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Mayawati ने अपने करीबियों पर ही साधा निशाना- दलित भी हैं स्वार्थी, CBI के छापे के बाद रिश्तेदारों ने छोड़ दिया साथ

BSP Chief Mayawati: बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने रिश्तेदारों को आड़े हाथ लेते हुए कहा है कि सीबीआई की छापेमारी के बाद कई रिश्तेदारों ने उनका साथ छोड़ दिया.

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Mayawati ने अपने करीबियों पर ही साधा निशाना- दलित भी हैं स्वार्थी, CBI के छापे के बाद रिश्तेदारों ने छोड़ दिया साथ

बीएसपी चीफ मायावती

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डीएनए हिंदी: बहुजन समाज पार्टी (BSP) की मुखिया मायावती (Mayawati) ने एक के बाद एक ट्वीट करके अपने करीबियों और रिश्तेदारों पर ही निशाना साधा है. लगातार कमजोर होती पार्टी का हाल देखकर मायावती का दुख सामने आ गया है. मायावती ने अपने ट्वीट में लिखा है कि बुरे वक्त में कई करीबी और रिश्तेदार भी उनका साथ छोड़कर चले गए और ऐसे वक्त में सिर्फ़ उनके छोटे भाई आनंद कुमार (Anand Kumar) उनके साथ खड़े हुए. मायावती ने यह भी लिखा है कि दलितों में भी स्वार्थी लोग भरे पड़े हैं और उन्हें भी अपने काम से मतलब होता है. 

लंबे समय में बीएसपी को कोई बड़ी चुनावी कामयाबी नहीं मिली है. इस साल यूपी के विधानसभा चुनाव में मायावती की अगुवाई वाली बीएसपी को सिर्फ़ एक सीट पर जीत हासिल हुई. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी को लोकसभा की 10 सीटों पर जीत भले ही हासिल हुई थी लेकिन वह तब था जब बसपा ने समाजवादी पार्टी (एसपी) और राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था.

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'CBI के छापे के बाद छोड़ दिया साथ'
अपने परिवार और पार्टी के हाल पर मायावती ने अपने ट्वीट में लिखा है, 'दलित और उपेक्षितों में भी स्वार्थी लोगों की कमी नहीं है, जिसमें मेरे कुछ रिश्तेदार भी हैं. एक ऐसा है जो मेरी गैरहाजिरी में मेरे दिल्ली निवास पर CBI छापे के बाद परिवार सहित चला गया, तबसे ही छोटा भाई आनन्द सरकारी नौकरी छोड़कर परिवार के साथ मेरी सेवा और पार्टी कार्य में लगा है.'

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मायावती ने आगे लिखा, 'इन स्वार्थी किस्म के लोगों ने खासकर बामसेफ और डीएस4 आदि के नाम पर अनेकों प्रकार के कागजी संगठन बनाए हुए हैं जो सामाजिक चेतना पैदा करने की आड़ में अपना स्वार्थ सिद्ध कर रहे हैं और अब यही कार्य बीएसपी में कुछ निष्क्रिय हुए लोग भी दूसरे तरीके से कर रहे हैं, यह दुर्भाग्यपूर्ण है. इस प्रकार से बीएसपी को कमजोर करने के लिए जातिवादी शक्तियां यहां पर्दे के पीछे से यह सब षड्यन्त्र करती रहती हैं. साथ ही, उनसे कागजी पार्टियां बनवाकर चुनाव में दलित और शोषितों का वोट बांटने की घातक कोशिश करती हैं. ऐसे में पार्टी और मूवमेन्ट के हित में इन सभी से सावधान रहने की अपील करती हूं.'

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