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Kids Diabetes: इस उम्र के बच्चों को भी अपनी चपेट में ले रही है डायबिटीज, आंकड़े जानकर हैरान हो जाएंगे

Diabetes in Kids: बड़ों की तरह भारतीय बच्चों में भी डायबिटीज की बीमारी बढ़ती ही जा रही है. बच्चों के लक्षण समझना मुश्किल होता है. 5 साल से 20 साल तक की उम्र के बच्चों को हो रही है टाइप 2 शुगर, जानिए क्या है बचाव के उपाय

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Kids Diabetes: इस उम्र के बच्चों को भी अपनी चपेट में ले रही है डायबिटीज, आंकड़��े जानकर हैरान हो जाएंगे
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डीएनए हिंदी: डायबिटीज (Diabetes) एक खतरनाक साइलेंट किलर की तरह जैसे बड़ों का शरीर अंदर ही अंदर खत्म कर देता है ठीक वैसे ही बच्चों को भी यह समस्या (Diabetes in Kids) हो सकती है. आपको सुनकर आश्चर्य लग रहा होगा कि अब तक तो बड़ों को शुगर की बीमारी (Blood Sugar) हो रही है यह सुना था लेकिन अब बच्चों को भी शुगर हो रहा है. कोरोना के दौरान उनकी बदलती लाइफस्टाइल, जंक फूड खाना, मीठा खाना, मोपाटा इन सबकी वजह से यह बीमारी हो रही है. इसके साथ ही फैमिली हिस्ट्री (Genetic History) भी इसकी एक अहम वजह है. कई बार माता पिता को यह पता भी नहीं चलता कि उनका बच्चा डायबिटीज का शिकार हो रहा है. इसलिए पेरेंट्स को कुछ बातों का खयाल रखना चाहिए और साथ में सावधानी भी बरतनी (Diabetes Alert) चाहिए. 

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क्या कहते हैं आंकड़े

National Diabetes Statistic 2020 के मुताबिक अमेरिका में 20 साल से कम उम्र के करीब 2 लाख 10 हजार बच्चों और किशोरों को शुगर की बीमारी है, वहीं एनआईएचके मुताबिक हर साल बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज के मामले 1.8 फीसदी और टाइप 2 डायबिटीज के मामले 4.8 फीसदी आते हैं. डॉक्टर्स बताते हैं कि आम तौर पर बच्चों को टाइप 1 कम और टाइप 2 डायबिटीज ज्यादा होती है. पांच साल की उम्र से ही इसका खतरा होने लगता है. 

डॉक्टर की राय

बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर मोनिका अग्रवाल बताती हैं कि डायबिटीज दो तरह से बच्चों को चपेट में लेती है, एक जुवेनाइल डायबिटीज, दूसरी टाइप 2 जो आम तौर पर 15-20 साल के टीनेजर को होती है. हालांकि दोनों में ही लक्षण बहुत ज्यादा समझ नहीं आते लेकिन जुवेनाइल डायबिटीज में कई बार बच्चे का वजन एक दम से कम होने लगता है, या फिर मीठा खाने के साथ साथ उसका शुगर लेवल एकदम अचानक से ऊपर चला गया, कई बार बच्चा बेहोश भी हो जाता है, लेकिन उस वक्त यह समझ नहीं आता कि उसे ऐसा क्यों हुआ है.कई बार वायरल इंफेक्शन की वजह से आंतों पर असर होता है और इंसुलिन ठीक से काम नहीं करती, ऐसे में भी डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है. 

उन्होंने बच्चों में हो रहे डायबिटीज के कुछ लक्षण बताए

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बच्चों में डायबिटीज के लक्षण (Diabetes Symptoms in Kids in Hindi)

गर्दन में काला पन- अगर बच्चों के गर्दन या फिर आर्म्स में काला पन दिखता है तो तुरंत सावधान होने की जरूरत है. यह डायबिटीज के सबसे अहम लक्षण हैं.

बार बार टॉयलेट जाना- अगर आपका बच्चा बारबार टॉयलेट जाता है तो यह डायबिटीज के लक्षण हो सकते हैं. यह डायबिटीज का अहम लक्षण है, इसकी वजह है कि ब्लड शुगर सेल्स से पानी खींचती है और बच्चे को प्यास ज्यादा लगती है, वह पानी भी ज्यादा पीता है और फिर यूरिन जाता है. अगर आपके बच्चे के साथ भी ऐसा हो रहा है तो ध्यान दें. रात को उठकर भी यूरिन जाना

मुंह सूखता है- गर्मी में वैसे तो सभी बच्चों को प्यास बहुत लगती है और मुंह सूखता रहता है लेकिन यह डायबिटीज के भी संकेत हैं. दरअसल, ब्लड शुगर बढ़ने पर बच्चों के शरीर में लिक्विड की कमी होने लगती है, जिसकी वजह से मुंह में सूखापन का एहसास होता रहता है. 

भूख ज्यादा लगना- अगर बच्चे को पहले से कहीं ज्यादा भूख लगने लगी है तो आपको थोड़ा सतर्क होने की भी जरूरत है. भूख में बदलाव मधुमेह का एक लक्षण भी हो सकता है. डायबिटीज से पीड़ित बच्चों को अन्य बच्चों के मुकाबले ज्यादा भूख लगती है. ऐसा होने का कारण ये है कि शरीर जितना भोजन खाता है उतनी ऊर्जा का उपयोग नहीं कर पाता है. 

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वजन कम होना- अगर आपके बच्चे की डाइट अच्छी है और फिर भी बच्चे का वजन नहीं बढ़ रहा है तो इसकी वजह डायबिटीज हो सकती है. बच्चा अच्छी मात्रा में खाना खा रहा है और फिर भी लगातार पतला होता जा रहा है तो इसकी वजह है शरीर भोजन से निकलने वाली ऊर्जा का उपयोग करने में असमर्थ है, जिससे वजन कम होता है.

थकान महसूस करना- मधुमेह से पीड़ित बच्चों को हमेशा थकान बनी रहती है. ऐसे बच्चों की एनर्जी में कमी देखी जाती है. डायबिटीज से पीड़ित बच्चे पढ़ाई से लेकर फिजिकल एक्टिविटी में उतना अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाते जितने सामान्य बच्चे करते हैं. इन बच्चों में हमेशा सुस्ती, आलस्य और उनींदापन छाया रहता है. कई बार इसकी वजह से बच्चे के व्यवहार में बदलाव जैसे चिड़चिड़ापन, उदासी या गुस्सा नजर आता है.

इन बातों का रखें ध्यान 

  • बच्चे को इंसुलिन दी जाती है
  • हेल्दी फूड, लाइफस्टाइल में बदलाव 
  • ब्लड शुगर चेक किया जाता है 
  • एक्सरसाइज और वॉकिंग 
  • वेट लॉस और मीठा कम 
  • बच्चों को एक्टिव बनाएं 

    (Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.) 

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