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Food Shortage in the World: क्यों दुनिया से खत्म हो जाएगा अन्न, Museum में दाल-रोटी के होंगे दर्शन?

साल 2050 तक धरती से अन्न खत्म हो जाएगा. एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में भुखमरी स्थिति बन जाएगी.

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Food Shortage in the World: क्यों दुनिया से खत्म हो जाएगा अन्न, Museum में दाल-रोटी के होंगे दर्शन?

खाद्य संकट

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डीएनए हिंदी: रोटी, कपड़ा और मकान रोटी इंसान की सबसे बड़ी जरुरत है. सोचिए अगर दुनिया से रोटी ही यानी कि अनाज ही खत्म हो जाए तो क्या होगा? सामाजिक और आर्थिक आंकड़ों पर नज़र रखने वाली संस्था द वर्ल्ड काउंट (The world count) की एक रिपोर्ट के मुताबिक 27 साल बाद लोग अनाज के लिए संघर्ष करेंगे. रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में अकाल की स्थिति पैदा हो जाएगी. रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2050 तक दुनिया भर में अनाज की भारी कमी आ जाएगी. इस रिपोर्ट ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है.

द वर्ल्ड काउंट ने इस रिपोर्ट को जारी करते हुए अपनी वेबसाइट पर अनाज (Food Crisis) खत्म होने का काउंटडाउन भी डाला है. इस उलटी गिनती के मुताबिक अब धरती से अनाज खत्म होने में 27 साल 238 दिन और 2 घंटे ही बचे हैं.

द वर्ल्ड काउंट की रिपोर्ट के मुताबिक आज से 27 साल बाद दाल-रोटी दुर्लभ हो जाएगी. इसके मुताबिक कुछ ऐसे म्यूजियम भी बनाए जा सकते हैं  जहां पर दाल, चावल, गेहूं, मक्का और ज्वार रखे जाएंगे.

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क्या कहती है रिपोर्ट?
 
साल 2050 तक विश्व की जनसंख्या एक हजार करोड़ से ज्यादा हो जाएगी. ऐसे में वर्ष 2017 की तुलना में वर्ष 2050 में 70% अधिक भोजन की मांग होगी. जिसका खपत कर पाना मुश्किल होगा. इस बीच पृथ्वी से हर साल 7,500 मिलियन टन उपजाऊ मिट्टी खत्म रही है. बता दें कि पिछले 40 सालों में विश्व की एक तिहाई कृषि योग्य भूमि (Cultivation land) बर्बाद हो गई है. इस मुताबिक अगले 40 साल में लोगों को उतना अनाज पैदा करना होगा जितना 8 हजार साल में नहीं हुआ है. यानी साल 2050 तक एक हजार करोड़ लोगों के लिए खाद्यान्न का उत्पादन करने के लिए पृथ्वी पर खेती के लिए पर्याप्त उपजाऊ भूमि नहीं होगी. रिपोर्ट में बताया गया है कि वैश्विक खाद्य संकट (global food crisis) का प्रभाव साल 2030 से ही दिखाई देने लगेगा. 2030 तक चावल 130  प्रतिशत और मक्का 180 प्रतिशत महंगा हो जाएगा.

 खाद्य संकट

इसे दूसरे तरीके से समझने के लिए अगर अगले 27 सालों में मंगल जैसे अन्य ग्रहों पर जीवन की खोज नहीं की गई और वहां पानी और कृषि की संभावना की खोज नहीं की गई तो पृथ्वी लोगों को पर्याप्त मात्रा में भोजन नहीं प्रदान कर पाएगी. हम अक्सर कहते हैं कि भविष्य की जंग पानी को लेकर होगी लेकिन अनाज का यह संकट बताता है कि भविष्य की जंग दाल-रोटी को भी लेकर सकती है. भविष्य का यह खाद्य संकट (food crisis) हमारी वर्तमान खाद्य शैली से जुड़ा हुआ है. 

भारतीय संस्कृति (Indian culture) में अन्न या अनाज को देवी अन्नपूर्णा का प्रसाद माना जाता है. हमारी परंपरा है कि खाना खाने से पहले भोजन मंत्र का जाप करके और थाली को प्रणाम करके भोजन की शुरुआत की जाती है. इसे लेकर एक कहावत भी है, "थाली में जितना चाहिए उतना ही लो ताकि नाले में न फेंके."

वर्ष 2019 में संयुक्त राष्ट्र खाद्य अपशिष्ट सूचकांक रिपोर्ट 2021 के मुताबिक
 

  • दुनिया में 93 करोड़ टन अनाज बर्बाद हो गया है.
     
  • इसमें भारतीयों ने 60.87 मिलियन टन अनाज बर्बाद किया है.
     
  • इसमें 61 प्रतिशत अनाज घर में बचे हुए अनाज के रूप में बर्बाद किए गए हैं.
     
  • 26% खाद्यान्न की बर्बादी होटल-रेस्तरां और फूड डिलीवरी (food delivery) की वजह से हुई है.
     
  • दुनिया में प्रति व्यक्ति हर साल 121 किलो खाना बर्बाद करता है. इसमें से 74 किलो खाना बचे हुए खाने के रूप में खराब किया जाता है.
     

यानी खाने की बर्बादी के लिए पूरी दुनिया जिम्मेदार है. भारत में हर व्यक्ति साल में 50 किलो खाना बर्बाद कर देता है. वहीं, अमेरिका में हर व्यक्ति साल में 59 किलो खाना छोड़ देता है और चीन में हर शख्स 64 किलो खाना छोड़ देता है. उधर पाकिस्तान में हर साल 74 किलो और यूके में 77 किलो खाना कूड़ेदान में फेंका जाता है.

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