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Constitution Day 2022: संविधान दिवस पर राष्ट्रपति Droupadi Murmu का बड़ा बयान, जेलों के विस्तार नहीं खात्मे पर हो ध्यान

Constitution Day 2022 के समारोह के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के भाषण ने सभागार में मौजूद सभी लोगों का मन जीत लिया.

Constitution Day 2022: संविधान दिवस पर राष्ट्रपति Droupadi Murmu का बड़ा बयान, जेलों के विस्तार नहीं खात्मे पर हो ध्यान
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डीएनए हिंदी: भारतीय संविधान सात दशकों से ज्यादा का हो चुका है. इस मौके पर आज दिल्ली में संविधान दिवस (Constitution Day 2022) समारोह में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) ने एक बड़ा बयान देते हुए कहा है कि देश में ज्यादा जेल बनाने की बात होती है लेकिन यह विकास नहीं है. उन्होंने कहा कि जेलों के विस्तार की अपेक्षा जेलों की संख्या तो कम होते होते खात्मे की ओर जानी चाहिए. उन्होंने इस मुद्दे पर देश की सरकारों और अदालतों को सोचने के लिए कहा है. इस कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट में मौजूद CJI डीवाई चंद्रचूड़, समेत सभी जज, कानून मंत्री समेत सैकड़ों लोग शामिल थे. इन सभी लोगों ने राष्ट्रपति की बात की सराहना की है.

दरअसल, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान दिवस के मौके पर एक भावुक संबोधन दिया जो कि लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ. उन्होंने अपने सबोंधन में कहा, "जेल में बंद लोगों के बारे में सोचें. थप्पड़ मारने के जुर्म में कई सालों से बंद हैं, उनके लिए सोचिए. उनको न तो अपने अधिकार पता हैं, न ही संविधान की प्रस्तावना, न ही मौलिक अधिकार या मौलिक कर्तव्य. उनके बारे में कोई नहीं सोच रहा है. उनके घर वालों में उन्हें छुड़ाने की हिम्मत नहीं रहती, क्योंकि मुकदमा लड़ने में ही उनके घर के बर्तन तक बिक जाते हैं. दूसरों की जिंदगी खत्म करने वाले तो बाहर घूमते हैं, लेकिन आम आदमी मामूली जुर्म में वर्षों जेल में पड़ा रहता है."

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महत्वपूर्ण है संविधान की प्रस्तावना

द्रौपदी मुर्मू ने इस दौरान अपने प्रारंभिक जीवन का भी जिक्र किया और बताया है कि उन्होंने किस तरह के संघर्षों का सामना किया है. राष्ट्रपति ने कहा, "मैं छोटे गांव से आई, हम गांव के लोग तीन ही लोगों को भगवान मानते हैं- गुरु, डॉक्टर और वकील. गुरु ज्ञान देकर, डॉक्टर जीवन देकर और वकील न्याय दिलाकर भगवान की भूमिका में होते हैं."

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारतीय संविधान का उल्लेख करते हुए उसकी प्रस्तावना को संविधान की आत्मा बताया है. उन्होंने कहा, "प्रस्तावना हमारे संविधान की बुनियाद का पत्थर है. हमारे संविधान की सबसे बड़ी खूबसूरती लोकतंत्र के तीनों स्तंभों विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका की लक्ष्मण रेखा है. सभी अपने-अपने दायरे में रहकर एक दूसरे का आदर मान करते हैं." 

उन्होंने कहा कि संविधान बनाने वाले गांधीजी के सिपाही थे. उसकी छाप संविधान पर साफ दिखती है. महिला नेताओं ने संविधान सभा की सदस्य रहते हुए बड़ी और अग्रणी भूमिका अदा की थी. वहीं कार्यक्रम में मौजूद चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने राष्ट्रपति के भाषण की जमकर तारीफ की है. उन्होंने कहा, "CJI बनने के बाद जब मैं राष्ट्रपति से मिलने गया, तो उनसे काफी प्रभावित हुआ. हमारा संविधान सबसे अलग और नई दिल्ली में बनाया गया, लिखा गया, तैयार किया गया है. जबकि कई एशियाई और अफ्रीकी देशों ने बकिंघम पैलेस के आसपास ही संविधान लिखा. आयरलैंड की छाया और छाप उन पर दिखी."

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क्या बोले CJI चंद्रचूड़

भारतीय संविधान की सराहना करते हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, "हमें गर्व है कि हमारा संविधान भारतीय जीवन और मूल्यों पर आधारित है. 7 दशक के बाद भी हमारा संविधान अपने मूल और परिवर्धित रूप में बरकरार है. विधान का शासन है."

गौरतलब है कि इस दौरान कार्यक्रम में सैकड़ों लोग मौजूद थे और सभी ने एक सुर में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के भाषण की प्रशंसा की है. ऐसे में यह माना जा रहा है कि उन्होंने इशारों में ही सही लेकिन अदालतों की कार्रवाई को निशाने पर लिया है क्योंकि अदालतों में अनेकों वर्ष पर चक्कर काटने के बावजूद लोगों को न्याय नहीं मिल पाता है जिससे लोगों में एक आक्रोश का भाव आने लगता है.

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