्यक्षता मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार K Vijay Raghavan  कर रहे हैं. भारत अपनी अर्थव्यवस्था को डिज़िटल अर्थव्यवस्था बनाने के साथ-साथ सरकारी काम-काज को AI से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है.

2- नीति आयोग के अनुमान के अनुसार, AI को अपनाने और बढ़ावा देने से साल 2035 तक भारत की GDP में 957 बिलियन डॉलर की वृद्धि के साथ ही और वर्ष 2035 तक भारत की वार्षिक वृद्धि दर के 1.3 प्रतिशत तक बढ़ने की संभावना है.

3- कृषि क्षेत्र में भी इसके प्रयोग से किसानों की आय और कृषि उत्पादकता को बढ़ाने और फ़िज़ूलख़र्ची को कम करने में सहायक साबित हो सकता है.

4-AI गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक लोगों की पहुंच को बढ़ा सकता है. इसकी मदद से शिक्षा की गुणवत्ता में भी सुधार किया जा सकता है और शिक्षा तक लोगों की पहुंच को बढ़ाया जा सकता है. इसकी सहायता से प्रशासन में दक्षता को बढ़ाया जा सकता है. इसके अतिरिक्त व्यापार और वाणिज्य में भी इसका लाभ मिल सकता है.

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कैसे बनाए AI में करियर
आर्टिफिशियल इंजीनियरिंग में बैचलर और मास्टर स्तर के पाठ्यक्रमों में प्रवेश पाने के लिए, छात्रों को किसी मान्यता प्राप्त स्कूल से न्यूनतम 10+2 की स्कूली शिक्षा होनी चाहिए. IELTS या TOEFL आदि जैसे अंग्रेजी भाषा प्रवीणता परीक्षाओं के साथ जीआरई उत्तीर्ण करना अनिवार्य है. मास्टर स्तर के पाठ्यक्रमों का चयन करने वाले छात्रों के लिए, कंप्यूटर विज्ञान या संबंधित विषयों में बैचलर डिग्री होना आवश्यक है.

भारत में इंजीनियरिंग में बैचलर्स के लिए कुछ कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज में JEE mains, JEE Advanced जैसी प्रवेश परीक्षाएं अनिवार्य हैं. साथ ही कुछ कॉलेज और यूनिवर्सिटीज अपनी स्वयं की प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करतीं हैं. विदेश में इन कोर्सेज के लिए यूनिवर्सिटी द्वारा निर्धारित आवश्यक ग्रेड आवश्यकताओं को पूरा करना जरूरी है, जो हर यूनिवर्सिटी और कोर्स के अनुसार अलग–अलग हो सकती है.

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विदेशों में अधिकतर यूनिवर्सिटीज बैचलर्स के लिए SAT और मास्टर्स कोर्सेज के लिए GRE स्कोर की मांग करते हैं. विदेशी यूनिवर्सिटीज में पढ़ने के लिए SOP, LOR, सीवी/रिज्यूमे और पोर्टफोलियो भी जमा करने की जरूरत होती है.

हेल्थ सेक्टर में बेहद कारगर है
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को यह पता लगाने के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है कि टिश्यू  में ट्यूमर मौजूद है या नहीं. हालांकि, कुछ समय पहले तक, यह एक रहस्य बना हुआ था कि यह अपना निर्णय कैसे करता है. जर्मनी के Ruhr-Universitat Bochum के रिसर्च सेंटर फॉर प्रोटीन डायग्नोस्टिक्स (PRODI) की एक टीम एक नए दृष्टिकोण पर काम कर रही है जो AI के जजमेंट को स्पष्ट और भरोसेमंद बना देगा.

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प्रोफेसर Axel Mosig के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने मेडिकल इमेज एनालिसिस जर्नल में इस दृष्टिकोण का वर्णन किया है जिन्होंने अपनी टीम के साथ यह पता लगाया की AI Tissue Sample को देखकर यह पता लगा सकता है कि उसमें किसी प्रकार का ट्यूमर मौजूद है या नहीं. 

भारत के टॉप विश्वविद्यालय
1.    सभी IIT 
2.    आंध्र यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, विशाखापत्तनम
3.    एनआईटी सुरथकल- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी कर्नाटक
4.    इंस्टीट्यूशंस ऑफ इंजीनियर्स इंडिया, कोलकाता
5.    सीवी रमन ग्लोबल यूनिवर्सिटी, भुवनेश्वर
6.    वेल्स विश्वविद्यालय- वेल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस टेक्नोलॉजी एंड एडवांस्ड स्टडीज
7.    श्रीनिवास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मैंगलोर
8.    शिवाजी विश्वविद्यालय, कोल्हापुरी
9.    इंडियन मैरीटाइम यूनिवर्सिटी, चेन्नई
10.    पार्क कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, कोयंबटूर
11.    समुंद्रा इंस्टीट्यूट ऑफ मैरीटाइम स्टडीज, पुणे
12.    जीकेएम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, चेन्नई

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