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Chief Minister कैसे बदल दिए जाते हैं? जानिए क्या हैं मुख्यमंत्री चुनने, बनाने और हटाने के नियम

CM Resignation: मुख्यमंत्रियों से रातों-रात इस्तीफा लिया जाता है और कोई दूसरा शख्स सीएम बन जाता है. क्या आप जानते हैं कि इसका नियम क्या है?

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Chief Minister कैसे बदल दिए जाते हैं? जानिए क्या हैं मुख्यमंत्री चुनने, बनाने और हटाने के नियम

अचानक कैसे बदल दिए जाते हैं राज्यों के मुख्यमंत्री?

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डीएनए हिंदी: त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देब ने इस्तीफा दे दिया. अब उनकी जगह डॉ. माणिक साहा नए मुख्यमंत्री बनेंगे. इससे पहले भी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने खुद कई राज्यों में अपने मुख्यमंत्री बदले हैं. कई बार तो दूसरी पार्टी भी जोड़-तोड़ करके सरकार गिरा देती है और अपनी सरकार बना लेती है. आज हम यही समझाने की कोशिश करेंगे कि आखिर मुख्यमंत्री कैसे तय होते हैं. मुख्यमंत्री बने रहने के लिए क्या योग्यता चाहिए, कब मुख्यमंत्री को हटाया जा सकता है और नए मुख्यमंत्री के लिए व्यक्ति की योग्यता क्या होनी चाहिए. आइए मुख्यमंत्री से जुड़ी इन सारी बातों को अच्छे से समझते हैं...

हाल में बीजेपी ने त्रिपुरा का मुख्यमंत्री बदला है. इससे पहले कर्नाटक में बी एस येदियुरप्पा को हटाकर बसवराज बोम्मई, असम में सरकार बदलने के बाद सर्बानंद सोनोवाल की जगह हिमंत बिस्वा सरमा, उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह तीरथ सिंह रावत, फिर तीरथ सिंह रावत की जगह पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बना दिया गया. इसके अलावा, पिछले कुछ सालों में मध्य प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों में सरकार गिर गई और विपक्षी पार्टी ने अपनी सरकार बना ली. 

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क्या है मुख्यमंत्री बनने की योग्यता?
मुख्यमंत्री के लिए सबसे पहली योग्यता यह है कि उसे विधानसभा या जिन राज्यों में विधान परिषद हो, उनमें किसी भी एक सदन का सदस्य होना चाहिए. विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए कम से कम उम्र 25 साल और विधान परिषद का सदस्य बनने के लिए कम से कम 30 साल उम्र होनी चाहिए. इन दोनों में से किसी भी सदन का सदस्य होने पर व्यक्ति मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकता है.

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बिना विधायक बने भी बन सकते हैं मुख्यमंत्री?
संविधान के नियमों के मुताबिक, बहुमत पाने वाली पार्टी की ओर से प्रस्तावित किए जाने पर या किसी पार्टी को बहुमत न होने की दशा में राज्यपाल अपने विवेक से किसी भी व्यक्ति को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला सकते हैं. शपथ लेने के बाद मुख्यमंत्री को सदन में बहुमत साबित करना होता है. इसके अलावा, शपथ लेने के दिन से अगले छह महीने के अंदर मुख्यमंत्री को दोनों में से किसी एक सदन की सदस्यता हासिल करनी होती है. 

इसका उदाहरण उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी हैं. पुष्कर सिंह धामी विधानसभा का चुनाव हार गए लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया. अब उन्हें छह महीने के भीतर विधानसभा का सदस्य बनना है. यही वजह कि बीजेपी ने अपने एक विधायक का इस्तीफा दिलवाया है. अब उस सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं. अगर पुष्कर सिंह धामी वह चुनाव जीत गए तो सीएम बने रहेंगे. अगर वह चुनाव हार गए तो उन्हें मुख्यमंत्री पद भी छोड़ना पड़ेगा.

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कैसे हटाए जा सकते हैं मुख्यमंत्री?
मुख्यमंत्री, विधायक दल का नेता होता है. विधायकों के समर्थन से ही वह सीएम बनता है. अगर कोई पार्टी अपना मुख्यमंत्री बदलना चाहती है तो वह विधायकों और सीएम से बात करती है. यहां पार्टी ही सर्वेसर्वा होती है इसलिए विधायक के पास ज्यादा विकल्प नहीं बचते और उसे पार्टी की बात माननी ही पड़ती है. इसके बाद मुख्यमंत्री राज्यपाल से मिलकर अपना इस्तीफा सौंप दे देते हैं. इसके बाद बहुमत वाली पार्टी की ओर से नया मुख्यमंत्री, राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश करता है.

दूसरी पार्टी कैसे गिरा देती है सरकार?
सरकार बनाने और चलाने का पूरा गणित बहुमत के हिसाब से होता है. बहुमत का मतलब है 51 प्रतिशत विधायक. यानी अगर कुल विधायकों की संख्या 100 है तो 51 विधायकों की ज़रूरत होती है. इसमें स्पीकर नहीं गिने जाते क्योंकि वे कुछ सीमित मामलों में ही वोट डाल सकते हैं. अगर सत्ता पक्ष के कुछ विधायक पार्टी बदल लें या दो तिहाई विधायक ही पार्टी छोड़कर नई पार्टी बना लें तो सरकार गिर जाती है.

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इसे कर्नाटक और मध्य प्रदेश के उदाहरण से समझिए. मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और बीजेपी के पास बहुमत नहीं था. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी जॉइन कर ली. सिंधिया समर्थक 28 विधायकों ने कांग्रेस और विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. अब कांग्रेस का बहुमत खत्म हो गया और कमलनाथ को इस्तीफा देना पड़ा. शिवराज सिंह चौहान के पास पूरी विधानसभा में बहुमत तो नहीं था लेकिन मौजूद विधायकों की संख्या के हिसाब से सबसे ज्यादा विधायक उनके पास थे.

यही कारण रहा कि राज्यपाल ने शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी. जिन विधायकों ने इस्तीफे दिए थे, उनकी सीटों पर फिर से विधानसभा चुनाव कराए गए. ज्यादातर सीटों पर इस बार बीजेपी को जीत हासिल हुई और उसकी सरकार बरकरार है.

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