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Infant Mortality in India: शिशु मृत्यु दर में सुधार लेकिन MP में अब भी हालत खराब, क्या कहते हैं आंकड़े

Infant Mortality Rate के मामले में भारत की स्थिति पहले से बेहतर हुई है, लेकिन अब भी दूसरे एशियाई देशों की तुलना में सुधार की जरूरत है.

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Infant Mortality in India: शिशु मृत्यु दर में सुधार लेकिन MP में अब भी हालत खराब,  क्या कहते हैं आंकड़े

Infant Mortality Rate in India

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डीएनए हिंदी: शिशु मृत्यु दर (Infant Mortality Rate) के पैमाने पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश को अच्छी खबर दी है. सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (Sample Registration System 2020) द्वारा बीते हफ्ते जारी रिपोर्ट में देश के शिशु मृत्यु दर के आंकड़ों में सुधार देखने को मिला है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने उम्मीद जताई है कि भारत साल 2030 तक यूएन द्वारा घोषित सतत विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals) हासिल कर लेगा, लेकिन राज्यवार आंकड़ें खंगालने पर पता चलता है कि देश के कई बड़े राज्यों में अपेक्षित सुधार नहीं हुआ है. 

शिशु मृत्यु दर में आई कमी
साल 2014 में देश में शिशु मृत्यु दर (IMR) 39 थी. इसका मतलब है कि हर 1,000 जीवित बच्चों में से 39 की मौत हो जाती है. बीते 6 सालों में ये आंकड़ा सुधरकर 28 हो गया है. मगर विविधता वाले हमारे देश में आंकड़ों में भी विविधता देखी जाती है.

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श्रीलंका, नेपाल, भूटान की स्थिति भारत से बेहतर
ये बात भी हैरान कर सकती है कि शिशु मृत्यु दर के मामले में श्रीलंका, नेपाल, भूटान की स्थिति भारत से बेहतर है. श्रीलंका की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल है. लेकिन IMR के पैमाने पर ये देश कई बड़े यूरोपीय देशों को टक्कर देता है. श्रीलंका की IMR महज 6 है. सार्क देशों में भी भारत से खराब शिशु मृत्यु दर सिर्फ पाकिस्तान (54), अफगानिस्तान (45) और म्यांमार (35) की है. नेपाल (24), भूटान(23) की स्थिति भी भारत से बेहतर है. 

वहीं अगर BRICS देशों की बात करें तो भी भारत का प्रदर्शन खराब ही है. केवल दक्षिण अफ्रीका (26) भारत के आसपास है. संगठन के बाकी देशों ब्राजील (13), चीन (6) और रूस (4) में शिशु मृत्युदर भी भारत से बहुत बेहतर है.

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बड़े राज्यों में केरल सबसे बेहतर, मध्य प्रदेश बदतर
वहीं अगर राज्यवार आकंड़ों को खंगालें तो भारत के राज्य अलग-अलग छोर पर खड़े दिखाई देते हैं. मिजोरम (3), नागालैंड (4), गोआ (5), सिक्किम (5), केरल (6), मणिपुर (6), और चंडीगढ़ (8) उन राज्यों और केंद्र शासित राज्यों में शामिल हैं जहां IMR का स्तर संतोषजनक कहा जा सकता है. ये राज्य इस पैमाने पर यूरोपीय देशों के साथ खड़े दिखाई देते हैं.

लेकिन दूसरी तरफ मध्य प्रदेश जैसे राज्य भी हैं. मध्य प्रदेश को शिशुओं के लिए सबसे घातक राज्य कहा जा सकता है. यहां हर 1,000 जीवित नवजात में से 43 की मौत हो जाती है.

IMR के पैमाने पर भारत के ये राज्य दुनिया में सबसे ज्यादा अविकसित देशों की सूची के साथ खड़े दिखाई देते हैं. वहीं उत्तर प्रदेश (38), छत्तीसगढ (38),उड़ीसा (36), राजस्थान (32), मेघालय (29) और हरियाणा भी उन राज्यों में शामिल हैं जहां शिशु मृत्यु दर का आकंड़ा राष्ट्रीय औसत (28) से ज्यादा है.

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दिल्ली, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल में सबसे ज्यादा सुधार
पिछले दशक में शिशु मृत्यु दर के पैमाने पर सबसे अच्छी प्रगति करने वाला राज्यों की सूची में दिल्ली पहले स्थान पर है, जहां 63.2% सुधार हुआ है. वहीं राष्ट्रीय औसत से बेहतर प्रदर्शन करने वाले राज्यों में जम्मू कश्मीर (57.2%), हिमाचल प्रदेश (56.5%), कर्नाटक (49.3%), तमिलनाडू (49.1%), पंजाब (48.9%), आंध्र प्रदेश (48.3%), गुजरात (46.7 %), केरल ( 46.7 %), हरियाणा (43.9 %), बिहार (43.1 %), महाराष्ट्र (42.8 %), उड़ीसा (42.2 %) और राजस्थान (40.9 %) भी शामिल हैं.

आंकड़ों से पता चलता है कि शिशु मृत्यु दर में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्य, पिछले दशक में अपने इस IMR में सुधार के मामले में भी सबसे कमजोर रहे हैं. शिशु मृत्यु दर में सबसे कम सुधार दर्शाने वाले 5 राज्यों में छत्तीसगढ़ (26.5 %), मध्यप्रदेश (31%), उत्तराखंड (33.3 %), असम (35.8 %)  और उत्तर प्रदेश (36.2%) शामिल हैं.

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