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Diabetes & Air Pollution : दूषित हवा सांस की समस्या लाने के साथ, शुगर की बीमारी को बढ़ावा भी देती है

Air Pollution & Diabetes : वायु प्रदूषण और डायबिटीज के बीच गहरा सम्बन्ध है जो अक्सर नाइट्रोजन डाईऑक्साइड, तबाकू के धुएं की वजह से और भीषण हो जाता है. यह माना जा रहा है कि प्रदूषण पर नियंत्रण लगाना टाइप 2 डायबिटीज मेलिटस पर भी नियंत्रण लगाएगा.  

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Diabetes & Air Pollution : दूषित हवा सांस की समस्या लाने के साथ, शुगर की बीमारी को बढ़ावा भी देती है

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डीएनए हिंदी : वायु प्रदूषण की वजह से भी डायबीटीज (Air Pollution & Diabetes) हो सकती है. दरअसल  शोध में सामने आया है कि वायु प्रदूषण और डायबिटीज के बीच गहरा सम्बन्ध है जो अक्सर नाइट्रोजन डाईऑक्साइड, तबाकू के धुएं की वजह से और भीषण हो जाता है. यह माना जा रहा है कि प्रदूषण पर नियंत्रण लगाना टाइप 2 डायबिटीज मेलिटस पर भी नियंत्रण लगाएगा.  नेचुरल गैस और फॉसिल फ्यूल को जलाना इस प्रदूषण को बढ़ाने में सबसे ज़्यादा योगदान देता है. 

Pollution Related Health Issues : कैसे स्वास्थ्य पर असर करता है प्रदूषण 
प्राकृतिक गैस और फॉसिल फ्यूल को जलाए जाने से दिल की ऑक्सीजन पंप करने की गति कम हो जाती है. इसकी वजह से सांस की बीमारी होने की सम्भावना रहती है. इसके साथ ही इंडस्ट्रियल प्रदूषण की वजह से आंखों और गले में समस्या हो जाती है, जिसकी वजह से कई गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं. 

कूड़ा-कर्कट जलाने से भी होते हैं Health Pollution 
गार्बेज वेस्ट यानी कूड़े को जलाने से होने वाले धुएं और प्रदूषण की वजह से कैंसर जैसी बीमारियों का ख़तरा भी बढ़ जाता है. इसके अतिरिक्त लिवर इशू, इम्म्यून सिस्टम की दिक्कत और जनन सम्बन्धी दिक्कत होती रहती है. इसकी वजह से नर्वस सिस्टम पर भी असर पड़ता है.

खेतों की पराली जलाना भी प्रदूषणकारी है. इसके अतिरिक्त खेती के काम मसलन कीटनाशक और खाद का अधिक फसल के लिए इस्तेमाल किया जाता है. जब इनका इस्तेमाल किया जाता है तो कुछ अंश हवा में रह जाता है जिसकी वजह से प्रदूषण फैलता है. साथ ही ज़मीन में भी इनके अंश पैबस्त कर जाते हैं जिसकी वजह से न केवल फसल की हालत ख़राब होती है बल्कि स्वास्थ्य सम्बन्धी दिक्कतें भी होती हैं. इस प्रदूषण को कम करने के लिए चिमनी फ़िल्टर का इस्तेमाल करना चाहिए, और पटाखों, वेस्ट फ्यूल को जलाने से बचना चाहिए. 

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Diabetes & Pollution: कैसे जुड़े हैं आपस में 
लम्बे समय तक प्रदूषण झेलते रहने से इन्सुलिन डिपेंडेंट ग्लूकोज़ को घटा देता है जिसकी वजह से इन्सुलिन के प्रवाह में रुकावट आती है. यह β-सेल के काम करने की गति को बिगाड़ देता है. साथ ही यह शरीर में वसा का जमाव भी बढ़ाता है. इन चीज़ों से बचने के लिए ओमेगा 3 फैटी एसिड से भरपूर खाने की ओर ध्यान देना चाहिए.
बीएलके मैक्स के सीनियर डायरेक्टर अशोक झिंगन के मुताबिक़ सावधानी बरतना ही ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित कर सकता है. डॉक्टर झिंगन एंटीऑक्सीडेंट से भरभरे हुए फलों को खाने पर ज़ोर देते हैं. ब्लू बेरीज़, ब्लैक बेरीज़, स्ट्रॉ बेरी और रैस्प बेरी डायबिटीज के लिए बेहद कारगर फल माने जाते हैं. 

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