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महिलाओं को मारना, काटना, टुकड़े करना Othello Syndrome या मर्दानगी की ताकत? पार्टनर पर बहुत गुस्सा आए तो क्या करें

देश भर में महिलाओं की जिस तरह से हत्या की जा रही है क्या उसके पीछे लव अफेयर ही है या कई और परतें भी हैं. कई विशेषज्ञों ने पावर का खेल बताया है.

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महिलाओं को मारना, काटना, टुकड़े करना Othello Syndrome या मर्दानगी की ताकत? पार्टनर पर बहुत गुस्सा आए तो क्या करें
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बात करीब 1603 की है जब ओथेलो ने अपनी पत्नी डेसडेमोना की हत्या बेवफाई के शक में कर दी थी. विलियम शेक्सपियर का ओथेलो इकलौता ऐसा पात्र नहीं था, जिसने अपनी पत्नी की हत्या बेवफाई के शक में की. आज जगह-जगह ओथेलो जैसे पात्र बदबजाने लगे हैं. 

मर्द-औरत का अजीब मौत का आंकड़ा
कभी महालक्ष्मी की लाश के 50 टुकड़े करने वाले मुक्ति रंजन रॉय तो कभी श्रद्धा वॉकर की लाश के 36 टुकड़े करने वाले आफताब पूनावाला के रूप में ये कुकरमुत्ते से उगते दिखने लगे हैं. आज ओथेलो एक पात्र नहीं बल्कि ओथेलो सिंड्रोम (Othello Syndrome) बन गया है.  NCRB के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2022 में महिलाओं के खिलाफ 4.45 लाख से अधिक अपराध हुए यानी हर 51 मिनट में एक मामला दर्ज हुआ.

ये भी हैरानी की बात नहीं होनी चाहिए कि महिलाओं के खिलाफ ज्यादातर केस (31.4%) पति या उनके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता की वजह से किए गए. इसमें एक और दिलचस्प आंकड़ा ये है कि हर तीन घंटे में एक आदमी की हत्या भी प्रेम संबंध, दहेज, सांप्रदायिक/धार्मिक, जातिवाद, राजनीतिक कारण, वर्ग संघर्ष, ऑनर किलिंग और पारिवारिक विवाद की वजह से होती है. ऐसे में पुरुष-पुरुष का हत्यारा भी बनता जा रहा है. अब सवाल ये है कि आखिर पुरुष महिलाओं की ऐसी विभत्स, क्रूर और रूंह को कंपानी वाली हत्या क्यों करता है?

महिलाओं का एक्सट्रा मैरिटल अफेयर पुरुष 'प्राइड' पर हमला
सवाल का जवाब देते हुए वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी बताते हैं कि वर्तमान में जिस तरह के केसेज सामने आ रहे हैं उनमें देखा जा रहा है कि एक्सट्रा मैरिटल अफेयर के शक में महिलाओं की हत्या कर दी जाती है.  एक्सट्रा मैरिटल का मामला स्त्री-पुरुष पर अलग-अलग तरह से काम करता है. पुरुष को जब महिलाओं के विवाहेत्तर संबंधों की भनक लगती है तो ये उनके लिए आत्मसम्मान पर चोट, गर्व पर आघात और संपत्ति की चोरी से जुड़ा हुआ मामला लगता है.

पुरुष को लगता है कि उनकी सोशल कंडीशनिंग में कमी आई है. जब उसे ये कमी महसूस होती तब वह गुस्से या आक्रोश में आकर व्यक्त करते हैं. हमारे समाज में शादी के लिए सामाजिक, सांस्कृतिक अपेक्षाएं होती हैं और जब इनका उल्लंघन होता है को पुरुष को निजी और भावनात्मक सदमा पहुंचता है. जिसकी वजह से पुरुषों के रिएक्शन हिंसात्मक हो जाते हैं.  पुरुष इसे मर्दानगी, आत्मसम्मान, नियंत्रण और अधिकार के रूप में देखते हैं और इसके टूटने पर पुरुषों के रिएक्शन इतने गंभीर या हिंसक होते हैं. ऐसे पुरुषों को मनोवैज्ञानिक सहायता देते हैं. उनकी भावनाओं को समझते हैं. क्रोध प्रबंधन कैसे कर  सकते हैं इसका भी सुझाव देते हैं. 

पुरुष नहीं समझते अपनी बॉडी, इसलिए क्रूर
बनारस में लंबे समय से पुरुषों को जेंडर का पाठ पढ़ाने वाले समाजसेवक सतीश सिंह कहते हैं कि लड़कों की जिस तरह की परवरिश हो रही है उससे वे इंसानियत से बहुत दूर जा रहे हैं.  लड़कों के जेंडर के हिसाब से घर चलाने वाले की भूमिका दी गई है. लड़के ये भूमिका ठीक से निभा नहीं पा रहे हैं क्योंकि उनके पास नौकरियां नहीं हैं. नौकरियों का काम भी महिलाएं धीरे-धीरे उनसे लेने लगी हैं. अब पुरुषों के आइडेंटिटी क्राइसिस हो गया है. हर पुरुष को आम नहीं खास पुरुष बनना है. खास बनने के चक्कर में वे अपराधी बनते जा रहे हैं.

पुरुषों का काम महिलाओं की सेक्शुअलिटी को कंट्रोल करने का रहा है. पुरुष अपनी भी बॉडी को नहीं समझता है. अगर वो अपनी बॉडी के प्रति संवेदनशील है तो स्त्री के प्रति भी संवेदनशील होगा. फिर पुरुष में कंसेंट, प्लेजर और रोमांस आ सकता है और फिर उसका रिलेशन बेहतर हो सकता है. पुरुष के पास प्रीविलेज है कि वो अपने सेक्शुअल प्लेजर को खरीद सकता है, स्त्री ऐसा नहीं कर सकती है.  एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर एक सामाजिक व्यवस्था है जिसे समाज ने ही बनाया है. एक्सट्रा मैरिटल अफेयर अगर पुरुष के लिए गलत है तो महिला के लिए भी गलत है. 

औरतों के पास सबूतों का अभाव- दिल्ली पुलिस 
दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि हमारी औरतों में जागरूकता की कमी सबसे बड़ी कमजोरी है. बहुत से अपराधी इसलिए छूट जाते हैं क्योंकि महिलाओं के पास पूरे सबूत नहीं होते हैं. हालांकि, मर्डर के केसेज से अलग देखा जाए तो पति-पत्नी केसेज भी पुलिस के पास बहुत आते हैं. उन केसेज में महिला और पुरुष दोनों बराबर के भागीदार होते हैं.  

प्यार बांधने का नहीं लिबरेट करने का नाम 
दिल्ली में लंबे समय से महिलाओं के लिए काम करने वाली समाजसेविका मधु बताती हैं कि एक्सट्रा मैरिटल के नाम पर महिलाओं की हत्या पावर का खेल है. जिसके पास सत्ता है वो हत्या कर रहा है. एक्सट्रा मैरिटल अफेयर ठीक है या नहीं इससे पहले सवाल ये होना चाहिए कि ये हो क्यों रहे हैं? कोई भी पार्टनर एक्ट्रा मैरिटल कर रहा है तो इसका मतलब है कि वो संतुष्ट नहीं है. जहां पार्टनर एक-दूसरे से पसंद और नापसंद की बात ही नहीं करते, बांध कर रखते हैं और कस कर रखा जाता है तब ऐसे वायलेंस देखने को मिलेत हैं. हिंसा इसलिए हो रही है क्योंकि पति-पत्नी एक-दूसरे की सच्चाइयों को स्वीकार नहीं कर रहे हैं.  

जब आपको पार्टनर पर बहुत गुस्सा आए तो क्या करें?
क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. प्रज्ञा मलिक बताती हैं कि  एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर कई बार पुरुषों के लिए एक आंतरिक संघर्ष का कारण बनता है. समाज में पुरुषों को बहुत ज्यादा 'सामाजिक सख्ती' का सामना करना पड़ता है, जिससे उनके अंदर असुरक्षा, ईर्ष्या और नियंत्रण की भावना पैदा होने लगती है. जब ये भावनाएं चरम पर पहुंचती हैं, तो कुछ पुरुष हिंसा का सहारा लेते हैं. इसके पीछे पारिवारिक और सांस्कृतिक मानदंड भी होते हैं, जो इस तरह की हिंसा को सही ठहराने  का काम करते हैं. इसके उलट महिलाएं रिश्तों को सुधारने की कोशिश करती हैं.  वे सामंजस्य बनाने और संबंध को सुधारने में अधिक धैर्य दिखाती हैं. दूसरी ओर, कई पुरुष अपने अहंकार और असुरक्षा के चलते बौखला जाते हैं. जब पुरुष अपने रिश्ते को खोने का डर अनुभव करते हैं, तो वे नकारात्मक भावनाओं से भरे होते हैं, जिससे हिंसा का रास्ता चुनने की संभावना बढ़ जाती है.


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अगर आपको अपने पार्टनर पर बहुत गुस्सा आ रहा है तो आप  इमोशनल सपोर्ट लें, अपनी चिंताओं को खुलकर रखें, खुद की मानसिक शांति के लिए काम करें और लोगों के साथ जुड़ें. एक ही जगह अटके न रहें. पति-पत्नी या लव रिलेशन का मतलब एक-दूसरे को आजाद, आबाद और आगे बढ़ाने से है. उन्हें बांधकर रखने या उन पर हावी होकर किसी से प्यार या रिश्ते नहीं निभाए जा सकते. 

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