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Hyper Inflation: Sri Lanka में सैलरी देने के लिए नोट छाप रही है सरकार, भारत में क्या हैं नए नोट छापने के नियम?

Explainer: सरकार एक तय नंबर से ज्यादा नोट नहीं छाप सकती है. अगर ज्यादा नोट छाप दिए जाएं तो कोई भी देश दिवालिया हो सकता है.

Hyper Inflation: Sri Lanka में सैलरी देने के लिए नोट छाप रही है सरकार, भारत में क्या हैं नए नोट छापने के नियम?

सांकेतिक तस्वीर.

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डीएनए हिंदी: श्रीलंका (Sri Lanka) की अर्थव्यवस्था अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. सरकार के कोषागार में अब इतने भी पैसे नहीं बचे हैं कि लोगों को सैलरी दी जा सके. कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका (Central Bank of Sri Lanka)  खूब नोट छाप रहा है. दिवालिया होने की कगार पर खड़ा श्रीलंका में आर्थिक बदहाली और बढ़ सकती है. अब सवाल यह उठ रहा है कि क्यों ज्यादा से ज्यादा नोट छापकर कोई देश अपनी गरीबी दूर क्यों नहीं कर लेता है. नए नोट छापने के कुछ नियम होते हैं, सरकार को मिनिमम रिजर्व (Minimum Reserve) के फॉर्मूले पर भी ध्यान देना होता है. 

कोई भी देश देश अपनी अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए एक लिमिट से ज्यादा नोट नहीं छाप सकता है. नोट छापने के कुछ अंतरराष्ट्रीय मानक होते हैं. अगर देश में ज्यादा नोट छपने लगें तो सभी के पास ज्यादा पैसा आने लगेगा जिसकी वजह से वैश्विक स्तर पर करेंसी डिवैल्यूएशन होने लगता है. ज्यादा नोट छापने से महंगाई भी कई गुना बढ़ जाती है.

क्या होगा अगर ज्यादा नोट छाप दें?

जिन-जिन देशों ने ज्यादा नोट छापे हैं उन्हें आर्थिक तौर पर बदहाल होना पड़ा है. साल 2008 में जिम्बाब्वे (Zimbabwe) ने देश की अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए अपनी क्षमता से ज्यादा नोट छाप दिए थे. हालात इतने बुरे हो गए महंगाई  231,000,000 फीसदी तक बढ़ गई.

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मुद्रास्फीति (Inflation) की वजह से जिम्बाब्वे का हाल ऐसा हुआ कि एक मिठाई जो पहले एक जिम्बाब्वे डॉलर में मिल जाती थी उसकी कीमत बढ़कर 231 जिम्बाब्वे डॉलर हो गई. कई दक्षिण अफ्रीकी देश ऐसी गलती कर चुके हैं. बुनियादी चीजे खरीदने के लिए भी लोगों को थैली भर-भरकर पैसे ले जाने पड़ते थे. ज्यादा नोट छापने की वजह से यह आर्थिक बदहाली आई थी.

क्या कहते हैं नोट छापने के नियम?

भारत में नोट छापने का अधिकार केवल रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) को है. यही भारत का करेंसी रेग्युलेटर है. भारत सरकार, देश की जीडीपी, विदेशी मुद्रा भंडारण, गोल्ड रिजर्व, राजकोषीय घाटा और ग्रोथ रेट को देखते हुए तय किया जाता है कि कितने नोट छापे जा सकते हैं.

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क्या है नोट छापने का फॉर्मूला?

नोटों की छपाई मिनिमम रिजर्व सिस्टम के तहत होती है. साल 1957 से ही भारत में इसी प्रणाली पर काम होता है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया अफने फंड में कम से कम 200 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति हर वक्त अपने पास रखती है. इतनी संपत्ति रिजर्व रखने के बाद सरकार नोट छापती है.

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