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Covid-19 Risk: गर्भ में ही शिशुओं को कोरोना से खतरा, महिला हुई कोविड पॉजिटिव तो कोख में ही 2 बच्चों का ब्रेन हो गया डैमेज

मियामी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने गुरुवार को दो केस ऐसे देखे जिनमें SARS-CoV-2 वायरस एक मां की नाल को पार कर गया और शिशुओं में मस्तिष्क क्षति का कारण बन गया था.

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कोरोना का खतरा अब मां के पेट में पल रहे शिशुओं को भी

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डीएनए हिंदीः कोरोना का खतरा अब मां के पेट में पल रहे शिशुओं तक पहुंच चुका है और  तक मां के प्लेसेंटा के मस्तिष्क में वायरस का अटैक पाया गया है. कोरोना पॉजिटिव दो मांओं के दो बच्चों का ब्रेन डैमेज हो चुका है. 

शिशुओं का जन्म उन युवा माताओं से हुआ था जिन्होंने टीके उपलब्ध होने से पहले 2020 में कोरोना महामारी की डेल्टा लहर में अपनी दूसरी तिमाही के दौरान कोरोना पॉजिटिव थीं. ये केस स्टडी जर्नल पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित हुई है.

इस स्टडी में पाया गया है कि कोरोना वायरस ही नहीं, साइटोमेगालोवायरस, रूबेला, एचआईवी और जीका सहित कई वायरस प्लेसेंटा को पार कर भ्रूण के मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाने में सक्षम होते हैं.

अमेरिकी स्टडी पाया गया है कि कोरोना संक्रमण की वजह से दो बच्चों के ब्रेन डैमेज हुए थे, क्योंकि इन बच्चों की मां को कोरोना हुआ था.  इस घटना में एक शिशु की महज 13 महीने में ही मौत हो गई. पीडियाट्रिक्स जर्नल में प्रकाशित मियामी विश्वविद्यालय के अध्ययन के अनुसार जिस दिन उन बच्चों का जन्म हुआ उसी दिन दोनों बच्चों को दौरा पड़ा और उनका मानसिक विकास धीरे- धीरे क्षीण होता गया. शोधकर्ताओं ने कहा कि जहां एक बच्चे की 13 महीने की उम्र में मृत्यु हो गई, वहीं दूसरे को इनक्यूबेटर में रखा गया है.

बच्चे में कोरोना का खतरा कितना
रॉयटर्स के अनुसार  मियामी विश्वविद्यालय में बाल रोग विशेषज्ञ और सहायक प्रोफेसर डॉ मर्लिन बेनी ने कहा कि किसी भी बच्चे में कोरोना वायरस के लिए सकारात्मक परीक्षण नहीं किया गया, लेकिन उनके रक्त में कोविड एंटीबॉडी का लेवल बहुत हाई था. इससे पता चलता है कि वायरस मां से प्लेसेंटा और फिर बच्चे में स्थानांतरित हुआ था और इसी से बच्चों के मस्तिष्क खराब हुए थे.

बच्चों की मां पर संक्रमण अध्ययन के अनुसार, दोनों शिशुओं की माताओं पर कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई. एक में केवल हल्के लक्षण थे और पूरे नौ महीने के बाद ही महिला की डिलीवरी हुई. जबकि, दूसरी मां कोरोना संक्रमण से बुरी तरह प्रभावित हुई. महिला की हालत इतनी गंभीर थी कि डॉक्टरों को 32 सप्ताह में डिलीवरी करनी पड़ी.

गर्भवतियों माताएं जान लें ये बात
मियामी विश्वविद्यालय में एक प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ शहनाज दुआरा का कहना है ये मामले दुर्लभ थे. लेकिन गर्भावस्था के दौरान संक्रमण होना या वायरस पॉजिटिव होना बच्चों पर  प्रभाव डालता है इसलिए बेहद सतर्क रहने की जरूरत होगी.

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें।) 

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